मेरी प्यारी चुदासी सासू माँ-2

मेरी सास की चुदाई की इस सेक्स स्टोरी के पिछले भाग

मेरी प्यारी चुदासी सासू माँ-1
में आपने पढ़ा कि मैं अपनी सास के मुँह में अपना लंड डाल कर मजा ले रहा था.



अब आगे..

मैंने अपने हाथ अपनी सासू माँ के बालों में फंसा लिए और उनका मुँह अपने लंड पे दबाने लगा. फिर मोहिनी जी ने भी अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ा दी. अब वो पूरा लंड अपने मुँह में ले चुकी थीं.. और उसे अन्दर बाहर करके मुझे मुखचोदन करवा रही थीं.

तभी मेरा बदन अकड़ने लगा और मैंने कहा- बस मम्मी, रुक जाओ … नहीं तो मैं आपको गंदा कर दूँगा.


वो बोलीं- कर दो… आज तो तुम मेरे साथ जो करना चाहो, कर दो… ह्म्म्म्म म.. ऊऊहह दामाआद हो तो ऐसा.. आह.. उहह..


तभी मैंने एकदम से पिचकारी छोड़ दी उनके मुँह में जो सीधे उनके गले में उतर गई. बाद में मेरी सास ने मेरे लंड से जो धीरे धीरे रस बह रहा था, उसे भी चाट के साफ़ कर दिया.


अब उनका चेहरे और गर्दन की स्किन एकदम लाल हो गयी थी.

वो उठीं और जाकर मुँह धोकर फिर से बाथरूम से लिपस्टिक लगा आईं. इसके बाद वे आकर मेरे बगल में लेट गईं.

अब फिर से उन्होंने अपने हाथ धीरे धीरे मेरे सीने पे चलाना शुरू किए और कुछ ही पल बाद वो उठ कर मेरे सीने पे बैठ गईं और मेरे निप्पल को किस करने लगीं. इससे मेरा लंड फिर से तन्नाने लगा. फिर उन्होंने मेरे लंड को हाथ से पकड़ लिया और अपनी उंगलियां मेरी गोटियों और गांड के छेद पे फिराने लगीं.

फिर तो मैंने उन्हें झटके से अपने नीचे लेटा दिया.. और उनके पेटीकोट के ऊपर से ही मैंने अपना लंड उनकी चूत पे दबाने लगा था.

मेरी सास बोलीं- क्या आज मेरे पेटीकोट को भी अन्दर डाल दोगे?


तो मैंने कहा- पेटीकोट ही नहीं उसके नीचे पेंटी भी होगी ना.. वो भी आज डाल दूँगा.. तो मेरा जूस फिल्टर होकर जाएगा.


मेरी इस बात पर हम दोनों ही हँसने लगे.

फिर मैंने उन्हें उल्टा घुमा दिया. अब वो पेट के बल लेटी थीं और मेरे हाथ उनकी पीठ पर से चलते हुए.. उनकी गांड को क्रॉस करते हुए उनके पैरों पर आ गए थे. फिर मैंने उनके ब्लाउज के सारे हुक खोले और उन्हें अपने सामने बिठा लिया. फिर मैंने अपने दोनों हाथ उनके पीछे लेजा कर उनके ब्लाउज को उतार दिया. उन्होंने अन्दर सफ़ेद रंग की ब्रा बहनी थी, जिसके बीच में एक फूल बना था.

उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे के दोनों तरफ रख दिए और मैं नीच झुक कर उनकी बगलों में घुस कर सूंघने लगा. वही पुरानी उनकी प्यारी से खुशबू पसीने में मिक्स होकर आ रही थी, जो मुझे काफ़ी पसंद थी. मैं अपनी सास की बगलों को चाटने लगा.

फिर वो लेट गईं और मैं उनकी बगलें चाटते हुए उनकी ब्रा के साइड में आ गया. वो मेरे मुँह में देने के लिए अपने दूध उचकाने लगीं. मैं उन्हें किस करते हुए उनकी नाभि तक आ गया.

वॉवव… क्या सीन था. उनकी नाभि के पास पसीने की बूंदें थीं और उनकी नाभि ऐसी चमक रही थी, जैसे कोई सोना धूप में चमचमाता है. मैंने झुक कर अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी और उन्होंने एकदम से उचक के मेरा सिर पकड़ लिया.. और अन्दर को दबाने लगीं- आआमम्म्म.. क्या कर रहे हो कितना तड़पा रहे हो दामाद जी!

