एक नंबर की सॉलिड जुगाड़ मिल गई

Ek quantity ki solid jugad mil gayi:

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मेरा नाम प्रताप है मैं पटना का रहने वाला हूं, मेरी पैदाइश पटना में ही हुई लेकिन कुछ वर्षों पहले मेरा परिवार लखनऊ में आकर बस गया। हम लोगों को लखनऊ में 4 वर्ष हो चुके हैं और इन 4 वर्षों में हमारी लखनऊ में अच्छी जान पहचान हो गई। मेरे पिता एक सरकारी अधिकारी थे और वह एक अच्छे पद पर थे इसलिए हमारे घर पर लोगों का आना जाना लगा रहता था, उसी बीच मेरी भी काफी लोगों से दोस्ती होने लगी। मेरा कॉलेज पूरा होने के बाद ही हम लोग लखनऊ आए थे। मैंने लखनऊ में दो वर्ष तक नौकरी की लेकिन अब मैंने अपना ही कारोबार शुरू कर लिया है, मैं हैंडीक्राफ्ट का काम करता हूं। मैं ज्यादातर सामान जयपुर से लेकर आता हूं और वह लखनऊ में बेचता हूं।

मेरे पास काफी कस्टमर है जो मुझसे सामान लेकर जाते हैं, मैंने एक बड़ा स्टोर भी खोला हुआ है, मेरे पास सारा सामान मिल जाता है इसीलिए अधिकतर लोग मुझसे सामान लेकर जाते हैं और मैं उन्हें सही दाम भी लगा देता हूं। कुछ समय पहले की बात है जब मुझे मेरा दोस्त राकेश मिला, राकेश और मेरी दोस्ती स्कूल के समय से ही थी, हम दोनों स्कूल में साथ पढ़ते थे, हम दोनों बहुत ही गहरे दोस्त थे। राकेश का परिवार भी हमारे घर से कुछ दूरी पर ही रहता था और हम लोग पटना में एक दूसरों के घर पर अक्सर आया जाया करते थे लेकिन जब मैं उसे लखनऊ में मिला तो मैं उसे मिलकर बहुत खुश हुआ, मैंने राकेश से पूछा तुम लखनऊ में कैसे आ गए, वह मुझे कहने लगा कि मैं अपनी बहन के पास आया था। मैंने राकेश से पूछा क्या तुम्हारी बहन की शादी हो चुकी है, वह कहने लगा हां मेरी बहन की शादी लखनऊ में ही हुई है और उसके पति यहीं पर रहते हैं। हम दोनों इतने सालों बाद मिल रहे थे इसलिए इतने सालों बाद हमारे दिल में जो बातें थी वह सब बाहर आने लगी। मैंने राकेश से पूछा कि तुम शादी कब कर रहे हो, वह कहने लगा मैं तो अभी शादी के मूड में नहीं हूं लेकिन आने वाले समय का पता नहीं देखते हैं कब शादी हो जाए और परिवार वाले भी मुझसे इस बारे में बात कर रहे हैं।

