भाभी और ननद की एक साथ मस्त चुदाई

प्रेषक: रिंकू …

हैलो दोस्तों, मेरा नाम रिंकू है, मेरी उम्र 28 साल है और में पटियाला की किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहा हूँ। इस कारण से पटियाला में ही रहता है और आज तक आसपास की कॉलोनी में लगभग 15 औरतों को चोद चुका है और वो सब मेरी चुदाई से बहुत संतुष्ट होता है, क्योंकि में चुदाई सिर्फ़ मज़े के लिए नहीं करता है सामने वाला हर एक चूत अपने काम से पूरी तरह से संतुष्टि वो मज़ा देने के लिए यह काम करता है और मेरी यह आदत भी है। दोस्तों में जब उसकी पढ़ाई के लिए पुणे में रहता था तब उधर दिनों मेरे फ्ली के पास में एक भैया रहते थे और उनके नाम जसवंत था और में हमेशा उनको भैया कहता था।

दोस्तों उनकी पत्नी उन्हें नाम मंजुला था और उनको में भाभी कहता था, वो दिखने में बड़ा ही सुंदर और हंसमुख स्वभाव की औरत थी। दोस्तों जसमान भैया की एक बहन था और उसका नाम नेहा था, कुछ दिन पड़ोस में रहने के बाद हम सभी लोग आपस में बहुत घुलमिल थे थे। एक बार जसवंत भैया और भाभी अचानक से किसी भी काम की वजह से स्वयं गाँव चले और फिर पर फोन नहीं था, इसलिए ने उन लोगों से बात नहीं कर सकी। अब वो घर में अकेली ही रहती है और जब बहुत दिन तक वो वापस नहीं आती, तब उस दिन नेहा मेरे पास चली आई और वो बोली बोली कि रितेश क्या तुम मेरे साथ हमारे गाँव चलोगे? मेरे भैया और भाभी अभी तक नहीं है और अब मुझे बहुत चिंता हो रही है। दोस्तों वो लड़की मेरी बहन जैसी थी, मैने उसको बहन मान ले गया था, लेकिन परई बहन तो पराई ही होता है और फिर हम दोनों उनके गाँव के लिए निकल गए। फिर हम दोनों कुछ घंटो के बाद हम यात्रा करते हैं और मैंने देखा कि मंजुला भाभी कुछ काम कर रही थी, लेकिन मुझे जसमान भैया कहीं नहीं दे रहे थे। फिर मैंने उनको घर क्यों भैया नहीं है? वो कहाँ है?

मंजुला: क्यों? में नहीं क्या है? भैया बिना तुम्हारा काम नहीं चलेगा?

नेहा: हाँ क्यों नहीं चलेगा? हम तो आप ही एरियल थे।

अब नेहा अपने भाभी से बात करते समय बहुत उदास हो गया था और वो कहने लगी कि आप लोग बिना मेरे मन नहीं लगा, हम चले आते हैं।

में: भैया अनी तेज धूप में कहां?

मंजुला: और कहाँ जागें? वो भले उनके खेत भले।

दोस्तों यह बात कहते हैं अब मंजुला का चेहरा भी उदास हो गया था।

नेहा: क्यों बात बात है भाभी, आप बड़ी उदास नजर आ रही हो?

मंजुला: जाने भी दीजिए यह तो हर रोज का काम है, आप इसको जानकर क्या करोगे?

में: आप हमें बताओ दो शायद आपका दिल हल्का हो।

अब मंजुला की ऑखेंट आईटी, उस समय में और नेहा खाट पर बैठे थे और हमारे बीच ज़मीन पर वो बैठे और उसके बाद नेहा की गोद में अपना सर रखकर वो रो पड़ी। फिर मैं उसकी पीठ को सहलाया और में भाभी को चुप करवाते हुए आश्वासन देने लगा था और कुछ देर के बाद उसके मन की वो पूजा बातें हम दोनों को बताना शुरू किया, वो कहने लगी कि हुआ कुछ ऐसा था कि उसके पिताजी सूरत शहर में एक छोटी सी दुकान चलाते थे और मंजुला भी वही पर रहकर बड़ा हुआ था। फिर जसवंत के साथ शादी होने के बाद किसी ने जसपाल को कहा कि जब कुंवारी था, तब मंजुला ने एक रतिलाल नाम के आदमी के साथ चक्कर चलाया था और बस तब से जसव मंजुला से बहुत नाराज़ रहने लगा था।

नेहा: क्या सच में तूने चक्कर चलाया था?

