मॉडलिंग के चक्कर में जिगोलो बनना पड़ा – hindi chudaai kahani

मॉडलिंग के चक्कर में जिगोलो बनना पड़ा – hindi chudaai kahani

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मेरा नाम अजय है मैं मथुरा का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 24 वर्ष है। मेरे पिताजी बैंक में मैनेजर हैं और मेरी मां ग्रहणी है। मेरी हाइट 6 फुट है, मुझे मेरे दोस्त हीरो कह कर बुलाते हैं क्योंकि मेरी कद काठी बहुत अच्छी है और मैं देखने में भी अच्छा हूं इसीलिए मेरे सारे दोस्त कहते हैं कि तुम मुंबई चले जाओ और वहां जाकर ट्राई करो लेकिन मेरे घरवाले मुझे भेजने को तैयार नहीं है, वह कहते हैं कि तुम यहीं पर रह कर कोई काम कर लो। बचपन से ही मुझे एक्टिंग का बहुत शौक है इसलिए मैं अपने स्कूल में भी नाटक प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेता था और उसके बाद मैंने कॉलेज में भी अपने इस शौक को जारी रखा लेकिन उसके बावजूद भी मैं कभी आगे बढ़ने की नहीं सोच पाया क्योंकि मेरे घर वालों ने मुझे कहा कि तुम यही पर रहकर काम करो। मेरे दोस्त हमेशा ही मुझे कहते हैं कि तुम्हें मुंबई चले जाना चाहिए और वहां जाकर तुम्हें ट्राई करना चाहिए। मुझे मॉडलिंग का बहुत शौक है इसीलिए मैं कई बार सोचता हूं कि मुझे वाकई में मुम्बई चला जाना चाहिए परंतु मैं अभी कुछ काम भी नहीं कर रहा हूं इसलिए मेरा मुंबई जाना संभव ही नहीं है।

मैं छोटे-मोटे प्रोग्राम करता हूं, उनसे ही मुझे कुछ पैसे मिल जाया करते हैं और उन पैसों से ही मैं अपना खर्चा चलाता हूं। जब कभी मुझे पैसों की दिक्कत होती है तो मैं अपने पिताजी से पैसे ले लेता हूं। एक बार मैं अपनी बड़ी बहन के घर पर गया और मैं वहीं पर कुछ दिनों तक रुका। मेरी बहन की शादी भी मथुरा में ही हुई है और उसका घर में अक्सर आना-जाना लगा रहता है। वह मुझसे 5 वर्ष बड़ी है लेकिन हम दोनों के बीच बहुत अच्छी बॉन्डिंग है और वह मुझे हमेशा ही अच्छे से समझती है इसीलिए मैं उसके पास चला जाता हूं। मेरे पिताजी भी मुझे ज्यादा समझ नहीं पाते, जितना मेरी बहन मुझे समझती है। मेरे जीजाजी भी बैंक में है और वह भी मुझे कहते हैं कि तुम्हें यहां से कहीं बाहर चले जाना चाहिए ताकि तुम्हारा भविष्य बन सके लेकिन मैं कहता हूं कि पिताजी मुझे कहीं भेजने को तैयार ही नहीं है और वह कहते हैं कि तुम यहीं पर काम करो।

