सहेली के पिता से प्रभावित होकर

Saheli ke pita se prabhavit hokar:

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मेरा नाम संगीता है मैं 25 वर्ष की हूं। मैं एक बार अपनी सहेली के घर पर गई हुई थी, उनका घर लखनऊ में है, वह मेरे साथ मेरे कॉलेज में ही पढ़ती थी। संजना मुझसे कहने लगी कि तुम मेरे साथ मेरे घर पर चलो, मैं संजना के साथ उसके घर लखनऊ चली गई और मेरे माता-पिता ने भी कहा कि तुम कुछ दिनों के लिए कहीं घूम आओ, तुम्हें भी अच्छा लगेगा। मैं इसलिए संजना के साथ उसके घर पर चली गई। जब मैं संजना के पापा से मिली तो मैं उनसे मिलकर बहुत ही प्रभावित हुई,  वह एक बड़े लेखक हैं और मै उनसे इतनी ज्यादा प्रभावित हुई कि मैं उनके पास ही जाकर बैठ जाती और उनसे पूछती कि आपने लिखना कब से शुरू किया, वह मुझसे अपने तजुर्बे शेयर करते और कहते कि पहले मुझे लिखने का शौक नहीं था लेकिन मेरा एक मित्र हमारे कॉलेज में बहुत ही अच्छा लिखता था। जब मैं उसके साथ हॉस्टल में रहा तो उसके बाद से मेरे अंदर भी लिखने की उत्सुकता बढ़ने लगी और मैंने भी लिखना शुरू कर दिया।

लिखते लिखते मैं अब एक अच्छा लेखक बन चुका हूं लेकिन अभी भी मुझे कई बार ऐसा महसूस होता है कि मेरे अंदर बहुत कमियां हैं। संजना के पापा की पहचान बहुत ही अच्छी है और उनके घर पर काफी बड़े बड़े लोग आते हैं क्योंकि वह एक अच्छी पोस्ट से रिटायर भी हो चुके हैं। संजना की फैमिली बहुत ही अच्छी है और संजना उनकी इकलौती लड़की है इसलिए वह संजना को बहुत ही प्रेम करते हैं। मेरी जितनी भी बात संजना के पिताजी से हुई मुझे लगा कि वह बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं और बहुत ही सज्जन भी हैं। वह बहुत ही धीमी आवाज में बात करते हैं और उनके साथ जितना भी बैठे उतना कम लगता है। एक बार मैं और संजना उनके किसी रिश्तेदार के घर चले गए, हम लोग वहां काफी देर तक बैठे हुए थे, उसके बाद हम दोनों ने प्लान बनाया कि हम लोग कहीं घूमने चलते हैं और हम दोनों ही घूमने के लिए निकल पडे। संजना और मैं बहुत ही खुश हो रहे थे क्योंकि काफी समय बाद मैं भी घर से कहीं बाहर अकेले घूमने के लिए निकली थी। संजना का कॉलेज में एक बॉयफ्रेंड भी था जिसका नाम अमन है, वह भी लखनऊ में ही रहता है।

संजना मुझसे कहने लगी कि हम लोग हम अमन से भी मिल लेते हैं, जब संजना ने मुझे अमन से मिलाया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा क्योंकि अमन से मैं काफी समय बाद मिल रही थी, अमन मुझे कहने लगा कि तुमने बहुत अच्छा किया कि तुम यहां घूमने के लिए चली आई। अमन मुझे कहने लगा कि तुम्हारा कल का क्या प्रोग्राम है, मैंने उसे बताया कि मेरा तो कुछ भी प्रोग्राम नहीं है यदि तुम कुछ प्रोग्राम बनाओ तो हम लोग वहां चलते हैं। अमन कहने लगा कि यहां से कुछ दूरी पर ही मेरा गांव है यदि तुम मेरे साथ मेरे गांव में चलो तो हम लोग वहां पर काफी अच्छा समय बिता पाएंगे। मैंने उसे कहा चलो यह तो अच्छी बात है यदि तुम हमें अपने गांव घुमाने के लिए लेकर जा रहे हो तो। वह कहने लगा कि तुम कल सुबह जल्दी तैयार हो जाना मैं तुम्हें रिसीव कर लूंगा और हम लोग मेरी कार से ही मेरे गांव चलेंगे। मैंने अमन से कहा ठीक है हम लोग कल तुम्हारे गांव चलते हैं। अमन और संजना बैठ कर बात कर रहे थे और मैं अपने फोन में लगी हुई थी, मैं अपने फोन में ही अपने पुराने दिन याद कर रही थी। जब मैं हमारी कॉलेज की तस्वीरें देख रही थी तो मैं सोचने लगी कि हमारे कॉलेज के दिन कितने अच्छे थे, मुझे ध्यान आया कि किस प्रकार से अमन ने संजना को प्रपोज किया था। पहले संजना मना कर रही थी लेकिन बाद में वह भी इस रिलेशन के लिए मान गई और दोनों को एक दूसरे के साथ बहुत ही खुश हैं। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था जब वह दोनों एक दूसरे के साथ बैठे हुए थे। मैंने आज तक कभी भी किसी लड़के को दिल से नहीं चाहा, कॉलेज में एक लड़का मेरे पीछे पड़ा हुआ था लेकिन मैंने उसे मना कर दिया क्योंकि मैं किसी भी रिलेशन में बंध कर नहीं रहना चाहती इसी वजह से मैंने उस लड़के को रिलेशन के लिए मना कर दिया था। मैंने उन दोनों से पूछा कि तुम्हारी बातें खत्म हो गई हो तो हम लोग घर चले, वह कहने लगी चलो हम लोग घर चलते हैं। संजना और मैं घर चले गए तो उसके पापा पूछने लगे की तुम लोग इतनी देर कहां थे, संजना कहने लगी कि हम लोग अपने एक दोस्त से मिलने चले गए थे और कल हम लोग उसी के साथ उसके गांव जा रहे हैं, संजना के पापा ने कुछ भी नहीं कहा और वह अपने कमरे में चले गए।