मंजुला: ना तो हमारे दुकान के सामने रतिलाल का कोई मकान था और ना में ऐसे किसी व्यक्ति को जानती थी और वह बहुत बार घर घर था, लेकिन उसको कुछ भी नहीं मिला।

नेहा: क्या किसी ने चोदा था?

अब में वो बात सुनकर बहुत चकित हो गया, लेकिन नेहा तो बड़ा ही आसानी से बात कर रहा था।

मंजुला: किसी ने नहीं तुम्हारा भैया ने पहली बार मेरे साथ सुहागरात के समय वो सब किया था और तब खून भी निकाला था और उसने देखा था।

नेहा: अब भैया क्या कर रहा है?

मंजुला: कुछ नहीं, सुबह में ही खेत पर चले जाते हैं और रात को आते हैं, खाना खाकर वो खटपट कर सो जाता है, ना बात ना चीत, कुछ भी नहीं और सो जाता है।

में: वो क्या?

अब नेहा ने मुस्कुराते हुए मेरी जाँघ पर चपट लगाई और वो मांग कहने लगी कि बुद्धु के के, तू डॉक्टर की पढ़ाई खत्म कर बहुत जल्दी डॉक्टर बनने वाला है और इतना भी नहीं पता है? भाभी तू ही इसको कुछ बताओ। अब मंजुला का चेहरा शरम से लाल हो गया, लेकिन वो कुछ नहीं बोली।

नेहा: तुम्हे वो वो कितने दिन से छोड़ रहे हैं?

मंजुला: ऐसे कर रहे हैंकोको दो महीने हो जाता है।

में: क्यों किस बात की दो महीने मुझे भी तो खड़ा समझाओ?

दोस्तों मेरी बात किसी ने नहीं सुनी। फिर उन लोगों ने आंख से आंख मिट्टी और धीरे धीरे नज़दीक आते आते हैं उनके होंठ एक दूसरे के साथ चिपक सेक्स। अब में चकित होकर उनको देखता ही रह गया और उन दोनों का चुंबन लंबा चला और वो मासूम देखकर मेरे लंड में जान आने लगी थी। फिर कुछ देर बाद चुंबन को छोड़कर नेहा ने अचानक से मेरे एक हाथ को पकड़कर मंजुला की छाती पर रखा और वो प्यार कहने लगी कि तू उस दिन को कह रहा था ना कि स्तन स्तन सहलाने की इच्छा हो रही है आज आज यह काम शुरू कर दिया।

में: नहीं में तो तेरे स्तन को सहलाने की बात कह रहा था।

नेहा: बहन के स्तन को भाई हाथ नहीं लगाता और वैसे भाभी की बात अलग है, भाभी तू जल्दी से अपने ब्लाउज को खोल दे वारना यह जोश में आकर इसको फाड़।

अब मंजुला ने तुरंत ही अपने ब्लाउज को खोलकर उतार भी दिया और उसके वो बड़े आकार के गोलमटोल गोरे स्तन को देखकर मेरे लंड तुरन्त तनकर खड़ा हो गया। अब मेरे सारे हाथ उसके स्तन स्तन को लगातार ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे थे। फिर उसी समय नेहा ने खुद को एक हाथ से मेरा लंड टटोलना शुरू किया और बिना कुछ कहे मुस्कुआ हुई हुई नेहा एक बार फिर से मंजुला को चूमने लगी था और मेरे लंड को उसने खुद मुट्ठी में देबच लिया था। अब मैंने एक हाथ मंजुला के स्तन पर रखे दूसरे से नेहा का भी एक बूब्स पकड़ लिया और उसको भी दबाना शुरू किया, लेकिन वह बिल्कुल भी विरोध नहीं किया। फिर अचानक से वह मंजुला का मुहं छोड़कर मेरे मुहं पर अपने होंठो को चिपका दिया। दोस्तों किसी कुंवारी जवान लड़की के साथ चूमने का मेरा यह पहला और सबसे अच्छा अनुभव था, जोकी वजह से कुछ देर बाद मेरे पूरे बदन में एक अजीब सी झुरझुरी होने वाला था और अब जोश की वजह से मेरे लंड से पानी भी निकलने लगा था। अब मंजुला ने मेरा सर पकड़कर अपने तरफ खींचा और वो मुझे चूमने लगी था और नेहा ने कहा कि मेरी लंड एक बार फिर से पकड़ा और वो उसको सहलाने दबाने लगी।

