दोनों भाइयों ने एक ही लड़की से अपनी प्यास बुझाई – hindi chudaai kahani

दोनों भाइयों ने एक ही लड़की से अपनी प्यास बुझाई – hindi chudaai kahani

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मेरा नाम अमित है, मेरी उम्र 25 वर्ष है और मेरा एक छोटा भाई भी है जिसकी उम्र मुझसे सिर्फ एक साल ही कम है। हम दोनों दोस्त की तरीके से रहते हैं और उसका नाम आदर्श है। हम दोनों स्कूल से ही एक साथ पढ़ते हुए आ रहे हैं, हम दोनों एक ही क्लास में थे और कॉलेज में भी हम दोनों एक साथ ही थे। हम दोनों के बीच में बहुत ज्यादा प्रेम है और हम दोनों हमेशा ही एक साथ रहते हैं। मैंने इसीलिए किसी और के साथ कभी दोस्ती नहीं की क्योंकि मुझे आदर्श ने मुझे कभी भी किसी दोस्त की कमी महसूस नहीं होने दी। हम दोनों बहुत ही खुलकर साथ में रहते हैं और वह मुझसे अपनी हर एक बात शेयर करता है। हम लोगों के माता-पिता भी हमारे साथ रहते हैं और हम लोग अमृतसर में रहते हैं। मेरे पिताजी का हार्डवेयर का काम है और वह काफी समय से यह काम कर रहे हैं। हम दोनों भाइयों को जब भी समय होता है तो हम उनके साथ दुकान पर चले जाते हैं।

मेरे पिताजी हम दोनों से ही खुश रहते हैं और कहते हैं कि तुम दोनों को जब भी मैं साथ में देखता हूं तो मुझे बहुत खुशी होती है और तुम दोनों का आपस में इतना प्रेम है, वह भी बहुत अच्छा है यदि तुम हमेशा ही इस प्रकार से रहो तो कितना अच्छा रहेगा। आदर्श हमेशा कहता रहता था कि मैं कभी भी अमित से अलग नहीं रह सकता हूं, ना ही वह मुझसे कभी भी अलग रह सकता है। हम लोग जिस कॉलोनी में रहते थे वहां पर सब लोग हमें जानते थे। हमारे पड़ोस में एक लड़की रहने के लिए आती है, उसका नाम महिमा है। मुझे वह बहुत ही पसंद है और आदर्श को भी वह पसंद आई। मैं यह बात जब आदर्श से कहता हूं तो वह मुझसे कहता है कि मुझे भी महिमा बहुत पसंद है। हम दोनों के बीच में शर्त लग जाती है कि जो भी उसे पहले अपने दिल की बात कहेगा वह महिमा के साथ रिलेशन में रहेगा लेकिन महिमा हम दोनों की तरफ कभी भी देखती नहीं थी और वह हमेशा हम दोनों को इग्नोर करती रहती थी। मुझे हमेशा लगता था कि महिमा शायद हम दोनों को जानबूझकर इग्नोर कर रही है। जब भी वह छत में आती तो हम दोनों भी छत में पहुंच जाते थे और हम दोनों उसे छत से देखते रहते थे। महिमा किसी कंपनी में नौकरी करती थी लेकिन हम दोनों उससे कभी भी बात नहीं कर पाए।

