मालिक ने अपने बिस्तर पर लेटाया

Malik ne apne bistar par letaya:

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मेरा नाम रेखा है मैं दिल्ली की रहने वाली हूं, मेरे पति हमारे घर पर कमाने वाले थे और उन्हीं के कंधों पर सारी जिम्मेदारी थी लेकिन जब से वह बीमार हुए हैं उसके बाद से वह काम पर नहीं जा पा रहे हैं इसीलिए हम लोग बहुत ज्यादा परेशान हो गए हैं। मेरे बच्चे भी स्कूल नहीं जा पा रहे और उनके स्कूल वालों ने भी कह दिया है कि जब तक फीस जमा नहीं करेंगे तब तक स्कूल में मत आना मुझे भी बहुत ज्यादा टेंशन होने लगी थी और मैं सोचने लगी कि मुझे क्या करना चाहिए क्योंकि मैं ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हूं इसलिए मेरे पास कोई भी ऐसा काम नहीं था जो मैं कर संकू, यदि मैं किसी कंपनी में काम करती तो मैं अपने घर में समय नहीं दे पाती इसलिए मैंने सोचा कि मैं झाड़ू पोछा का काम कर लूंगी और किसी के घर में खाना भी बना लूंगी। मुझे एक जगह काम पर रख लिया, उनका नाम अमन है, अमन जी बहुत ही अच्छे हैं और वह बहुत ही धीमी आवाज में बात करते हैं।

उनकी पत्नी और अमन जी नौकरी करते हैं इसलिए उनके पास समय नहीं होता,  मैंने उनके घर पर ही काम करना शुरू कर दिया। जब उनकी पत्नी ने मुझसे पूछा कि तुम कितने समय से घर का काम संभाल रही हो, मैंने उन्हें कहा कि मैं तो पहले अपने घर पर ही काम करती थी लेकिन मेरे पति की तबीयत खराब हुई है इसलिए मुझे काम करना पड़ रहा है, जब यह बात मैंने अमन जी की पत्नी से कहीं तो वह कहने लगी कि तुम्हारे पति को क्या हुआ है, मैंने उन्हें बताया कि मेरे पति की तबीयत अब ठीक नहीं रहती और वह घर पर ही रहते हैं इसी वजह से वह कहीं भी काम पर नहीं जा पाते, मैं बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी हूं और मुझे अपने बच्चों की फीस भी भरनी पड़ती है। वह कहने लगी कि चलो आप चिंता मत करो आप हमारे घर पर आराम से काम करो, मेम साहब भी अक्सर काम के सिलसिले में बाहर जाती थी और अमन जी भी कभी कबार बाहर ही रहते थे, उनका मेरे साथ अच्छा व्यवहार था इसलिए मैं उनके घर पर अच्छे से काम करती थी।

एक बार वह लोग मेरे घर पर भी मेरे पति से मिलने के लिए आए, जब वह मेरे पति से मिलने आये तो मेरे पति को देखकर वह कहने लगे की तुम्हारे पति की स्थिति बहुत खराब है। उन्होंने मुझे कुछ पैसे भी दिए और कहा कि तुम इससे अपने पति का इलाज करवा लेना, मुझे उनसे पैसे लेते हुए बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन उन्होंने मेरी मदद की तो मुझे अच्छा लगा। उसके बाद से उन दोनों की इज्जत मेरी नजरों में और भी ज्यादा बड़ गई। एक बार अमन जी की मां घर पर आई हुई थी और उनकी मेमसाब के साथ बिल्कुल भी नहीं बनती, जिस वजह से उन दोनों के बीच झगड़े हो गए। जब यह बात अमन जी को पता चली तो मेम साहब बहुत ज्यादा गुस्सा हो गई और कहने लगे कि मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी या तो तुम अपनी मां को अपने पास रख लो या फिर मैं ही तुम्हारे साथ रह लेती हूं, जब यह बात उन्होंने कहीं तो अमन जी को भी बहुत गुस्सा आ गया और उन्होंने मेमसाहब पर थप्पड़ मार दिया। मैं वहीं पर यह सब देख रही थी, जब उन्होंने थप्पड़ मारा तो मैंने उन्हें कहा कि आपको इतना ज्यादा गुस्सा नहीं होना चाहिए था, वह कहने लगे कि क्या इस तरीके से बात की जाती है, उसके बाद मेम साहब ने भी अपना सामान पैक कर लिया और वह अपने मायके चली गई। जब वह अपने मायके गई तो अमन जी घर पर अकेले ही रह गए, उनकी मां भी उनसे कुछ दिनों तक बात नहीं कर रही थी, उनकी मां ने भी उन्हें समझाया कि यदि मेरी वजह से तुम्हारी पत्नी को इतनी दिक्कत है तो मैं गांव चली जाती हूं और वही पर मैं रह लूंगी। अमन जी कहने लगे कि तुम यहीं पर रहोगी तुम कहीं भी नहीं जाओगी, गलती इसमें मेरी पत्नी की है इसीलिए उसे ही तुमसे माफी मांगनी पड़ेगी और उसके बाद ही वह घर पर आएगी। अमन जी को मैंने पहली बार गुस्से में देखा था इसलिए मुझे उनका गुस्सा बिल्कुल भी हजम नहीं हो रहा था, वह बहुत ही ज्यादा गुस्से में थे। जब उनका गुस्सा शांत हुआ तो उन्होंने मेम साहब को फोन किया और कहा कि तुम घर कब आ रही हो, वह कहने लगी की मैं बिलकुल भी तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहती, जिस प्रकार से तुमने मेरे साथ बर्ताव किया और सबके सामने मेरी बेइज्जती की है अब मैं तुम्हारे साथ रिलेशन में नहीं रहना चाहती।