फिर जब उसकी कुरती के बटन पर हाथ लगाया, तब उसने मेरे हाथ को एक झटका देकर झटका दिया और अब वह खुद ही तुरंत अपने कुरती को खोल दिया। अब मैंने देखा कि वह अंदर ब्रा नहीं पहनी था और उसके वो बिल्कुल नंगे बूब्स को देखकर एकदम चकित रह गया। दोस्तों उसके वो बूब्स बड़े संतरे के आकार के थे और उसके वो गोल गोल बूब्स बहुत गोरे भी थे और उन दोनों बूब्स के बीच में छोटी सी, लेकिन उठी हुई निप्पल था जो उस समय जोश में आती थी और जब की मंजुला के बूब्स छाती पर नीचे की तरफ लटकाके थे और नेहा के स्तन बहुत ऊँचे थे। फिर से हाथ से नेहा के बूब्स को सहलाते हुए नीचे नीचे झुककर मंजुला के निप्पल को अपने मुहं में ले चूसना शुरू किया। दोस्तों नेहा ने कब उठाया मंजुका को पलंग पर लेटा दिया और उस बात की मुझे बिल्कुल भी खबर न रही। फिर भैया तुम मेरे पीछे आ जाओ यह बात कहकर नेहा मंजुला की जांघ पर बैठे, उसके बाद नाड़ा खोलकर उसने अपने सलवार को उतार दिया और अब आगे की तरफ झुककर अपने चूत से मंजुला की चूत को रगड़ने लगी थी। अब मैं पीछे से उसके बूब्स पकड़े और में निप्पल को मसले लगा था और आगे की तरफ झूका होने की वजह से खुली हुई गांड अब ठीक मेरी आँखों के सामने था।

फिर मैं झट से अपने पेंट को खोलकर लंड बाहर निकाल दिया और में नेहा के कूलहों के बीच में उसकी लंड का टोपा घिसने लगा। अब मुझे रुकवाते हुए वो बोल पड़ी, भैया अभी तुम जरा ठहरो, क्योंकि तुम्हे पहले भाभी की चुदाई करनी है, मैं तुमने बाद में चोदना, यह कहो कहकर वो थोड़ा सा आगे सरक गया। अब मंजुला भाभी ने खुद के जांघो को पूरी तरह से खोल दिया, जोकी कारण से मेरा लंबा लंड उसकी चूत के मुहं तक पहुंच गया। दोस्तों अब तक मंजुला और नेहा बहुत गर्म हो रही थी और इस वजह से उन लोगों की चूत गीली भी हो रही थी। फिर अपने एक हाथ से लंड करने के लिए पकड़ने के लिए उसकी लंड का टोपा मंजुला की रसभरी कामुक चूत में डाल दिया और में अपने दूसरे हाथ से नेहा की चूत के दाने को टटोल रहा था। अब मैं एक ज़ोर से धक्का लगाया और मेरा लंड भाभी की चूत में फिसलता हुआ पूरा उतर गया और मंजुला ने खुद को जांघो को ऊपर उठाकर मेरे लंड का खुद चूत में खुश होकर स्वागत किया और नेहा उसके ऊपर झुकी हुई उसको चूम रही था। अब जोश मज़े की वजह से मंजुला के कूल्हे हिलने लगे थे और उसकी चूत में मेरी लंड के अंदर बाहर होने पर फट की आवाज की लगी थी।