मुझे लगने लगा कि अब मुझे महिमा से बात करनी चाहिए और आदर्श भी ऐसा ही सोचता था लेकिन हम दोनों ही भाई उससे बात नहीं कर पाते थे क्योंकि वह सुबह अपने ऑफिस के लिए निकल जाती थी और शाम को ही वह घर वापस लौटती थी इसी वजह से हम दोनों उससे कभी भी बात नहीं कर पाए और ना ही कभी उसने हम दोनों से बात की। मैंने जब महिमा का नंबर ले लिया तो एक दिन मैंने उसे फोन कर दिया। जब मैंने उसे फोन किया तो उस दिन उसने मेरा फोन उठा लिया लेकिन मेरी उससे बात करने की हिम्मत नहीं हुई और मैंने फोन तुरंत ही काट दिया। जब मैंने फोन काटा तो मुझे लगा कहीं उसे यह शक ना हो जाए कि हम दोनों भाई मिलकर उसे परेशान कर रहे हैं क्योंकि उसे यह तो पता था कि हम दोनों उसका हमेशा ही पीछा करते हैं। जब भी वह अपने ऑफिस जाती तो हम दोनों गाड़ी से उसका पीछा करते थे लेकिन ना तो आदर्श की हिम्मत हो रही थी और ना ही मेरी हिम्मत महिमा से बात करने की थी। एक दिन हमारे दोस्त की बहन हमे दिखाई दी, जब हमने उससे पूछा कि तुम कहां जा रही हो,  तो वह कहने लगी कि मेरी सहेली यहां पर रहती है। जब हमने उससे पूछा कि तुम्हारी कौन सी सहेली यहां पर रहती है तो वह कहने लगी कि मेरी सहेली का नाम महिमा है,  वह यहीं पर रहती है। मैंने उनसे पूछा कि क्या तुम उसे जानते हो, वह कहने लगी कि मैं उसे बहुत पहले से जानती हूं, हम लोग एक साथ ही काम कर रहे हैं और उससे पहले हम दोनों कॉलेज में साथ में ही पढ़ते थे। तभी कुछ देर बाद महिमा भी आ गई और मेरे दोस्त की बहन ने हम दोनों का परिचय महिमा से करवाया। अब हम दोनों की महिमा से बात होने लगी थी और हम दोनों ही महिमा से बात किया करते थे। जब भी वह अपने ऑफिस से आती थी तो हम दोनों उसे दिख जाते थे और वह हमसे बात करती थी लेकिन वह हम में से किसी के साथ भी रिलेशन में नहीं थी और ना ही हम दोनों की हिम्मत उससे इस बारे में बात करने की हो रही थी।

मैंने बहुत ही कोशिश की लेकिन मैं उसे अपने दिल की बात बिल्कुल भी कह नहीं पाया और ना ही आदर्श उसे कुछ भी कह पाया इसलिए हम दोनों ने ही अब सोचा कि हम दोनों यह सब रहने देते हैं और अपने काम पर ध्यान देते हैं। उसी दौरान मेरे पिताजी ने कहा कि तुम दोनों अब दुकान का काम भी संभाल लिया करो, हमने उनसे कहा कि ठीक है हम लोग दुकान का काम भी देख लिया करेंगे। अब हम दोनों दुकान में ही रहने लगे और हम दोनों के दिमाग से महिमा का ख्याल उतर गया था क्योंकि हम दोनों इतना ज्यादा काम करते थे कि हमें बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था। मेरे पिताजी की दुकान में बहुत सारे कस्टमर आते हैं जो कि उनसे ही सामान खरीदते हैं और वह मेरे पिताजी से ही सारा सामान लेकर जाते हैं इसी वजह से हमें बिल्कुल भी समय नहीं मिल पा रहा था। एक दिन मुझे महिमा मिल गई और जब महिमा मुझे मिली तो मेरे अंदर के अरमान दोबारा से जाग गए और मुझे लगा कि मुझे उससे बात करनी चाहिए और अपने दिल की बात कह देनी चाहिए। जब मैंने महिमा से अपने दिल की बात कही तो वह शरमाते हुए अपने घर चली गई लेकिन उसने मेरी बातों का कुछ भी जवाब नहीं दिया।

