बुआ की लड़की की चूत में पूरा लंड उतार दिया – पीछे से लौड़ा एक झटके में अन्दर घुसा दिया hindi Sex Stories

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मेरी बुआ की लड़की, लता, मुझसे तीन साल छोटी है। यह बयान उसी की चुदाई का है जिसे चोद मैं बन गया पक्का बहनचोद!
मेरी नाम विष्णु है और मेरा कद 5’9″ है। रंग गोरा व अच्छे ख़ासे डील-डॉल का व्यक्ति हूँ। मेरा लंड लगभग 7″ लंबा है।
बात उन दिनों की है जब वो 11वीं में पढ़ती थी। उनके गाँव में दसवीं कक्षा तक का ही स्कूल था इसलिए वो पढ़ने के लिए मेरे शहर के सरकारी स्कूल में रोज सुबह की ट्रेन से आती और शाम पांच बजे की ट्रेन से वापस अपने गाँव जाती थी।
17 वर्ष की उम्र में ही उसका साइज़ पूरा 34-26-36 हो गया था। रंग गेहुँआ था पर नयन-नक्श से बला की खूबसूरत थी। सरकारी स्कूलों का हाल तो आप सभी जानते ही हैं; उसके स्कूल की छुट्टी एक बजे ही हो जाती थी और फिर कोई साढ़े चार बजे तक के लिए वह हमारे घर आ जाती थी।
कभी-कभी स्कूल में टीचर न रहने पर वो 10-11 बजे ही हमारे घर आ जाती थी।
जब से उसने मेरे घर आना शुरू किया था तब से मेरी रातों की नींद उड़ गई थी। उसको देखते ही मेरा पप्पू राजा पैंट फाड़ने पर उतारू हो जाता था। वैसे तो मुझसे वो घुली-मिली हुई थी, पर कभी एक-दूसरे से ‘खुल्लम-खुल्ला’ नहीं हुए थे।
वो जब भी घर में अकेली सी होती, मैं उसे किसी न किसी बहाने से छूता रहता था। एक दिन मेरे कॉलेज में हड़ताल होने की वजह से मैं घर पर 10 बजे ही वापस आ गया तो देखा कि सामने कुर्सी पर लता बैठी है।मुझे घर पर कोई दिखाई नहीं दिया तो मैंने उसके पीछे जाकर उसके कन्धों पर हाथ रखते हुए पूछा- मम्मी कहाँ है?
उसने कहा- अभी नहाने गई हैं।
यह सुन कर मुझे लगा यही मौका है। क्यों न चौका मार लिया जाए। मैंने तुरंत लेकिन डरते-डरते उसकी दोनों चूचियाँ हथेलियों में पकड़ लीं।
उसने कोई विरोध नहीं किया लेकिन बोली- यह सब क्या हो रहा है? मैं मामी को बोल दूँगी!
मैंने डर के मारे अपने दोनों हाथ हटा लिए और वापस कॉलेज भाग गया और सारा दिन यही सोचता रहा कि कहीं उसने मम्मी बता तो नहीं दिया होगा।
मेरी तो फटी पड़ी थी। किसी तरह हिम्मत करके वापस शाम को घर गया तो देखा सब कुछ सामान्य था।
जैसे ही मेरी नजर लता पर पड़ी तो वो मुस्करा रही थी। फिर तो मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई।
उसके बाद से जब भी मौका मिलता मैं आते-जाते उसकी चूचियों तो कभी गांड पर हाथ फेरता रहता और वो कसमसा कर रह जाती।
अब मैं हमेशा उसे चोदने के ही सपने देखने लगा और बहनचोद बनने के मौके की तलाश में रहने लगा।
आखिर मुझे मौका मिला, लेकिन लगभग साल भर बाद, जब मेरी नानी का देहान्त हुआ। मेरी मम्मी कोई 15 दिनों के लिए अपने मायके चली गई। पापा सुबह नाना के यहाँ चले गए और मैं कॉलेज ना जा कर लता के आने का इंतज़ार करने लगा।
दिन भी गरम होने लगे थे और मैं भी गरम था। सो सिर्फ चड्ढी में ही सामने के हॉल में बैठा था।
मेरी तो जैसे भगवान ने लॉटरी ही लगा दी थी। उस दिन लता भी 11 बजे ही घर आ गई। वो जैसे ही आई मैंने उसे पानी पिलाया। मुझे अंडरवियर में देख कर बोली- कपड़े क्यों नहीं पहने हो?
