कंडोम लगा कर चाची की चूत चुदाई करी करवा चौथ पर – चाची को रंडी की तरह चोदा
कंडोम लगा कर चाची की चूत चुदाई करी करवा चौथ पर – चाची को रंडी की तरह चोदा
Chachi Ki Chut Ki Chudai Ki Kahani Karwa Chauth Par
कंडोम लगा कर चाची की चूत चुदाई करी करवा चौथ पर – चाची को रंडी की तरह चोदा : चाची की चूत की चुदाई की कहानी मेरी पहली सेक्स स्टोरी है, कोई गलती लगे, तो माफ कीजिएगा। मेरा नाम रवि शर्मा है.. मैं वाराणसी में रहता हूँ, मेरी उम्र 20 साल की है। मेरी चाची की उम्र 26 साल है। उनका फिगर 34-30-34 की है। उनकी शादी को दो साल हो चुके हैं, वह दिखने में गोरी हैं, उनके होंठ बिल्कुल चैरी की तरह हैं कि ऐसा लगता है कि अभी ही खा जाऊँ। चाची की चूचियां तो कमाल की हैं.. एकदम कसी हुईं। चूंकि मैं अपनी चाची की हसीन जवानी पर बहुत फ़िदा था और उनको चोदना चाहता था, लेकिन मौका नहीं मिल रहा थाl
जब भी मैं टीवी देखता था तो उसी वक्त चाची पौंछा लगाने आ जाती थीं। चाची के गहरे गले वाले ब्लाउज से उनकी थिरकती चुची और पेट की गहरी गोल नाभि देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था। एक दिन वो नहा कर कमरे में कपड़े बदल रही थीं। मैं छुप कर देखने लगा, उन्होंने पहले अपने बदन से तौलिया हटाया और क्रीम लेकर अपने हाथ की बगलों में लगाई। उनकी बगलों के बाल बहुत छोटे-छोटे थे।
कंडोम लगा कर चाची की चूत चुदाई करी करवा चौथ पर – चाची को रंडी की तरह चोदा
उनका नंगा शरीर देख कर मेरे लंड में खलबली मचने लगी थी। अब उन्होंने कप वाली ब्रा पहनी.. फिर पेंटी पहनी और तभी उनको लगा कि कोई देख रहा है तो उन्होंने जल्दी से दरवाजे की झिरी से मुझे झांकते हुए देख लिया। मैं जल्दी से वहाँ से निकल भागा.. लेकिन उनको पता चल चुका था कि मैं वहाँ था। अब में अपने लंड को शांत करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन में नाकाम रहा और फिर थोड़ी देर के बाद में उठा और बाथरूम में जाकर उनके बारे में सोचकर मुठ मार आया और अब कमरे में आकर लेट गया और अब में चाची का इंतजार करने लगा, लेकिन मुझे पता नहीं कब नींद आ गयी.
फिर एक दिन चाची सब्जी काट रही थीं.. उस दिन वो गहरे गले वाला कुरता पहने हुए थीं। मैं वहीं बैठा पेपर पढ़ रह था। मैंने देखा कि उनकी कांख के कपड़े पसीने से भीगे और गले से पसीना चुची तक टपक रहा था। मेरा ध्यान उनकी चुची पर ही गड़ा था। तभी अचानक चाची मुझे देखने लगीं, तो मैं वहाँ से उठा और बाथरूम में जाकर मैंने उनके नाम की दो बार मुठ मारते हुए माल निकाल दिया। इसी तरह दिन पर दिन मैं उनकी तरफ आकर्षित होता चला गया। यूं कहिए कि मुझे उनसे प्यार हो गया था।
जब वह रसोई में रोटी बनातीं.. तो मैं किसी बहाने अन्दर चला जाता। उधर मेरी निगाहें उनके बदन को टटोलतीं.. उनका पूरा बदन गर्मी में पसीने से भीगा होता। मैं उनकी चुची को.. नाभि और रसीले होंठ देख कर वहीं कल्पना में डूब कर उन्हें देखता रहता। मैं अपनी कल्पनाओं में कभी चाची के होंठों को चूसता.. तो कभी चुची में मुँह मारता तो कभी उनकी मदमस्त कर देने वाली नाभि को चाटता।
