सगी मौसी की चुदाई

मेरा नाम मनोज है, मेरा घर रायगढ़ में है पर मैं रायबरेली का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 19 वर्ष है, मैं 12वीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं हृष्टपुष्ट नौजवान हूँ। मम्मी पापा के अलावा मेरा एक छोटा भाई है और एक छोटी बहन है, हम सब साथ ही रहते हैं।

जवानी आने की वजह से मैं अक्सर मूठ मारता हूँ, जिसके कारण मेरा लाँड़ काफी बड़ा हो गया है।

अब मैं कहानी पर आता हूँ। एक बार मेरे घर में मेरी मौसी घूमने के लिए आई थी। वो जवान और बेहद खूबसूरत थीं, उनकी शादी नहीं हुई है और उनकी गदराई हुई जवानी देख कर मेरा लाँड़ आसमान को छूने लगता था। उनका शरीर बेहद सेक्सी था। कोमल बदन, उभरे स्तन, गोल चूतड़ मेरे होश उड़ा देते थे। वो मुझसे बहुत फ्रैंक थी, तो कई बार मैं उनके काफी करीब चला जाता और उनके मम्मे मेरी छाती से टकरा जाते जिससे मेरा लाँड़ Ninety डिग्री खड़ा हो जाता।

मेरा मन कई दिनों से उन्हें चोदने का कर रहा था, मौसी भी मुझे कई इशारे कर चुकी थी पर माँ पापा के घर में होने के कारण मेरे अरमान दिल में ही रह जाते, कुछ नहीं कर पाता था।

एक दिन किसी कारण मेरे माता पिता को बाहर जाना पड़ा वो अगले दिन शाम को आने वाले थे। उस दिन मैंने ठान ली कि आज तो मौसी की चूत में अपना लोड़ा डाल के ही रहूँगा। और शायद मौसी को भी यही चाहिए था इसलिए उस दिन वो काफी खुश थीं।

रात के करीब दस बजे होंगे कि हम सब खा पीकर सोने को तैयार थे। माँ पापा के ना होने के कारण मौसी, मैं, और मेरे भाई बहन एक ही कमरे में सोने वाले थे। कमरे में दो बेड थे एक में मेरी बहन और मौसी थे और एक में मैं और मेरा भाई थे। सभी सो गए थे पर मैं बेताबी के कारण नहीं सो पा रहा था और मेरा लौड़ा खड़ा हो गया था जिसे मैंने अपने हाथों से पकड़ रखा था।

कि तभी मुझे मौसी करवट लेती दिखाई दीं, मैं समझ गया कि वो भी मुझसे चुदना चाहती हैं इसलिए जागी हुई हैं। ऐसे ही बेचैनी में समय बीतता गया और रात गहरी होती गई।

करीब एक बजे मैं खुद को रोक नहीं पाया और मौसी के करीब जाकर बैठ गया। मेरी बहन दूसरी तरफ करवट ले कर सोई हुई थी। खिड़की से कमरे में थोड़ी सी रोशनी आ रही थी और उसमें मौसी का गोरा, कोमल बदन मेरी जान ले रहा था। मैं खुद को रोक नहीं पाया और झट से अपना चेहरा उनके चेहरे के पास ले गया। वो नींद में थी या नाटक कर रही थी पर उनकी आँखें बंद थी। मैंने झट से अपने होंठ उनके होठों पर रख दिये और चूमने लगा।

तुरंत ही वो जाग गई और मुझे देख कर चौंक गई पर मेरे होंठ उनके होठों पर होने के कारण कुछ बोल नहीं पाईं। थोड़ी देर मैं उनके होंठ इसी तरह चूमता और चूसता रहा। मौसी अब मेरा साथ देने लगी थीं और मेरे होठों को चूस रहीं थी। मैं फिर उन्हें चूमना छोड़ कर उन्हें उठने का इशारा किया तो वो उठ कर बैठ गईं। मैं झट से उनका हाथ पकड़ा और दरवाजे की तरफ ले गया।

उन्होंने विरोध नहीं किया और फिर मैंने दरवाजा धीर से खोला और उन्हें बाहर निकाला, फिर मैंने उस कमरे को बाहर से बंद कर दिया। मैंने मौसी का हाथ पकड़ कर उन्हें मम्मी-पापा के कमरे में ले गया, वो चुपचाप मेरे साथ आ गईं।

कमरे में पहुँचते ही वो बेड पर बैठ गई और मैंने दरवाजा बंद कर दिया। फिर मैं उनकी ओर गया और उनके होठों को चूमने लगा। उन्होंने भी मेरा साथ दिया। होठों को चूमते हुए मैं उनके मम्मों तक कब पहुँच गया, पता ही नहीं चला। मैंने उनका कुर्ता उतार दिया, उन्होंने सफ़ेद ब्रा पहन रखी थी, मैंने उनकी ब्रा भी उतार दी। उनके विशाल सख्त मम्मे देख कर मैं खुद को रोक नहीं पाया और उन पर टूट पड़ा।

मैं एक चुचूक को मुँह में लेकर चूस रहा था और दूसरे को अपने हाथों से मसल रहा था। वो सिसकारियाँ भरने लगी और मेरे सर को अपनी छाती में दबाने लगी। उनके मुँह से अहाहह अहहहह जैसे शब्द मुझे पागल कर रहे थे।

उनकी चूची पर से मेरा हाथ हट गया और एक चूची चूसते हुए मैंने एक हाथ उनकी सलवार में डाल दिया और उनकी चड्डी के अंदर पने हाथ से उनकी चूत का मुआयना करने लगा। उनकी योनि पर हल्की झांटें थी जिनके बीच से रास्ता ढूंढती हुई मेरी उँगलियाँ उनकी बुर की फाकों तक पहुँच गई और मैं एक उंगली उनकी बुर में डालकर अंदर बाहर करने लगा।

उनके वक्ष से मुँह हटा कर मैंने उनके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। वो मेरी जीभ चूसने लगी और उंहह उंहह की आवाज निकालने लगीं। कुछ ही देर बाद मैंने अपने उँगलियों पर कुछ गीला महसूस किया, उन्होंने पानी छोड़ दिया था।