मैंने उनके पेटीकोट के नाड़े में अपनी उंगलियां फंसाईं और उसे खींच दिया. पेटीकोट हटा तो मुझे उनकी रेड और वाइट आदि लाइन्स वाली पेंटी के थोड़े थोड़े दर्शन होने लगे. मैंने अपना हाथ नीचे फिराते हुए उनके पेटीकोट को नीचे को सरकाया और जब मेरा हाथ उनकी पेंटी के ऊपर से उनकी चूत को छूते हुए निकला, तो जैसे वो मर ही गईं.

वो एकदम से सीत्कार करने लगीं- उउफफ्फ़ सीईईईईईई बेटा अब तो कुछ कर ही दो.. आआआअहह..

इस वक्त वो मेरे सामने पसीने में नहाई हुई सिर्फ़ सफेद ब्रा और रेड और वाइट आड़े स्ट्रिप्स वाली पेंटी में लेटी हुई थीं. और वो ऐसे तड़प रही थीं, जैसे कम पानी में कोई मछली तड़फती है. फिर मैंने अपने पैरों की उंगलियां उनकी पेंटी के ऊपर से ही चूत पे रख दीं. वो तो इतनी अधिक चुदासी थीं कि मेरी उंगलियों को ही चुत के अन्दर घुसाने में लग गईं और अपनी गांड मटकाने लगीं.

मैंने उन्हें उठा कर अपनी गोद में बिठा लिया. वो लपक कर मेरी गोदी में आ गईं, उनकी दोनों टांगें मेरी कमर से लिपटी हुई थीं. मैंने उनके होंठों को किस करना शुरू किया और उनको अपने से चिपका कर अपने हाथ उनके पीठ पे फिराने लगा. उनके बालों में हाथ डाल के मैंने उनका सिर पीछे को कर दिया और अपने होंठ उनकी गर्दन पे रख दिया.

फिर धीरे धीरे नीचे उनकी दूध घाटी तक आ गया और उसी वक्त मैंने पीछे से उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. उनके कड़क हो चुके मम्मे एकदम से जैसे आज़ाद हो गए और उनकी ब्रा लटक गई. फिर मैंने उसे ऐसे ही लिटा दिया और उनकी ब्रा उतार फेंकी.

वो मेरे सामने मेरी कमर में पैर लपेटे हुए सिर्फ़ पेंटी में लेटी हुई थीं जो गीली होने लगी थी. एक मस्त सी खूशबू पूरे रूम में छा गयी थी. मैंने उनके निप्पलों पर हल्के हल्के से मसाज देनी शुरू की.. और फिर धीरे धीरे अपनी हथेलियों से ग्रिप बनाते हुए उनके दूध पकड़ कर सहलाने लगा साथ ही उनकी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी.

अब मेरी जीभ उनकी नाभि और प्यूबिक रीजन में उनकी पेंटी के ऊपर घूम रही थी. अपने हाथ से मैं उनके दूध मसल रहा था और अपनी उंगलियों के बीच में उनके निप्पलों को फंसा फंसा के दबा रहा था. वो अपनी गांड उचका उचका कर मेरे लंड से अपनी चूत को दबा रही थीं.


मैंने उनकी चूत के ऊपर पेंटी के ऊपर से ही अपने होंठ रख दिए.. तो एकदम से मेरी सास की आवाज़ निकल गई- उउऊहफफ्फ़.

वो बोलीं- ऐसा लगा जैसे कि तुमने जलती हुई माचिस की तीली डाल दी हो.. ह्म्म्म्म म.. उम्म्म्म..

मेरे हाथ उनके मम्मों से नीचे होते हुए पीछे उनकी कमर तक पहुंच गए थे और मैंने उनकी जांघों को मसाज करना शुरू कर दिया. फिर मोहिनी ने अपनी टांगें खोल दीं और चौड़ी कर दीं. अब मैं अपने मुँह से उन्हें पेंटी के ऊपर से ही चोद रहा था और वो तड़प रही थीं- हमम्म्म.. बेटा आह आआआअहह आई लव यू.. फक्क मी राजाआ.. आअहह..

मेरे हाथ उनकी जांघों से होते हुए साइड से उनकी पेंटी के अन्दर चले गए. मैंने उनकी पेंटी खींच के उतार दी.