संजना की मम्मी कहने लगी कि तुम दोनों अपना ध्यान रखना और हमें फोन कर देना। अगले दिन सुबह ही अमन संजना के घर के बाहर आ गया और हम लोग उसकी कार में उसके गांव चले गए। जब हम लोग अमन के गांव जा रहे थे तो बीच में ही अमन की गाड़ी का टायर पंचर हो गया और हमें काफी देर तक इंतजार करना पड़ा, हमें काफी लेट भी हो चुकी थी इसलिए हम लोगों ने सोचा कि अब अमन के गांव जाने का फैसला कैंसिल कर दिया जाए क्योंकि काफी देर हो चुकी है। हम लोग एक साथ ही बैठे हुए थे और उसके बाद हम लोग घर वापस आ गए। संजना के पिता जी कहने लगे कि तुम लोग तो बहुत ही जल्दी घर आ गए, मैंने उन्हें कहा कि हम लोगों का प्लान कैंसिल हो गया था इसलिए हम लोग जल्दी ही घर आ गए, हम लोग आपस में बैठकर बात करने लगे और मैं संजना के साथ बात कर रही थी। संजना कहने लगी कि आज का प्लान तो हमारा पूरा ही खराब हो गया, कुछ देर बाद वह अपने कमरे में चली गई और अमन के साथ फोन पर बात करने लगी, मैं अकेली बोर हो रही थी इसीलिए मैं संजना के पिता जी के रूम में चली गई।

मै उनके साथ बैठे हुई थी तो हम लोग बात कर रहे थे और संजना के पिता ने अपना कमरा अंदर से बंद कर लिया। हम दोनों ही बात कर रहे थे और बात करते करते जब उनका हाथ मेरे स्तनों पर लगा तो मुझे बहुत अच्छा लगा और ना जाने मेरे अंदर से एक अलग ही प्रकार की भावना पैदा होने लगी। जब उन्होंने अपने मोटे और कड़क लंड को बाहर निकाला तो मैंने उसे अपने मुंह में ले लिया और अच्छे से चूसने लगी। मुझे उनका बड़ा लंड अपने मुंह में लेकर बहुत अच्छा लग रहा था और मैं उनके लंड को बड़े अच्छे से सकिंग कर रही थी। काफी देर तक मैंने ऐसा ही किया और जब उन्होंने मेरी योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो मुझे बहुत तेज दर्द हुआ क्योंकि मैंने आज तक किसी के साथ भी सेक्स नहीं किया था। उन्होंने मुझे बड़ी तेज तेज झटके देने शुरू कर दिए वह मुझे इतनी तेजी से चोद रहे थे कि मेरे मुंह से आवाज निकल रही थी। मैंने उन्हें कहा कि अंकल आप तो बड़े ही खिलाड़ी हैं आप जिस प्रकार से मुझे चोद रहे हैं मुझे बहुत ज्यादा अच्छा महसूस हो रहा है। उन्होंने मुझे काफी देर तक ऐसे ही चोदा लेकिन जब उनका वीर्य पतन हुआ तो वह कहने लगे कि अब तुम घोड़ी बन जाओ मैं तुम्हें घोड़ी बनाकर चोदूंगा। मैने उन्हे कहा कि नहीं मैं आपके ऊपर से लेट जाती हूं। वह अपने बेड पर लेटे हुए थे और जब मैं उनके ऊपर लेटी तो उनका लंड मेरी योनि के अंदर चला गया जैसे ही उनका लंड मेरी योनि में घुसा तो मुझे बहुत तेज दर्द होने लगा लेकिन मुझे बहुत मजा भी आ रहा था। मैं पूरे मूड में आ चुकी थी मैं अपनी चूतडो को बड़ी तेजी से हिलाने पर लगी हुई थी। मैंने अपनी चूतडो को इतनी तेजी से हिलाया तो मुझे बहुत ज्यादा दर्द महसूस होने लगा लेकिन काफी मजा भी आ रहा था। मेरी योनि के अंदर बाहर उनका लंड हो रहा था तो मुझे बहुत खुशी हो रही थी। मैंने उनसे कहा कि मुझे बहुत ही मजा आ रहा है जब आपका मोटा लंड मेरी योनि के अंदर जा रहा है। वह भी मेरे यौवन का रसपान कर के बहुत ही खुश हो रहे थे। वह कहने लगे कि मैंने काफी समय बाद किसी को इतने अच्छे से चोदा है। मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई लेकिन मैं ज्यादा समय तक उनके लंड को झेल नहीं पाई और जैसे ही उनका वीर्य मेरी योनि में गिरा तो मुझे बहुत ही शांति महसूस हुई।


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