अब मुझको धीरे-धीरे यह लग रहा था कि चाची भी मेरी तरफ आकर्षित हो रही थीं। क्योंकि जब भी मैं उनके सामने जाता.. तो वह अपनी चुची जानबूझ कर दिखाती थीं। मेरे चाचा सरकारी नौकरी करते हैं। वह साल में दो-तीन बार ही घर आ पाते हैं। इसलिए चाची अधिक चुदाई नहीं कर पाती थीं। अब धीरे-धीरे चाची मुझसे घुलने-मिलने लगी थीं। हम दोनों के बीच मजाक के साथ छूने-पकड़ने का मजाक भी चलने लगा था। चाची किचन में खाना बनातीं तो मैं चाची को पीछे पकड़ लेता, उनके पेट में हाथ डाल कर मसलता.. कभी उनके बालों को सूँघता.. जिससे मेरा लंड कड़ा होने लगता। चाची भी मेरी इन हरकतों का बुरा नहीं मानती थीं। शायद उनको भी अच्छा लगता होगा क्योंकि उनके शरीर को छूने वाला कोई नहीं था।
जब वह नहा कर अपने कमरे में कपड़े बदलतीं तो मैं दबे पाँव चोरी-छिपे उनको देखता। चाची भी इस बात को समझ चुकी थीं, इसलिए वे भी अपने कामुक बदन को खूब मस्ती से दिखातीं.. लेकिन खुलेपन से नहीं।
जब वह ऊपर के कमरे में अकेले लेट कर कुछ पढ़ रही होतीं.. तो मैं दौड़ कर जाकर उनके ऊपर सीने से सीना मिलाकर उनके ऊपर लेट जाता और उनकी चुची मेरे सीने से दब जातीं।
मैं और चाची एकदम से हाँफने लगते, जिससे हम लोगों की साँसें मिल जाती और एक अजीब सी अहसास मिलता।
वो मुझसे हटने को कहतीं लेकिन हम लोगों की आँखें एक-दूसरे को देखती रहतीं।
इस तरह हम लोगों की हरकतें बढ़ती ही जा रही थीं।
उस दिन करवा चौथ का दिन था.. ये चाची का दूसरा करवा चौथ था। सब पूजा की तैयारी कर रहे थे। तैयारी करने के बाद सब लेडीज कपड़े बदलने के लिए अपने-अपने कमरों में तैयार हो रही थीं।
उसी वक्त मैं चाची के कमरे के बाहर से उनको छुप कर देख रहा था। उन्होंने देखा तो मैं बेधड़क उनके कमरे में घुस गया।
चाची उस समय ब्रा पहन रही थीं.. मैं उनके सामने खड़ा हो गया। उन्होंने अपनी चुची ढक लीं और पीछे घूम गईं, मुझसे बोलीं- आप बाहर जाइए।
मैं बोला- चाची.. मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ। इतना कह कर मैं पीछे से उनकी कमर में हाथ डाल कर उनके पेट से लेकर चुची तक सहलाने लगा। अब चाची ने बोला के में भी तुमसे बहुत प्यार करती हु और में कब से तुम्हारा लंड अपनी चुत में लेने को तड़प रही हु यह बात सुनते ही में बहुत कुश हो गया में चाची की पेंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाने लगा. चाची पूरी तरह से गरम हो चुकी थी और अब मैंने चाची की पेंटी को भी उतार दिया, लेकिन कमरे में बहुत अंधेरे की वजह से मुझे चाची की चूत नहीं दिख रही थी, लेकिन हाथ लगाने से पता चल रहा था कि वो भी बहुत जोश में गरम थी और अब हम लिप किस करने लगे. मैंने अपने लोवर को उतार दिया और साथ में अपनी अंडरवियर भी. चाची मेरे लंड को हाथ में लेकर ऊपर नीचे करके महसूस करने लगी और फिर चाची ने मुझसे कहा कि वाह तुम्हारा लंड तो मेरे सोचने समझने से भी बहुत बड़ा, मोटा, लंबा है. – कंडोम लगा कर चाची की चूत चुदाई करी करवा चौथ पर – चाची को रंडी की तरह चोदा..