आआआअहह … मोहिनी ने क्या मस्त चूत पाई थी.. उनकी चूत पे एक भी बाल नहीं था… और ऐसी गुलाबी रंगत लिए हुए फूली सी चूत थी कि मेरा लंड बाग़ बाग़ हो गया. इस वक्त मेरी सास की चूत में से पानी सा रिस रहा था, जो उनकी चूत की लाइन से होता हुआ, उनकी गांड के छेद में घुसते हुए बिस्तर पर भी टपक रहा था.

मैं अभी अपनी सास की चूत के दीदार ही कर रहा था कि इतने में ही उन्होंने मेरा मुँह पकड़ कर अपने चूत पे दबा दिया.


“आआआ आअहह उई उम्म्म्म…”


फिर मैंने धीरे से उनकी चूत की फांकों को खोला और अन्दर से उनका चना सा दाना दिखने लगा, तो मैंने अपनी जीभ से उसे छेड़ दिया. वो फिर से तड़प गईं.

मैंने अपनी जीभ उनकी पूरी चूत पे फिरानी शुरू की तो वो उचक उचक के मेरा साथ देने लगीं. मैं साथ साथ अपने हाथों से उनकी जांघें, दूध, बगलें, पेट, गांड सब मसल रहा था.

इतने में ही मेरी सास का बदन टाइट हो गया और एकदम से वो ढीली पड़ गईं. वो झड़ चुकी थीं और उनकी चूत का रस मेरे मुँह में आ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि नमकीन अमृत पी रहा होऊं.


मैंने अपनी सास की चूत का पूरा रस पी लिया.. यहां तक कि जो रस चादर पे भी गिर रहा था, वो भी मैंने चाट लिया.

अब मेरी सास मुझसे बोलीं- तुम बहुत नॉटी हो मुझे किए बिना ही ठंडा कर दिया, लेकिन मुझे अभी तृप्ति नहीं मिली है, मैं बाथरूम से आती हूँ. अभी मुझे सूसू आ रही है.


तो मैंने कहा- तो कहीं जाने की क्या ज़रूरत है.. यहीं मैं हुआ ना तुम्हारी टॉयलेट सीट.. आ जाओ.


मेरी सास बोलीं- धत्त् शरम नहीं आती क्या..?


तो मैंने अपनी सास को अपनी तरफ खींचते हुए कहा कि अब भी तुम्हें मुझसे किसी काम में शर्म आएगी क्या?


फिर वो मना करने लगीं, तो मैं ज़िद करने लगा.. अंततः वो मान गईं.

अब मैं नीचे फर्श पर लेट गया. वो sixty nine में मेरे ऊपर मेरे मुँह पे अपनी चूत लगा कर बैठ गईं और उन्होंने अपने मुँह में मेरा लंड पकड़ लिया.

फिर मेरा इशारा पाते ही उन्होंने एक तेज़ धार छोड़ी, सर्रर्र… करके उनकी पेशाब मेरे मुँह में आने लगी.


“आआआहह मज़ा आ गया मेरी जान.. इतना मज़ा तो किसी कोल्ड ड्रिंक में भी नहीं आता.. जो आपकी इस हॉट ड्रिंक में है मम्मी जी…”

दो पल बाद ही उनकी चूत में से टॉयलेट की बूँद बूँद टपक रही थी.. मगर मैं एक भी बूँद नहीं मिस करना चाहता था, तो मैंने ज़ोर से उनकी चूत पर अपने मुँह का ढक्कन लगा कर पूरा रस चाट लिया.

मैं अब बिस्तर पर आ गया, हल्की होने के बाद वो भी मेरी बाजू में लेट गईं और अपने हाथों से मेरा लंड सहलाते हुए उससे खेलने लगीं.

मेरे हाथ इस वक्त अपनी सास की चूत पे थे और मैं उनकी चूत को सहला रहा था. मैंने धीरे धीरे उनकी चूत पे हाथ फेरते हुए अपनी एक उंगली को उनकी चूत में डाल दी, तो वो थोड़ी उचक कर बोलीं- क्या कर रहे हो यार.. बता दो दिया करो.


मैं उसी एक उंगली को उनकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा. चूत कुछ गरम हुई तो मैंने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी डाल दी.

अब वो फिर से गर्म होने लगी थीं, मेरी सास बोलीं- आ जाओ राजा.. अब देर मत करो.


मैंने उन्हें अपने नीचे लिटाया और उनकी दोनों टांगें चौड़ा कर फैला दीं. अपनी उंगलियों से उनकी चूत की फांकों को फैला दिया और अपने लंड का सुपारा मैंने चूत के मुहाने पर रख दिया.