मेरे जीजाजी ने मुझे कहा कि तुम्हारे पिताजी और तुम्हारी मां तुम्हें इस वजह से नहीं भेजते कि तुम घर में इकलौते हो और उन्होंने तुम्हारे लिए काफी कुछ जोड़ कर रखा हुआ है, वह नहीं चाहते कि तुम बाहर जाकर कहीं धक्के खाओ और उसके बाद असफल हो जाओ, उन्हें शायद यही डर लगा रहता है इसीलिए वह तुम्हे कहीं बाहर नहीं भेजते। मेरी दीदी भी मुझे कह रही थी कि तुम यहीं रहकर कुछ काम शुरू कर लो क्योंकि तुम्हें पिताजी कहीं बाहर नहीं भेजने वाले इसलिए अब तुम यहीं पर कोई काम ढूंढ लो और यहीं पर कोई काम करना शुरू कर दो। मैंने उन्हें कहा कि मैं कुछ महीनों तक देखता हूं यदि वह नहीं मानते तो उसके बाद मैं यहीं पर कोई काम शुरू कर दूंगा। मेरी बहन का नेचर बहुत ही अच्छा और सिंपल है, मेरे जीजाजी और मेरी बहन के बीच बहुत प्रेम है और उन दोनों को घूमने का बहुत शौक है। उन्हें जब भी समय मिलता है तो वह कहीं ना कहीं घूमने चले जाते हैं। मेरी दीदी के पड़ोस में ही एक लड़की रहती है, वह मुझे पहले से ही पसंद थी परंतु मैं उसे सिर्फ देखा करता। वह मेरे दीदी के घर अक्सर आती जाती रहती है, हम दोनों के बीच बातें भी हुई है लेकिन हम दोनों ने कभी एक दूसरे से खुलकर बात नहीं की। उसका नाम मालती है और वह हमारे दीदी के घर के बिल्कुल सामने वाले घर में रहती है। मालती को शायद मैं भी पसंद हूं लेकिन मुझे लगता है कि यदि मैंने उससे इस बारे में कहा तो कहीं वह मेरी दीदी को ना बोल दे और मैं नहीं चाहता कि यह बात मेरी बहन को पता चले लेकिन इस बार मैं दीदी के घर पर कुछ दिनों तक रुकने वाला था इसलिए मेरी मालती से बात हो गई, मालती भी मुझसे बहुत खुलकर बात कर रही थी और मुझे भी उससे बात करना बहुत अच्छा लग रहा था। मालती के पिता पुलिस में हैं और मालती भी कहीं जॉब करती है। बस दिन मालती ने मुझसे बहुत खुलकर बात की और हम दोनों ही आपस में बात कर रहे थे तो मुझे उससे बात करना भी अच्छा लग रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे वह मुझे अच्छे से समझ रही है।

मैंने जब उसे अपने बारे में बताया कि मैं मॉडलिंग करना चाहता हूं और उसके लिए मुझे मुंबई जाना पड़ेगा लेकिन मेरे घरवाले मुझे भेजना नहीं चाहते, वह मुझे कहने लगी कि तुम अपने सपनों को पूरा करने के लिए मुंबई चले जाओ। मुझे ऐसा लगा जैसे वह मुझे काफी सपोर्ट कर रही है और मुझे अच्छे से समझ भी पा रही है। उस दिन मेरी उससे सिर्फ इतनी ही बात हो पाई लेकिन उसके बाद मेरी मालती से बातें होने लगी थी। मैं कुछ दिनों तक अपने दीदी के ही घर था तो उसी बीच में मैंने मालती का नंबर ले लिया, जब मैं अपने घर वापस लौटा तो मैं मालती को फोन कर लिया करता था, वह मुझसे फोन पर बात करती थी। उससे बात कर के मुझे काफी हल्का महसूस होता था। मुझे ऐसा लगता था जैसे वह मुझे समझ रही है मैंने उसे यह भी बता दी कि मेरे पास पैसे नहीं है यदि मेरे पास पैसे होते तो शायद मैं मुंबई चला जाता और एक बार तो जरूर ट्राई करता। वह कहने लगी कि तुम मुझसे कुछ पैसे ले जाओ, मैंने अपने कॉलेज के समय से कुछ पैसे जमा किए हैं यदि तुम्हें आवश्यकता है तो तुम उन्हें लेकर चले जाओ और एक बार तुम मुंबई जाकर ट्राई कर आओ। पहले मैं उसे मना करता रहा लेकिन उसने मुझे कहा कि तुम वह पैसे मुझे बादमे लौटा देना।

