एक लडकी जो मेरे दिल को भा गई

Ek ladki jo mere dil ko bha gayi:

antarvasna, kamukta

मेरा नाम सागर है मैं दिल्ली का रहने वाला हूं, मैं एक फाइनेंस कंपनी में जॉब करता हूं, मेरे परिवार में मेरे मम्मी पापा और मेरी छोटी बहन है, वह अभी कॉलेज की पढ़ाई कर रही है। एक बार मैं अपनी कार से घर लौट रहा था तो रास्ते में एक लड़की बड़ी तेजी से अपनी स्कूटी में चल रही थी, वह फोन पर बात कर रही थी और उसका ध्यान पता नहीं कहां था, वह मेरी कार से टकरा गई और नीचे गिर पड़ी।  जब वह गिरी तो मैंने भी अपनी कार की बैक मारते हुए तुरंत अपनी कार को रोक लिया, मैंने जब अपनी कार रोकी तो वहां पर काफी लोग इकट्ठा हो चुके थे, मैं भी एक जिम्मेदार नागरिक की तरह उसे उठाने के लिए चला गया। जब मैंने उसे उठाया तो उसे ज्यादा चोट नहीं आई थी लेकिन उसके हाथ से थोड़ा बहुत खून निकल रहा था। मैं उसे पास के ही एक क्लीनिक में लेकर गया और वहां पर मैंने उसकी मरहम पट्टी करवाई। मैंने उसका नाम पूछा उसका नाम आकांक्षा है।

मैंने आकांक्षा से कहा तुम फोन पर बात करते हुए आ रही थी इसलिए तुम मुझसे टकरा गई, फोन पर बात करते हुए गाड़ी चलाना बिल्कुल गलत है। मैंने उसे समझाया तो वह कहने लगी मेरे ऑफिस से बहुत अर्जेंट कॉल आ गया था इसलिए मैं फोन पर बात कर रही थी और थोड़ा टेंशन में भी थी इसी वजह से मैं आपकी कार से टकरा गई। मैंने उससे पूछा आप क्या करती हो तो वह कहने लगी मैं मार्केटिंग का काम करती हूं और मैं जिस कंपनी में काम करती हूं वहां पर बहुत ज्यादा काम का प्रेशर रहता है इसीलिए मैं आजकल थोड़ा टेंशन में थी। मैंने आकांशा से बात की तो उससे बात कर के मुझे अच्छा लगा, वह बड़ी ही सिंपल और साधारण लड़की है। मैंने काजल से पूछा क्या मैं तुम्हें घर छोड़ दूं, वह कहने लगी नहीं मैं घर चली जाऊंगी। मैं भी उसके बाद वहां से चला गया, उसके बाद मैं भी अपने काम पर लगा हुआ था। एक दिन मैं अपने क्लाइंट से मिलने के लिए जा रहा था तो मैंने रास्ते में देखा की आकांक्षा भी अपनी स्कूटी से कहीं जा रही है, मैंने उसके पीछे अपनी कार लगा दी, जॉब मैं आकांक्षा के पीछे कार लेकर चल रहा था तक वह भी बार-बार पीछे पलट कर देख रही थी और जब उसने अपनी स्कूटी रोकी तो मैंने भी स्कूटी के पीछे अपनी कार लगा दी और उसने जब पीछे पलट कर देखा तो मैं उसे देख कर मुस्कुरा पड़ा। मैंने उससे पूछ लिया आज तुम कहां जा रही हो, वह कहने लगी मैं अपने काम से जा रही थी लेकिन मैंने देखा काफी समय से कोई मेरा पीछा कर रहा है तो मुझे लगा की मुझे अपनी स्कूटी रोक लेनी चाहिए।

मैंने आकांक्षा से कहा तुम्हारा पीछा मैं ही कर रहा था, मैंने आकांक्षा से कहा कुछ देर तुम मेरे साथ बैठ सकती हो, वह कहने लगी हां मैं तुम्हारे साथ बैठ सकती हूं, भला मुझे क्या परेशानी होगी तुम्हारे साथ बैठने में। आकांक्षा मेरे साथ वहीं पास के एक छोटे से ढाबे में बैठ गई, हम दोनों एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मुझे आकांक्षा से बात कर के अच्छा लग रहा था और मैंने उससे पूछा तुम्हारे घर परिवार में कौन-कौन है, वह मुझे कहने लगी मेरे परिवार में मेरे मम्मी पापा और मेरे एक बड़े भैया हैं, मेरे भैया स्कूल में टीचर हैं और वह दिल्ली में ही पढ़ाते हैं। आकांक्षा ने मुझसे काफी देर तक बात की, हम दोनों ने एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा समय बिताया, उसके बाद से हम दोनों की हमेशा बात होने लगी लेकिन मैं अपने काम की व्यवस्था के चलते आकांक्षा के साथ ज्यादा बात नहीं कर पाता था। जब भी मेरे पास वक्त होता तो मैं आकांक्षा से मिलने जरूर जाता था और कभी कबार वह भी मुझे फोन कर देती थी। एक दिन आकांक्षा मुझसे कहने लगी मेरे एक फ्रेंड का बर्थडे है और वह तुम्हारे घर के पास ही रहता है, मैंने जब उसे एड्रेस पूछा तो उसने मुझे एड्रेस बता दिया और मैंने भी उसे कहा हां उसका घर तो मेरे पास ही है। वह मुझे कहने लगी मैं आज शाम को वहां पर आऊंगी यदि तुम्हारे पास वक्त हो तो तुम मुझे मिल लेना, मैंने आकांक्षा से कहा ठीक है तुम मुझे फोन कर देना तो मैं तुम्हें मिल जाऊंगा, यदि तुम थोड़ा पहले आ जाओगे तो हम दोनों साथ में कुछ वक्त बिता पाएंगे। आकांक्षा मुझसे कहने लगी मैं कोशिश करूंगी थोड़ा जल्दी आने की, यदि मैं जल्दी आ जाती हूं तो मैं तुम्हें फोन कर दूंगी और तुम मुझे मिलने आ जाना। आकांक्षा ने मुझे फोन किया और मैं उसे रिसीव करने के लिए चला गया।