फिर उसका जोश देखकर मुझे खुश होकर अपने धक्का की रफ़्तार से पहले से ज्यादा तेज कर दिया जाता है, लेकिन कुछ देर तक चक्कर खाकर ही मंजुला ज़ोर से झटका हुआ उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया और धीरे धीरे शांत हो गया चली। अब मैं उसकी चूत के रस से गीला अपना लंड बाहर निकाला, नेहा ने तुरंत मेरा इशारा समझकर अपने कुल्ले थोड़े ऊपर उठाए और वो पीछे की तरफ सरक गया। अब मेरे लंड का टोपा नेहा की कुंवारी जोश से भरी चूत के मुहं पर जाकर, लेकिन तब मुझे ध्यान से देखकर पता चला कि मंजुला की चूत और नेहा की चूत में बहुत फर्क था। दोस्तों भाभी की चूत में मेरे लंड जाने में कोई तकलीफ परेशानी नहीं हुई थी और नेहा कुंवारी होने की वजह से मेरी लंड उसकी चूत में जल्दी से नहीं होसा था। अब मेरे लंड का टोपा गीली चिपचिपी चूत से फिसल गया, मुझे लगता है कि चूत से दूर हटाना और एक बार फिर से कोशिश कर रहा था यह बार ठीक है निशाना लगाकर बहुत तेज धक्का दिया गया था। फिर सीईईई उउईईई माँ मर गया की आवाज़ कर रही नेहासे कहने लगी, तुम मेरे इस दर्द की बिल्कुल भी फ़िक्र मत करो भैया, डाल दो आज आप अपना पूरा लंड उसके अंदर और मुझे वो मज़े दो।

अब में उसके मुहं से यह बात सुनकर मन ही मन खुशी से झूम उठा था, क्योंकि मुझे बस उसकी तरफ से हाँ का इंतजार था। फिर भी पूरी तरह से जोश में आकर नेहा के साथ कूलहों को कसकर पकड़कर एक ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी चूत की सील को तोड़कर पूर्ण अंदर जाकर और उस दर्द की वजह से नेहा के मुहं से एक ज़ोर की चीख निकल वह और वो दर्द से तड़पने लगी उईईईईई आह्ह्ह्ह माँ मर गया। फिर में उसका वो दर्द देखकर थोड़ी देर और वैसे ही रुक गया, लेकिन मेरे लंड अंदर ही फुदक रहा था और ज़्यादा मोटा हो की वजह से चूत को भी ज़्यादा चौड़ी करता है। फिर कुछ देर बाद खुद नेहा ने कहा कि अब मेरा दर्द कम हो गया है भैया, अब आप आराम से चोदो और मैं उसके कहने पर धीरे से धक्का लगाने शुरू किया और उधर आगे झुककर नेहा ने अपने स्तन भाभी के मुहं के पास रख दिया । अब मंजुला भाभी नेहा के निप्पल को चाट रही था और चूस भी रही था और उसके एक हाथ नेहा की चूत से खेल भी रहा था। फिर जब नेहा की चूत फट फट कर लगी तब मैं अपने धक्का की रफ़्तार से पहले से भी तेज तेज कर दिया। अब नेहा ने कहा कि भैया तुम भाभी को भी मज़ा चखाते रहना।

दोस्तों मंजुला की चूत मेरे लंड से दूर कहाँ था? मैं तुरंत ही नेहा की चूत से अपने लंड को बाहर निकालकर मंजुला की चूत में डाल दिया और में उसको धक्का देकर चोदने लगा था। अब मंजुला बोली बोली कि देवराजी में तो एक बार पहले ही झड़ने वाला, आप नेहा के बहन का भी ध्यान रखो। फिर मैं यह सुन रहा हूँ उसकी लंड को उसकी चूत से बाहर निकालकर एक बार फिर से नेहा की चूत में डाल दिया और में उसकी चुदाई करने लगा था। दोस्तों समर चार चार बार बार चूत को बदलते हुए उन लोगों को एक साथ चोदा और आप सभी सोच रहे हैं कि जल्दी से झड़ा क्यों नहीं? दोस्तों इसके राज यह है कि भाभी के घर आने से पहले एक बार मुठ मारकर अपने लंड को शांत किया था और फिर आधा घंटे की स्थिर चुदाई के बाद में मंजुला की चूत में झड़ गया, इस बीच नेहा एक बार और मंजुला दो बार झड़ पता था। अबों ने उठाया मेरा लंड चाट चटाकर साफ किया और नर्मू थंबस हाथ में पकड़कर नेहा ने पूछा कि भैया आप एतराज ना हो तो में एक बार तुम्हारी मुहं में ले लूँ? मुझे क्या था? में खाट पर लेटा रहा और नेहा ने लंड की चमड़ी को नीचे सरकाकर टोपा खोल दिया और वो अपने जीभ से चटिंग लगी।