मैंने अब मालती से पैसे ले लिए थे और मैं मुंबई चला गया। मैंने अपने घर में मुंबई जाने का जिक्र नहीं किया, मैंने उन्हें कहा कि मैं दिल्ली कुछ दिनों के लिए जा रहा हूं और दिल्ली से कुछ दिनों बाद लौट आऊंगा। इसी शर्त पर मेरे घर वालों ने मुझे घर से भेजा था। अब मेरे पास पैसे भी थे और मैं मुंबई पहुंच गया। जब मैं मुंबई गया तो मैंने एक गेस्ट हाउस में रूम ले लिया और वहीं पर मैं कुछ दिनों तक रुका। उसी दौरान मैं कई लोगों से मिला और उन लोगों से मेरी अच्छी बातचीत हुई। मुझे एक लड़का मिला, वह मुझसे पूछने लगा तुम कहां रह रहे हो, मैंने उसे कहा कि मैं तो अभी एक गेस्ट हाउस में रह रहा हूं। वह मुझे कहने लगा कि तुम मेरे साथ ही रह सकते हो,  उसका नाम जय है। जय कोलकाता का रहने वाला है और मैं उसके साथ ही रहने के लिए चला गया। उसके फ्लैट पर उसके साथ कोई भी नहीं रहता था। मैंने उससे पूछा कि तुम अकेले ही रहते हो, वह कहने लगा मुझे अकेला रहना ही पसंद है लेकिन तुम मुझे अच्छे लड़के लगे इसलिए मैंने तुम्हें अपने साथ रख लिया। जय भी अपने एक्टिंग के सिलसिले में ही मुंबई आया था लेकिन अभी तक वह कुछ भी बड़ा नहीं कर पाया इसलिए वह मेरी हेल्प करने को तैयार हुआ। जय ने मुझे अपने कुछ दोस्तों के नंबर दिए, उनके द्वारा मुझे छोटे-मोटे ऐड मिल गए और उनसे मैंने फोटोशूट करवा लिया लेकिन जो पैसे मुझे उससे मिले थे वह ज्यादा दिन तक नहीं चले और वह पैसे खर्च हो गए। मेरा सारा पैसा फ्लैट के किराए और आने जाने में ही खर्च हो जाता था। इसी वजह से मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं बच पा रहे थे और जो पैसे मैंने मालती से लिए थे, वह भी मुझे उसे वापस लौटाने थे। मेरे घर वाले भी मुझे बार-बार फोन कर रहे थे कि तुम वापस कब लौट रहे हो। मैं उन्हें यही कह रहा था कि मैं कुछ दिनों बाद वापस लौट रहा हूं लेकिन अब तक कुछ भी ऐसा बड़ा नहीं हुआ था जिससे मैं अच्छे पैसे कमा पाता या फिर मुझे कहीं कोई अच्छा काम मिल पाता।

मैं इसी चिंता में बैठा हुआ था और मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। उसी समय मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया और मैं उनसे मिलने के लिए चला गया, उस व्यक्ति का नाम संजीव है। मैंने उससे पूछा कि किस प्रकार का काम है। वह कहने लगा कि तुम्हें जवान औरतों को खुश करना है और उसके बदले मे वह तुम्हें पैसे देंगे। पहले मै उसे मना करने की सोचने लगा लेकिन मुझे लगा कि मेरे पास और कोई रास्ता नहीं है इसलिए मैंने उसे हां कह दिया। उसने मेरे सामने एक महिला को फोन किया और वह मुझे रिसीव करने के लिए आ गई। संजीव ने मुझे उसके बदले कुछ पैसे दिए और मुझे कहा कि बाकी पैसे तुम मुझसे आकर ले जाना। वह महिला मुझे लेने के लिए आई तो मैंने उसे देखा उसका शरीर बड़ा ही मस्त था उसकी गांड के ऊभार देखकर तो मेरा लंड वैसे ही खड़ा हो गया। वह मुझे अपने फ्लैट में ले गई और जब हम दोनों फ्लैट में पहुंचे तो उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया। वह मुझे अच्छे से किस करने लगी मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं भी उसके होठों को अच्छे से चूमने लगा। मैंने काफी देर तक उसके पतले और मुलायम होठों का रसपान किया।

उसके बाद जैसे ही मैंने उसके कपड़े खोले तो उसके गोरे गोरे स्तनों को मैंने अपने मुंह में ले लिया और उन्हें अच्छे से चूसने लगा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उसके स्तनों को अपने मुंह में ले रहा था। वह बिस्तर पर लेट गई और उसने अपने दोनों पैर चौडे कर लिए उसकी योनि पर एक भी बाल नहीं था और मैंने जैसे ही उसकी योनि पर अपनी जीभ को लगाया तो वह पूरी उत्तेजित हो गई। थोड़ी देर बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर टच किया तो वह चिल्लाने लगी और मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी योनि की गहराइयों में उतार दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि की गहराई में गया तो वह मचलने लगी। मुझे भी अच्छा लगने लगा और मैंने उसके दोनों पैरों को कसकर पकड़ लिया और बड़ी तेज गति से मैं उसे झटके देने लगा। मैंने उसे इतनी तेज झटके मारे कि उसका शरीर हिल रहा था और उसके स्तनों को मैं अपने मुंह में लेकर चूसने लगा। आधे घंटे बाद जब वह झड़ने वाली थी तो उसने अपने दोनों पैरों से मुझे जकड़ लिया। कुछ देर बाद ही मेरा वीर्य पतन उसकी योनि के अंदर हो गया। उसके बाद रात भर मैंने उसे बड़े ही अच्छे से चोदा और उसके यौवन के मजे लिए। मैं जब संजीव के पास गया तो उसने मुझे और पैसे दिए उसके बाद से मैं एक जिगोलो बन गया।

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