उस दिन आकांक्षा ऑटो में आई थी, मैं आकांक्षा को अपने घर के पास के ही एक रेस्टोरेंट में ले गया और वह रेस्टोरेंट के ओनर मुझे पहचानते थे इसलिए हम दोनों वहां पर आराम से बैठ सकते थे, हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे के साथ बात करते रहे। आकांक्षा मुझे कहने लगी तुम मुझे अपने घर लेकर नहीं जाओगे, मैंने उसे कहा सही वक्त आने पर मैं तुम्हें अपने घर जरूर लेकर जाऊंगा। आकांक्षा मुझसे पूछने लगी वह सही वक्त कब आएगा जब तुम मुझे अपने घर लेकर जाओगे, मैंने उसे कहा थोड़ा सा सब्र रख लो मैं तुम्हें जरूर अपने घर ले कर चलूंगा। आकांक्षा और मैं जब साथ में बैठे हुए थे तो आकांक्षा ने उस दिन बहुत ही सुंदर सी ड्रेस पहनी हुई थी और उसमें वह बहुत अच्छी लगी रही थी। मैंने उससे कहा कि तुम आज बहुत सुंदर लग रही हो। मेरा आंकाक्षा को देखकर मूड खराब होने लगा, मैंने उसे कहा तुम क्या आज मेरे साथ रुक सकती हो, वह कहने लगी ठीक है मैं तुम्हारे साथ रुक जाऊंगी। मैंने उस रेस्टोरेंट के ओनर से कहा यह मेरी गर्लफ्रेंड है, मुझे आज उसके साथ सेक्स करना है क्या आप मुझे अपना रूम दे सकते हैं। उनके रेस्टोरेंट के ऊपर ही एक रूम था उन्होंने मुझे उसकी चाबी दे दी, हम दोनों जब वहां पर गए तो मैं आकांक्षा को पकड़ कर बैठ गया और उसे मैंने अपनी बाहों में ले लिया। जब मैंने उसे अपनी बाहों में लिया तो मेरा लंड खड़ा हो चुका था, मैं उसके स्तनों को दबा रहा था। मैंने जब उसके चूचो को दबाया तो वह पूरी उत्तेजित हो गई।

हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को ज्यादा देर तक नहीं झेल पा रहे थे, मैंने आकांक्षा को नंगा कर दिया। जब मैंने उसे नंगा किया तो वह पूर्ण रूप से उत्तेजित हो गई और वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी। उसने मेरे लंड को इतनी देर तक सकिंग किया कि मेरा पूरा पानी बाहर निकलने लगा था। मैं उसकी बड़ी सी गांड को देखकर उत्तेजित हो गया वह काफी देर तक मेरे लंड को चुसती रही जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला तो मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, उसकी नरम और मुलायम योनि को काफी देर तक चाटा। मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर लगा दिया और रगडना शुरू किया जिससे कि उसकी योनि से तरल पदार्थ बाहर आने लगा और उसकी योनि पूरी गिली हो गई। मैंने भी अपना कड़क और मोटे लंड को उसकी योनि के अंदर डाल दिया जैसे ही मेरा कड़क और मोटा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह चिल्ला उठी। वह कहने लगी तुम्हारा लंड बहुत मोटा है मुझे उसे अपनी योनि में लेने में बड़ा मजा आ रहा है। मैंने उसके दोनों पैरो को चौडा कर लिया और बड़ी तेजी से मैं उसे धक्के दे रहा था। उसके मुंह से जो मादक आवाज निकलती वह मुझे अपनी और आकर्षित करती, वह अपने पैरों को चौड़ा कर लेती। उसने अपने पैरों को इतना चौड़ा कर लिया, मैं उसे बड़ी तेज धक्के मारने लगा और मेरा लंड उसकी योनि के पूरे अंदर तक जाने लगा। मेरा लंड उसकी योनि के अंदर तक जा रहा था और मेरे अंडकोष भी उसकी गोरी और मुलायम योनि से टकराते तो मेरे लंड पर एक अलग ही प्रकार का प्रेशर पड़ता जिसे की मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था। वह मुझे कहने लगी मेरी योनि से खून आने लगा है हम दोनों ने 10 मिनट तक एक दूसरे को पूर्ण रूप से संतुष्ट कर दिया। जब मेरा वीर्य पतन हुआ तो मैं उसे पकड़कर वहां पर लेट गया और उसके बाद वह पार्टी में चली गई। जब वह पार्टी से लौटी तो मैं उसे एक होटल में लेकर गया और रात भर हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जमकर संभोग किया। हम दोनो ने एक दूसरे को सेक्स को लेकर बहुत ही  संतुष्ट कर दिया उसके बाद से तो आकांक्षा और मेरे बीच में हमेशा ही सेक्स होने लगा। हम दोनों एक दूसरे से बिना नहीं रह सकते।


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