दीदी की पड़ोसन लड़की की जांघ – hindi chudaai kahani
दीदी की पड़ोसन लड़की की जांघ – hindi chudaai kahani
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मेरा नाम मनोज है मैं दिल्ली का रहने वाला हूं, मेरी उम्र 27 वर्ष है। मेरे पिताजी की ड्राई फ्रूट की दुकान है और वह काफी समय से उसका ही काम कर रहे हैं इसीलिए मैं भी अब उनके साथ ही काम संभालता हूं। उनकी दुकान छोटी सी है पर उसमें काम बहुत ज्यादा है क्योंकि मेरे पिताजी की दुकान भीड़भाड़ वाले इलाके में है इसीलिए वहां पर बहुत भीड़ रहती है और मेरे पिताजी मुझे कहते हैं कि तुम मेरे साथ ही काम कर लिया करो, इसी वजह से मैं उनकी दुकान में जाता हूं। उनकी दुकान में दो लड़के काम करते हैं परंतु जब मेरे पिताजी सामान लेने के लिए बाहर जाते हैं तो मैं ही दुकान देखता हूं। मेरी बहन का नाम किरण है, वह स्कूल में पढ़ाती है, उसे स्कूल में पढ़ाते हुए एक साल हो चुका है क्योंकि वह स्कूल हमारे घर के पास ही है इसलिए मेरे पिताजी ने कहा कि तुम फिलहाल स्कूल में पढ़ा लो क्योंकि उसका घर में मन नहीं लग रहा था।
वह एक दिन पिताजी से कहने लगी कि मुझे स्कूल में पढ़ाना है इसी वजह से पिताजी ने उसे कहा कि हमारे घर के पास ही एक स्कूल है तुम वहीं पढा लिया करो, वह स्कूल पिताजी के परिचय में कोई व्यक्ति हैं उनका ही वह स्कूल है। उन्होंने मेरी बहन के लिए उनके स्कूल में बात कर ली और तब से मेरी बहन उनके स्कूल में ही पढ़ा रही है। जब हम लोग घर पर होते हैं तो मेरी बहन और मैं काफी बातें करते हैं क्योंकि मुझे मेरी बहन के साथ बात करना बहुत अच्छा लगता है और उसे भी मेरे साथ वक्त बिताना अच्छा लगता है। उसी बीच में मेरी मम्मी ने एक दिन मेरे पिताजी से कहा कि अब हमें किरण की शादी कर देनी चाहिए, मेरे पिताजी ने भी कहा हां मैं भी काफी समय से सोच रहा था कि किरण के लिए हमें कोई लड़का देख लेना चाहिए। उन्होंने इस बारे में किरण से भी बात की तो वह कहने लगी कि जैसा आपको उचित लगता है आप उस प्रकार से देख लीजिए क्योंकि किरण भी मेरे माता-पिता की बात बहुत मानती है इसलिए वह कहने लगी कि जैसा आपको अच्छा लगे आप उस तरीके से देख लीजिए। मेरे पिताजी ने किरण के लिए रिश्ता ढूंढना शुरू कर दिया और उसके लिए कई रिश्ते आए परंतु मेरे पिताजी को वह बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहे थे।
मेरे मम्मी ने मामा जी से किरण के रिश्ते के बारे में बात की थी। एक दिन वह हमारे घर आये और कहने लगे कि मेरे परिचय में एक फैमिली है, मैं उन्हें काफी पहले से जानता हूं यदि आप लोगों को आपत्ति ना हो तो मैं उन्हें आपके घर बुला लेता हूं, मेरे पिताजी कहने लगे ठीक है आप उन्हें घर पर ही बुला दीजिए। अब वह लोग हमारे घर पर आ गए। मेरे पिताजी को वह लोग बहुत अच्छे लगे, उन्होंने रिश्ते के लिए हामी भर दी। कुछ समय बाद ही मेरी बहन की सगाई हो गई और उसके बाद मेरी बहन की शादी की तैयारियां होने लगी। मेरे पिताजी ने बड़े ही धूमधाम से मेरी बहन की शादी करवाई। हमारे सब रिश्तेदार बहुत खुश थे मेरे जीजाजी विदेश में ही रहते हैं और वह घर में एकलौते हैं इसीलिए वह शादी के लिए कुछ समय के तक ही घर में थे, उसके बाद तो वह विदेश चले गए। शादी के कुछ समय बाद वह विदेश चले गए थे और वहीं से हम लोगों