मुझे ऐसे ही किसी लंड की तलाश थी जो एक ही बार में मेरी प्यासी चूत को शांत कर दे और मेरी चूत को चोदकर उसका भोसड़ा बना दे. चल अब शरमाना छोड़ और अपनी रंडी चाची की जमकर चुदाई कर और मुझ रंडी को खुश कर दे. फिर चाची बेड से उठी और मोबाइल की रोशनी से अलमारी से एक कंडोम निकालकर लाई और मुझे दे दिया, लेकिन मुझे तब तक कंडोम लगाना भी नहीं आता था.
मैंने चाची से कहा कि चाची मुझे उसको चड़ाना नहीं आता और यह कैसे लगता है मुझे बिल्कुल भी पता नहीं है. चाची ने थोड़ा मुस्कुराकर मेरे लंड को अपने एक हाथ से पकड़ा और फिर कंडोम को टोपे पर रखकर धीरे से नीचे की तरफ उतार दिया और इस तरह कंडोम लगा दिया.
अब में अब चाची के ऊपर आ गया और मैंने धीरे से चाची के दोनों पैरों को थोड़ा सा फैलाकर चूत का आकार बड़ा किया और लंड को चूत के मुहं पर रखकर हल्का सा लगातार दबाव बनाकर पूरा का पूरा अंदर घुसा दिया. चाची उहहऊऊ आह्ह्ह्हह्ह की आवाज़ निकलने लगी और अब मेरे भी मुहं से हल्की सी आवाज़ निकलने लगी, लेकिन में किसी भी बात को बिना देखे सुने ताबड़तोड़ धक्के देने लगा और वो अपने चूतड़ को उठा उठाकर मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और वो मुझसे कहने लगी कि हाँ और ज़ोर से हाँ अपना पूरा दम लगा दो मेरी चुदाई में और मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर दो हाँ और ज़ोर से चोदो मुझे.
अब में जोश में आकर लगातार धक्के देकर उन्हे करीब बीस मिनट तक चोदता रहा, लेकिन अब में झड़ने वाला था और फिर में उनकी चूत में झड़ गया, लेकिन मैंने अपने धक्के अभी खत्म नहीं किए. में उसे धीरे धीरे चोदता रहा और अपना वीर्य उनकी चूत में डालता रहा और थोड़ी देर के बाद में चाची के बूब्स और कमीज़ के ऊपर से चूसने लगा. फिर कुछ देर के बाद चाची ने अपनी कमीज़ को उतार दिया और मैंने उनकी ब्रा को उतार दिया. अब चाची मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी, लेकिन अँधेरे की वजह से मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था, लेकिन में चाची के बूब्स को चूस रहा था और उनकी चूत और पूरे जिस्म को छूकर महसूस कर रहा था और अब कुछ ही देर में मेरा लंड फिर से तन गया था. चाची ने लंड को मुहं में ले लिया और चूसने लगी और थोड़ी ही देर में मेरा पूरा लंड तन गया.
अब चाची पेट के बल लेट गयी और उन्होंने मेरे खड़े हुए लंड को अपनी गांड में डालने का इशारा किया. दोस्तों पहले तो में बहुत हैरान हुआ फिर में चाची के ऊपर आकर गांड में लंड डालने लगा. मैंने महसूस किया कि चाची की गांड चूत से थोड़ी टाईट थी. मेरा लंड जैसे पूरी तरह से छिल गया था और अब चाची मौनिंग करने लगी.
फिर 10 मिनट के बाद में डिसचार्ज हो गया और मैंने अपना गरम गरम लावा उनकी गांड में डाल दिया और थोड़ी देर के लिए हम ऐसे ही लेटे रहे. लगभग दो बजे के करीब चाची ने मोबाइल की लाईट से अपने कपड़े ढूंढे और फिर पहनकर अपने कमरे में चली गयी. दोस्तों इस तरह मैंने चाची को चोदा, लेकिन इस चुदाई में ना तो में चाची के शरीर का कोई अंग देखा सका (अंधेरे की वजह से) और ना ही हम दोनों चुदाई करते समय कुछ मुहं से बोले और उसके बाद अगली दो रातों को भी मैंने चाची को ऐसे ही जमकर चोदा और अपनी चुदाई से उनकी चूत को संतुष्ट किया.