फिर तुरंत ही मेरा लंड उसके स्पर्श से दोबारा तनकर खड़ा हो गया और मुहं में लेने के लिए नेहा को अपना मुहं पूरा खोलना पड़ा, क्योंकि मेरे लंड बहुत मोटा है और फिर भी बड़ा मुश्किल से वो लंड को अपने मुहं में ले सकी। फिर जब लंड पूर्ण अंदर उसके गले तक पहुंचे तो उस समय उसकी सांसे रुक गया और आँखें चौड़ी हो गया और लंड का टोपा मुहं में ही पकड़े हुए वह एक एक हाथ से लंड सह सहलाना शुरू किया। अब मेरे लंड से पानी निकलने लगा था और खुद सर हिलाकर नेहाक्स को अंदर बाहर करना लगी था और साथ ही साथ वो अपने जीभ से टटोलने भी लगी था। दोस्तों उस समय मंजुला उसके पीछे बैठकर वो अपने एक हाथ से उसके बूब्स सह सहला रही था और वो अपने दूसरे हाथ से चूत दाने को भी सहला रही था, जोकी कारण से नेहा का जोश बहुत बढ़ गया था। अब मैं उसकी लंड को उसकी पकड़ से छुपा लिया और जोश में आकर बड़ा तेज़ी से उसको ज़मीन पर ही लेटा दिया, वह खुद के जांघे ऊपर उठाई और चौड़ी पकड़ पकड़ रखी थी। दोस्तों उसकी खुली हुई चूत में मैं झट से अपने लंड को एक ही तेज धक्का में पूरा अंदर डाल दिया और फिर में बड़ा तेज़ी से धक्का के लिए उसको चोदने लगा था। फिर बारी दस पन्द्रह धक्के के बाद हम हम एक साथ झड़ गए।

अब वो खुश होकर हंसते हुए बोल कहने लगी कि भैया मुहं में लंड लेने का मज़ा चूत में लेना जैसा ही है, भाभी एक बार तू भी यह मज़ा देखता है, क्या पता दोबारा हमे यह बहुत अच्छा मौका मिल मिलकर पता? अब ¤ँँने उसको कहा कि अब मेरे लंड में खड़े होने की ताकत नहीं है आप इसको अब कुछ देर आराम कर रहे हैं। फिर उसी समय देख कर तो कहकर मंजुला ने मेरे नर्मक्स को अपने मुहं में ले लिया और वो उसको चूसने लगी और थोड़ी देर लगी, लेकिन लंड वापस खड़ा हो गया। दोस्तों उसके बाद दस मिनट की एक और मस्त जबर्दस्त चुदाई पूर्ण हुई और मंजुला ने आग्रह कर मुझे अपने मुहं में झड़ने के लिए कहा। फिर मेरे लंड ने जो भी वीर्य निकाला वो सारा वीर्य वो पी, लेकिन अब हम तीनों बहुत थकड़े थे और अपने कपड़े वापस पहनकर हम सो। फिर शाम को भैया आयन और दूसरे दिन हम सभी वापस पुणे आ। दोस्तों यह था मेरा वो सच्चा सेक्स अनुभव एक साथ दो चूत के मज़े मैं दोनों बराबर मज़े दे और उन लोगों ने भी मेरा पूरा पूरा साथ दिया, तो मुझे बहुत मज़ा आया ..

धन्यवाद …