मुझे लगा कि शायद उसे मेरी बात बुरी लग गई हो, मेरे पास महिमा का नंबर था मैंने उसे फोन कर दिया और उसे पूछा कि क्या तुम्हें मेरी बात का बुरा लगा। वह कहने लगी मुझे तुम्हारी बात का बुरा नहीं लगा, मुझे तुम पहले से ही पसंद थे लेकिन मैंने तुम्हें कभी भी नहीं कहा। मैं यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ और जब मैंने यह बात आदर्श को बताई तो वह कहीं ना कहीं मुझसे जल रहा था और उसे लग रहा था कि शायद वह मुझसे हार गया है। मेरे और महिमा के बीच में फोन पर बातें होती थी तो आदर्श भी मेरी तरफ देखता था लेकिन मैं उसे हमेशा चिडाता रहता था। एक दिन वह मुझसे कहने लगा कि तुम मुझे जानबूझकर चिड़ाते हो, मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हें जानबूझकर क्यों चिड़ाऊंगा, मैं तो महिमा के साथ खुश हूं और मैं उसे मूवी दिखाने के लिए ले जा रहा हूं। मैंने जब उसे टिकट दिखाएं तो वह मुझ पर गुस्सा हो गया और वह कमरे से चला गया। मैं भी उसके पीछे पीछे गया और मैंने उसे कहा कि मैंने तीन टिकट ली है तुम भी हमारे साथ चल रहे हो, जब मैंने उसे यह बात कही तो वह खुश हो गया और वह भी मेरे और महिमा के साथ आ गया। हम तीनो ही बैठकर मूवी देख रहे थे और बहुत ही इंजॉय कर रहे थे। महिमा मूवी देखकर बहुत खुश हो रही थी और हम दोनों भी महिमा के साथ मूवी देखकर बहुत खुश थे। मुझे महिमा के साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है। जब मूवी खत्म हो गई तो उसके बाद हम लोग घर वापस लौट आएं। हम लोग जब घर वापस लौटे तो महिमा कहने लगी कि तुम लोग आज मेरे घर पर चलो, मैंने उसे कहा नहीं हम लोग फिर कभी आएंगे जब समय होगा। लेकिन वह हमें जिद करने लगी और अपने साथ घर पर ले गई। जब हम लोग उसके घर पर गए तो उसने बहुत ही अच्छे से साफ सफाई की हुई थी। हम दोनों ही महिमा से कहने लगे कि तुमने तो बहुत अच्छे से साफ सफाई की है वह कहने लगी कि मुझे साफ सफाई का बहुत ही शौक है इसीलिए मैंने घर की अच्छे से सफाई की हुई है। वह हमसे कहने लगी कि मैं कपड़े चेंज कर कर आती हूं जब वह अपने दूसरे रूम में कपड़े चेंज कर रही थी तो मैं उस रूम में चला गया और आदर्श बाहर ही बैठा हुआ था। मैं जब उसके रूम में गया तो वह पूरी नंगी थी उसकी गांड बहुत ज्यादा बडी थी मैंने जैसे ही उसे पकड़ा तो वह बहुत डर गई और मुझसे चिपक गई।

जब उसने मुझे देखा तो उसके बाद उसने मेरे होठों को किस कर लिया और मैंने भी उसके होठों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने उसके होठों को बहुत अच्छे से चूसा जिससे कि उसका पूरा बदन टूटने लगा और उसे बहुत मजा आने लगा। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था मैं भी उसके होठों को बहुत अच्छे से किस कर रहा था मैंने उसके स्तनों को चूसा काफी देर तक उसके स्तनों को चूसने के बाद मैंने उसे वहीं लेटा दिया। मैंने अपने लंड को उसकी योनि में डाला तो वह चिल्ला उठी और कहने लगी कि तुमने मेरी चूत को फाड़ कर रख दिया। आदर्श ने हम दोनों को देख लिया उसने भी अपने लंड को निकालते हुए महिमा के मुंह में डाल दिया और मैं उसे बड़ी तेजी से चोद रहा था। मैंने उसे 10 मिनट तक ऐसे ही धक्के मारे लेकिन मेरा माल गिर गया। आदर्श ने महिमा को घोड़ी बना दिया और अपने लंड को उसकी योनि में डाल दिया। जब उसने अपने लंड को महिमा की चूत मे डाला तो वह चिल्लाने लगी और आदर्श उसे बड़ी तेजी से झटके मार रहा था। उसका लंड उसकी पूरी चूत से मिल रहा था और उसे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। वह भी अपनी चूतडो को आदर्श से मिला रही थी और वह उसे उतनी ही तेजी से धक्के मारता जाता। मैं यह सब देख रहा था आदर्श ने उसे बहुत तेज तेज धक्के मारे उसका वीर्य गिरने वाला था उसने अपने लंड को बाहर निकालते हुए महिमा के मुंह में डाल दिया और उसने उसका सारा माल अपने अंदर ही समा लिया।

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