को फोन करते थे। मेरी बहन भी हमसे मिलने आ जाती थी क्योंकि वह घर में बोर होती थी और उनके घर पर ज्यादा काम नहीं होता था इस वजह से वह हमारे पास आ जाती थी। जब वह घर हमसे मिलने आती थी तो उस वक्त मेरे माता-पिता और मुझे बहुत खुशी होती थी और जब कभी मुझे समय मिलता तो मैं भी उससे मिलने के लिए चला जाता था। मुझे भी किरण से बहुत ज्यादा लगाव है इसलिए मैं उसके पास मिलने के लिए जाता था। ऐसे ही काफी समय बीत गया और मैं पिताजी के साथ अब दुकान पर बहुत समय तक बैठा रहता था क्योंकि मैं भी घर पर बोर होता था इस वजह से मैं पिताजी के साथ ही चला जाता था। एक दिन मेरी बहन की सास ने मेरी मम्मी को फोन किया और कहने लगी कि किरण प्रेग्नेंट है यदि आप मनोज को हमारे घर पर भेज देते हैं तो अच्छा रहेगा, मेरी मां ने भी कहा की मैं मनोज को आपके घर भेज दूंगी, इस वक्त उसे देखभाल की जरूरत है और कभी कुछ सामान लाना पडे तो मनोज उसमे आपकी मदत कर देगा।
इसी वजह से मेरी मम्मी ने मुझे किरण के पास भेज दिया। जब मैं किरण के पास गया तो मैं उसकी देखभाल कर रहा था और उसे चेकअप के लिए डॉक्टर के पास भी लेकर जाता था। मैं ज्यादातर उसके पास ही रहता था क्योंकि इसकी डिलीवरी का समय नजदीक आने वाला था इसी वजह से मुझे उसकी देखभाल के लिए उसके घर पर ही रहना पड़ रहा था। उन्हीं के पड़ोस में एक लड़की रहती है जिसका नाम जयंती है, वह अक्सर मेरी दीदी से मिलने आती रहती थी इसी वजह से मेरी भी मुलाकात जयंती से हो गई। पहले मेरी उससे इतनी बातचीत नहीं थी परंतु धीरे-धीरे मैं उससे बात करने लगा और वह भी मुझसे बात कर के खुश होती थी। मुझे उससे बात करना अच्छा लगता था क्योंकि मैं भी वहां आसपास किसी को नहीं जानता था इसी वजह से मेरा भी टाइम पास नहीं होता था। जयंती के साथ जब भी मैं वक्त बिताता तो मुझे अच्छा लगता था और वह मेरी बहन के साथ बहुत ही घुली मिली हुई थी इसलिए वह अक्सर घर पर मिलने आ जाती थी। मैंने एक दिन जयंती से पूछा कि तुम कोई जॉब नहीं कर रही हो, वह कहने लगी कि अभी तो मेरा ऐसा कोई विचार नहीं है क्योंकि मुझे घर पर ही मेरे पिता जी का ध्यान रखना पड़ता है, उनकी तबीयत सही नहीं रहती इसी वजह से मैं घर पर हूं। कुछ समय मैंने नौकरी की थी परंतु जब उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो मुझे घर पर ही रहना पडा।
जयंती की मां का देहांत काफी समय पहले हो चुका है इसीलिए वह अपने पिता जी का ध्यान देती है। उसके बड़े भैया जॉब पर जाते हैं, उसके भैया से भी मेरी एक आत बार मुलाकात हुई है और वह नेचर में बहुत ही अच्छे हैं। मेरी बहन और उनके घर में बहुत अच्छे रिलेशन है इसी वजह से वह मेरी बहन से मिलने आते रहते हैं और जब भी जयंती घर पर आती है तो वह मेरी बहन के लिए कुछ ना कुछ लेकर आती है। मुझे उसका नेचर बहुत ही अच्छा लगता है और जयंती भी मुझसे कहती है कि आप काफी अच्छे हैं, आप अपनी बहन की देखभाल करते हैं। मैं उसे कहता कि इस वक्त मेरी बहन को मेरी जरूरत है और मैं अपनी बहन से बहुत प्यार करता हूं। वह मुझसे कहने लगी कि मेरे भैया तो अपने काम में ही बिजी रहते हैं और वह घर में किसी से भी बात नहीं करते, मैं और मेरे पिताजी ही आपस में बात करते हैं और वह भी ज्यादा बात नहीं करते क्योंकि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता इसलिए वह अपने कमरे में ही लेटे रहते हैं। मैं काफी दिनों से घर में ही था इसलिए मैं सोचने लगा कि क्यों ना कहीं घूमने जाया जाए। मैंने अपनी बहन से इस बारे में पूछा तो वह कहने लगी कि तुम जयंती को अपने साथ ले जाओ, वह भी घर में ही रहती है। जब मैंने जयंती से पूछा तो वह कहने लगी कि मैं भी काफी वक्त से कहीं नहीं गई हूं यदि तुम घूमने जा रहे हो तो मैं तुम्हारे साथ चल लुंगी। अब जयंती और मैं उस दिन बाहर चले गए। मैं काफी दिनों बाद कहीं बाहर निकला था इसलिए मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। जयंती भी मेरे साथ में अपने आपको अच्छा महसूस कर रही थी और वह मुझसे कहने लगी कि मैं अभी काफी समय बाद घर से बाहर निकली हूं। हम दोनों ने उस दिन काफी बातें की और शाम के वक्त हम लोग घर लौट आये। मेरी बहन मुझसे पूछने लगी तुम दोनों साथ में घूमने गए थे तो तुम्हें कैसा लगा, मैंने उसे बताया कि काफी वक्त बाद मैं कहीं घूमने गया तो मुझे आज बहुत अच्छा लगा। जयंती का मेरी दीदी के घर पर आना जाना लगा रहता था और मैं भी उसके घर पर चला जाता था। एक दिन जब मैं उसके घर पर गया तो हम दोनों बैठ कर बात कर रहे थे और मैं उसके कमरे में ही था। वह मेरे बगल में बैठी हुई थी तो उसकी मोटी मोटी जांघ को देख कर मेरा मूड खराब होने लगा। जैसे ही मेरा हाथ उसकी जांघ पर पड़ा तो वह भी उत्तेजित हो गई और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया।
जब उसने मुझे कसकर पकड़ा तो उसके स्तन मुझसे टकरा रहे थे और मैं उसके स्तनों को दबाने पर लगा हुआ था। मैंने उसे उसके बिस्तर पर लेटा दिया और अपने लंड को निकालते हुए जयंती के मुंह में डाल दिया। वह मेरे लंड को बहुत अच्छे से सकिंग कर रही थी मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था जब वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी। उसने काफी देर तक ऐसा किया उसके बाद जब वह पूरे मूड में आ गई तो उसने अपने कपड़े खोलते हुए अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर दिया जिससे कि मेरे अंदर की उत्तेजना भी जाग गई। जब मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर टच किया तो वह गर्म हो रखी थी और मुझे बहुत अच्छा लगा जब मैं धीरे धीरे उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाल रहा था जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर घुसा तो वह चिल्ला उठी और उसकी चूत से खून की पिचकारी बाहर की तरफ निकलने लगी। मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और मैं उसे बड़ी तेज झटके दिए जा रहा था जिससे कि वह अपने मुंह से सिसकियां लेती। काफी देर तक मैंने उसे अपने नीचे लेटा कर चोदा लेकिन अब मैंने उसे अपने ऊपर लेटा दिया। जब वह मेरे ऊपर आई तो मैंने जैसे ही उसकी योनि में अपने लंड को डाला तो वह चिल्लाने लगी वह मेरा पूरा साथ देने लगी और अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करने लगी। मुझे बहुत अच्छा महसूस होने लगा जब मैं उसे धक्के मार रहा था और मैंने उसे काफी देर तक ऐसे ही चोदा लेकिन मैं उसकी गर्मी को झेल नहीं पाया और मैंने उसे अपने ऊपर से हटाते हुए उसके मुंह के अंदर अपने वीर्य को गिरा दिया।
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