मैंने कहा- गर्मी बहुत लग रही है इसलिए।
तो वो बोली- हाँ, गर्मी तो कुछ ज़्यादा ही हो गई है  क्या करूँ?
मैंने झट से कहा- तुम भी कपड़े उतार लो।
तो वो कुछ बोली नहीं बस मुस्करा के रह गयी। मेरी हिम्मत बढ़ी और मैंने झट से उसे पीछे से जा उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया फिर उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए। उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने उसे घुमा के अपने सीने से लिपटा लिया। उसके मस्त निप्पल्स मेरी छाती से टकरा रहे थे।
वो थोड़ी देर तो कसमसाती रही लेकिन जैसे ही मैंने उसके निप्पल को हल्का-हल्का मसलना शुरू किया, वो थोड़ी-थोड़ी गरम होने लगी। मेरा लंड अब तक पत्थर की तरह कड़क हो गया था।
मैंने चड्ढी नीचे सरका के अपना लंड उसकी जांघ की दरार में लगा दिया तो वह अपने चूतड़ों को मटका-मटका कर मेरे लंड को रगड़ने लगी।
मैं इसी तरह से उसकी गर्दन और कन्धों को कोई पाँच मिनट तक चूमता रहा और उसके निप्पल मसलता रहा। फिर उसके होठों को चूसने लगा। इसके बाद मैंने चड्ढी पूरी तरह उतार दी और उसे लेकर सोफे पर बैठ गया। मैंने उसकी समीज को उतारना चाहा तो उसने रोक दिया पर मेरी गोद में बैठ कर मेरे होठों को वापस चूसना शुरू कर दिया।
क्या नरम और मुलायम होंठ थे उसके! बिल्कुल गुलाब की पंखुड़ियों जैसे!
वो जोश के साथ मेरा साथ दे रही थी। करीब दस मिनट बाद हम एक-दूसरे की जीभ चूसने लगे और ये चूमा-चाटी 15-20 मिनट तक ऐसे ही चलती रही। वो अब बुरी तरह से गरम हो गई थी और चुदने के लिए बेकरार हो रही थी।
इस बार जब मैंने उसके कपड़े उतारे तो उसने कोई विरोध नहीं किया और बिल्कुल नंगी हो हो ली।
हाय! वो तो जैसे क़यामत लग रही थी। नंगे बदन में! किसी नामर्द का लौड़ा भी उसके दूध और चूत देख कर खड़ा हो जाए। मैं उसे अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर ले गया।
मैं बिस्तर पर बैठ गया और उसे पास में खड़ा करके उसकी टाइट चूची के गुलाबी निप्पल को मुँह में भर के जोर से चूसने लगा और दूसरी चूची के निप्पल को मसलने लगा।
वो मदहोश हो गई और मेरा सिर अपनी चूचियों में दबाने लगी और कहने लगी- बस और बर्दाश्त नहीं हो रहा; जल्दी से कर दो।
मैंने उसे पलंग के किनारे पर लिटाया और खुद उसकी टांगों के बीच में आकर खड़ा हो गया। उसकी दोनों टांगों को खोल कर उसे अपने पैरों को पकड़ने के लिए कहा।
जैसे ही उसने अपने पैरों को खोल कर दोनों हाथों से पकड़ा, उसकी गुलाबी चूत के दर्शन होने लगे। उसमें से कुछ पानी सा निकला हुआ था और पूरी चूत उस रस से भीगी हुई थी। मैं अपने लंड की टोपी को उसकी चूत से रगड़ने लगा। ऐसा करने से मेरा लंड भी उसकी चूत के रस में गीला हो गया।
फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर सेट किया और एक हल्का सा धक्का मारा। मेरा लंड फिसलता हुआ चूत में घुसा और मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के छल्ले में जा कर कस गया। उसके चेहरे को देख कर लग रहा था कि उसे दर्द हो रहा है।
मैंने उससे कहा- थोड़ा दर्द होगा। पहली बार है न! उसके बाद मज़ा आएगा। तुम तैयार हो।
उसने कहा- ठीक है। डाल दो अब, साली फटती है तो फट जाने दो!