लंड का स्पर्श अपनी चुत पर पाते ही मेरी सास के मुँह से ‘आआआहह..’ निकल गया. वे बोलीं- इस पल के इंतज़ार में न जाने कितने साल गुज़ार दिए दामाद जी.. क्या आपको मेरे इशारे समझ में ही नहीं आ रहे थे?


मैंने कहा- देर से ही सही.. मगर समझ तो गया मेरी जान मोहिनीई. आअहह..

इतने में मैंने एक झटके में ही अपना लंड अपनी सास की चूत की गहराइयों में उतार दिया.


मेरी सास ने मुझे गाली देते हुए ‘आहह साले ह्म्म्म्म .. ऊऊओह..’ भरी और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपने दूध मेरे मुँह में घुसेड़ कर कहा- लो खा जाओ, पी जाओ.. तुम साले मुझे मम्मी बोलते हो मगर दूध नहीं पियोगे… तो कैसे मैं तेरी मम्मी बनूँगी.

मैंने अपनी सास के दूध चुसकते हुए धीरे धीरे अपने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं एक हाथ से उनके बालों में डाल कर उनकी गर्दन को पकड़े हुए था और दूसरे हाथ से उनके दूध को जड़ से पकड़ कर अपने मुँह में घुसाए हुए खूब ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था.

“हम्म्मम.. दामाआआद जीईईई.. बेटाअ राजाआ.. खूब.. चोद दोव आज अपनी सास को.. अपनी बीवी की माँआआअ चोद दोओ.. ”


“मोहिनीईई आआअहह उम्म्म्म.. ऊउउ फफ्फ़ क्या.. मजा आआ.. रहाआ.. है मेरी जान…”

इस तरह की चुदासी आवाजों से कमरा गूंजने लगा. फिर मैं उठ कर बैठा और मैंने दोनों हाथ से अपनी सास के दूध मसलने शुरू कर दिए और बारी बारी से उन्हें चूसने भी लगा. साथ ही लंड के धक्के तो चालू ही थे.

करीब 20 मिनट लंड पेलने के बाद उनकी चूत की तो माँ चुद गयी थी. मेरे लंड को भी उलटी करने का मूड बन गया था. अब हम दोनों ही झड़ने वाले थे. उन्होंने मेरी पीठ पे अपनी पकड़ और मजबूत कर ली और मैंने उनकी गर्दन को ऐसा पकड़ा जैसे कि अब मैं उनकी गर्दन को मरोड़ ही दूँगा. उनके एक दूध को अपने मुँह में भर के ऐसे भींच लिया, जैसे काट कर छाती से अलग ही कर दूँगा.

हम दोनों के शरीर एकदम से एक दूसरे से चिपक गए और कड़क हो गए. बस फिर 2 मिनट के बाद एक तेज सीत्कार के बाद हम दोनों निढाल हो गए. अब हम दोनों एक साथ झड़ चुके थे.

मैं थोड़ी देर ऐसा ही पड़ा रहा और फिर लंड निकालने लगा तो वो बोलीं- ऐसे ही रहने दो.. उसे मेरी पार्किंग में ही रहने दो.. अच्छा लग रहा है.

फिर थोड़ी देर से हम दोनों ने एक और नया सेशन स्टार्ट किया मगर अबकी बार मैंने उन्हें घोड़ी बना कर उनकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया और उनके लटकते हुए मम्मों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल दिए.

उस रात हम दोनों ने 5 बार चुदाई की थी. उसके बाद जब तक मेरी बीवी वापस नहीं आ गई, मैं रोज उसकी माँ चोदता रहा.

तो यह थी मेरी सास के साथ मेरी पहली सुहागरात की कहानी.. इसके बाद तो जैसे कुदरत हम पर मेहरबान हो गयी थी, उस टाइम एक महीना हम दोनों एक दूसरे के साथ रहे और फिर थोड़े दिनों बाद राखी पर भी उन्होंने मुझे एक दिन के लिए रहने को बुला लिया था. फिर जब भी मौका मिलता, हम दोनों अपना प्रोग्राम शुरू कर देते.

फिर से एक बार ससुर को बाहर जाना हुआ तो वे मेरी बीवी के साथ मुझे अकेले छोड़ कर चले गए. मेरी सास ने एक हफ्ते के लिए मुझे फिर से अपनी हवस बुझाने के लिए बुला लिया. फिर से मैंने मेरी सास की चुदाई की कहानी लिख डाली.

आपके मेल का इन्तजार रहेगा.

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