जब यह बात मेम साहब ने उनसे कहीं तो वह बहुत ज्यादा दुखी हो गये और उसके बाद उन्होंने कभी भी मेम साहब को फोन नहीं किया, मेम साहब भी कई दिनों तक घर पर नहीं आई, मुझे भी यह बात बहुत बुरी लगी। एक दिन मैंने मेम साहब को फोन कर दिया और कहा कि आप घर पर आ जाइए, अमन जी आपको बहुत याद करते हैं, वह कहने लगी कि नहीं मैं अब बिल्कुल भी उनके साथ नहीं रह सकती, उन्हें मुझ पर हाथ नहीं उठाना चाहिए था। मैंने उन्हें समझाया लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं समझी और कहने लगी कि अब मैं घर पर नहीं आने वाली। अमन जी की मां उनके साथ ही रहने लगी और मुझे भी बहुत बुरा लगने लगा जिस प्रकार से वह दोनों अलग हो गए। मैं उन दोनों की ही बहुत इज्जत करती हूं इसलिए मैं नहीं चाहती कि वह दोनों अलग रहे। एक दिन मैं काम कर रही थी और उस दिन मैं घर की साफ सफाई का काम कर रही थी। अमन जी भी अपने कमरे में लेटे हुए थे और वह बहुत ज्यादा ही दुखी थे।

उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और कहने लगे कि मैंने बहुत दिनों से सेक्स नहीं किया है क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी। उनके मुझ पर बहुत एहसान है इसलिए मैं बिल्कुल भी मना नहीं कर पाई और मैंने कहा कि हां मैं आपके साथ सेक्स करूंगी। मैंने अपने सारे कपड़े खोल दिए और मै उनके बिस्तर पर नंगी लेट गई। उन्होंने मुझे कहा कि रेखा तुम्हारा बदन तो बहुत ही अच्छा है। उन्होंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए मेरे मुंह के अंदर डाल दिया। मैंने उनके लंड को बड़े अच्छे से सकिंग किया और काफी देर तक मैं उनके लंड को चुसती रही जब उनका पानी निकलने लगा तो वह कहने लगे मै तुम्हें चोदना चाहता हू। उन्होंने जैसे ही मेरी मुलायम योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो मुझे बहुत दर्द हुआ क्योंकि उनका लंड बहुत ही ज्यादा मोटा है। उनका लंड मेरी योनि के अंदर तक जाने लगा और मैं अपने दोनों पैरों को चौड़ा करने लगी।

मैं अपनी तरफ से कोई भी कमी नहीं करना चाहती थी इसलिए मैं उन्हें कहने लगी कि आप और तेज झटके मारो ताकि आपको पूरा मजा आए। उन्होंने मेरे पैरो को चौडा कर लिया और बड़ी तेज गति से मुझे झटके देने लगे। वह कहने लगे कि मुझे बहुत अच्छा लग रहा है क्योंकि मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि तुम मेरी बात मानोगी। मैंने उनसे कहा कि आपके मुझ पर बहुत एहसान है और मैं आपकी बात को कैसे मना कर सकती हूं। जब यह बात मैंने अमन जी से कहीं तो उन्होंने मुझे कहा कि मेरा वीर्य गिरने वाला है। जब उनका माल गिरने वाला था तो उन्होंने मेरे स्तनों पर अपने माल को गिरा दिया। जब उनका वीर्य मेरे स्तनों पर गिरा तो मुझे बहुत ही गर्म महसूस हुआ मैंने अपने स्तनों से उनके वीर्य को साफ किया। उसके बाद मैंने उनके लंड को अपने हाथ से हिलाया और जब उनका लंड दोबारा से मेरी योनि में जाने के लिए तैयार हो गया तो मैंने उनके लंड को अपनी योनि के अंदर ले लिया। मैं उनके ऊपर से लेटी हुई थी मैंने अपनी चूतडो को हिलाना शुरू कर दिया और बड़ी तेज तेज में अपनी चूतडो को हिला रही थी। अमन जी भी बड़ी तेजी से मुझे धक्के मार रहे थे। वह जिस प्रकार से मुझे चोद रहे थे मेरी भी इच्छा पूरी हो रही थी क्योंकि मेरे पति का तो अब लंड खड़ा नहीं होता इसीलिए अमन जी ने मेरी इच्छा पूरी कर दी वह बड़ी तेज तेज मुझे चोदने पर लगे हुए थे। मैंने उनसे कहा कि आपने भी मेरी इच्छा पूरी कर दी है और आपने मुझ पर एक एहसान और कर दिया है। उन्होंने मुझे इतनी तेजी से झटके मारे की उनका वीर्य मेरी योनि के अंदर चला गया और मुझे ऐसा लगा कहीं वह मेरे गले के रास्ते बाहर ना आ जाए। जब मैंने अपनी योनि से उनके लंड को निकाला तो वह बहुत खुश हुए। उसके बाद से हम दोनों के बीच में कई बार सेक्स संबंध बन चुके हैं। मेम साहब अब भी नहीं आई है मैं ही उनकी सेक्स की इच्छा को पूरा करती हूं।


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