उसके बाद मैंने थोड़ा और दबाव डाला। उसकी चूत बहुत तंग थी। दबाव बढ़ाने से उसकी चूत चरमरा गई और लंड उसकी सील पर रुक गया। मैंने कमर को थोड़ा पीछे किया और एक जोर का झटका मारा। मेरा लंड उसके सील को फाड़ते हुए करीब आधा उसकी चूत में घुस गया।
लता के चेहरे पर पीड़ा साफ़ दिख रही थी। उसने अपनी गर्दन को टेढ़ा कर लिया था और जोर से जबड़े भींचे हुए थी। कमाल की बात थी वो दर्द से चीखी और चिल्लाई नहीं। मैंने समय न गंवाते हुए दूसरा जोरदार झटका मार दिया और पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया और उसके ऊपर लेट गया।
उसने अपने पैरों को छोड़ मुझे अपनी बाँहों में जोर से कस लिया। मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया और दो मिनट बाद लंड को थोड़ा-थोड़ा अन्दर-बाहर करने लगा
करीब पांच मिनट बाद ऐसा करने से लंड ने चूत में अपनी जगह बना ली और आराम से अन्दर-बाहर होने लगा और लता को भी मज़ा आने लगा।
मैं उसके ऊपर से उठा और खड़ा हो कर उसकी चुदाई करने लगा। खड़े होकर मैंने देखा कि मेरे लंड पर खून लगा है और थोड़ा उसकी चूत से बहते हुए बिस्तर की चादर पर भी गिरा है। फिर भी मैंने झटके लगाने चालू रखे।
अब तो लता भी मस्त हो कर साथ देने लगी थी और कूल्हे उठा-उठा कर लंड को अन्दर ले रही थी।
करीब पांच मिनट ऐसे ही उसको दबा के चोदा। फिर मैं सीधा बिस्तर पर लेट गया और उसे अपने लौड़े पर बैठा कर चोदा। बाद मैंने उसको बिस्तर पर कुतिया बना कर भी खूब पेला। उसके पीछे से लौड़ा एक झटके में अन्दर घुसा दिया और इसी आसन में कोई कोई 10 मिनट तक चोदता रहा।
वो ऐसे चुदते-चुदते बिस्तर पर छाती के बल ही पसर गई और मैं भी धक्के लगाता-लगाता उसके ऊपर ही चढ़ा रहा और उसके ऊपर लेट कर जोरदार शॉट मारता रहा।
इस तरह मैंने उसे करीब आधा घंटे तक 4-5 आसनों में चोदा और बहनचोद का खिताब हासिल किया। इस दौरान वो कई डिस्चार्ज हुई।
अब मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने अपना लंड निकाल कर सारा माल उसके पिछवाड़े पर डाल दिया।
बड़े मजे से उसने सारा माल अपने पिछवाड़े पर मल लिया। करीब 20 मिनट तक हम दोनों नंगे एक-दूसरे से ऐसे ही चिपके पड़े रहे। वो मेरे लंड की कायल हो गई थी।
करीब 10-12 दिनों तक हम दोनों की चाँदी ही चाँदी थी। घर पर कोई नहीं था और हम दोनों ने जी भर के चुदाई की। उन दिनों में पांच रात वो हमारे लिए रुकी और दिन-रात हम दोनों का खेल चालू रहता। जितनी रात वो रुकी हर रात मैंने उसकी गांड भी मारी।