मैंने राकेश से पूछा तुम आजकल क्या कर रहे हो, राकेश ने मुझे बताया कि मैं कुछ समय तक तो विदेश में होटल में नौकरी कर रहा था लेकिन मैं वापस पटना आ गया हूं इसलिए सोच रहा हूं कि कुछ काम यहीं पर खोल लूं। मैंने राकेश से कहा कि क्यों ना तुम लखनऊ में ही कुछ काम कर लो, लखनऊ में तुम्हे अच्छा रिस्पॉन्स मिलेगा और लखनऊ में मैं भी तुम्हारी मदद कर दूंगा। राकेश कहने लगा अभी तो मैं थोड़ा जल्दी में आया था इसलिए मेरे पास इस समय तो वक्त नहीं है क्योंकि मुझे कल पटना जाना है लेकिन मैं अगले महीने आऊंगा तो अगले महीने हम लोग आराम से बैठ कर बात करेंगे। मैंने राकेश से कहा ठीक है तुम अगले महीने आ जाना, हम लोग अगले महीने ही इस बारे में चर्चा करेंगे। राकेश और मेरे बीच मे घनिष्ट सम्बन्ध है,  वह मुझ पर बहुत भरोसा करता है लेकिन इतने सालों बाद वह मुझे मिला तो मैं भी बहुत खुश था। मुझे तो बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि मेरी मुलाकात राकेश से हो जाएगी, राकेश और मेरी दोस्ती भी स्कूल में एक बड़ी ही अजीब तरीके से हुई। हम लोग स्कूल में एक दूसरे से बहुत ही अलग सोच वाले थे, हम दोनों अलग ग्रुप में रहते थे। एक दिन राकेश का कोई पुराना दोस्त था उसका झगड़ा मेरे साथ हो गया, जब हम दोनों का झगड़ा हुआ तो राकेश भी बीच में आया लेकिन जब राकेश को यह बात पता चली तो उसमें मेरी कोई गलती नहीं थी, उसके बाद राकेश ने मुझ से दोस्ती कर ली और हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए लेकिन इतने सालों से संपर्क में ना रहने के कारण मैं भी राकेश को काफी याद कर रहा था। अब वह भी मेरे साथ काम करने के लिए तैयार था। अगले दिन जब राकेश पटना चला गया तो कुछ दिनों बाद उसने मुझे फोन किया और कहने लगा कि मैं लखनऊ आने वाला हूं तो तुम मुझे मिल लेना, मैंने राकेश से कहा कि तुम मेरी शॉप पर ही आ जाना वहां पर हम लोग बैठ कर आराम से बात कर पाएंगे, राकेश ने कहा ठीक है मैं तुम्हारी शॉप पर आ जाऊंगा हम लोग वहीं पर बैठ कर बात कर लेंगे। राकेश जब मेरी शॉप पर आया तो उसने मुझे अपना प्लैन बताया और कहा कि मैं इस प्रकार का एक रेस्टोरेंट खोलना चाहता हूं, मैंने उसे कहा ठीक है मेरे कुछ मित्र हैं मैं उन लोगों से बात कर लेता हूं और वह तुम्हें अच्छी जगह दिलवा देंगे जिससे कि तुम्हारा काम भी अच्छा चलेगा।

राकेश कहने लगा यदि मेरी इतनी मदद तुम कर दो तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा, मैंने राकेश से कहा तुम्हें इस प्रकार की बात करने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हारा दोस्त हूं तो तुम्हारी मदद क्यों नहीं करूंगा। मैंने राकेश से कहा कि अब भी तुम पहले जैसे ही हो या फिर तुम्हारे अंदर थोड़ा बदलाव आ चुका है, वह मुझे कहने लगा आदमी कभी बदल सकता है मैं अभी पहले जैसा ही हूं, बस कुछ साल विदेश में रहने से थोड़ा बहुत परिवर्तन आ गया है और थोड़े पैसे जेब में आ गए हैं बस इससे ज्यादा मेरे अंदर कोई भी परिवर्तन नहीं आया है। मैंने राकेश से कहा तो फिर चलें क्या आज हम लोग कहीं जुगाड़ पेलने के लिए। वह कहने लगा क्या बात कर रहे हो दोस्त नेकी और पूछ पूछ मैं तो इस चीज का बहुत शौकीन हूं और जब तक मुझे किसी की चूत नहीं मिलती तो मैं रह नहीं सकता। मैं भी अपने एक दोस्त को फोन घुमाया, उसने मुझे एक सॉलिड माल का नंबर दे दिया। जब हम लोग वहां गए तो मैं उस महिला का बदन देख कर ही उत्तेजित हो गया।

मैंने राकेश से कहा जाओ तुम इसकी चूत मार लो, राकेश ने उसे बड़े अच्छे से चोदा, जब वह 10 मिनट बाद बाहर आया तो वह मुझे कहने लगा जाओ तुम अब मजा ले लो, मुझे तो बड़ा आनंद आ गया। मै उस महिला के पास गया तो उसके बड़े स्तन देखकर मैं बढे चूचे देस कर मे रह नही पाया, मैंने उसे अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा। मैंने उसके स्तन पर लव बाइट भी दे दी, जिस प्रकार से मैं उसके स्तनों का रसपान कर रहा था मुझे बड़ा आनंद आ रहा था। मैंने उसे कहा अब तुम जरा मेरे लंड का भी जूस निकाल दो और मुझे मजे दे दो। उसने भी देरी नहीं की और जैसे ही मेरे कड़क लंड को उसने अपने मुंह के अंदर लिया तो मैं बहुत खुश हो गया। मैं उसके मुंह के अंदर अपने लंड को डालने लगा, एक बार तो मैंने उसके मुंह के अंदर ही अपने वीर्य को गिरा दिया जिससे कि वह पूरी उत्तेजित हो गई और कहने लगी तुम्हारा लंड से तुम्हारा वीर्य बड़ी तेज गति से निकलता है। हम दोनों पूरे मूड में थे, मैंने भी उसकी चूत के अंदर उंगली डाल दी, उसकी चूत पूरी गिली हो चुकी थी। उसने कहा जानू तुम अब मेरी इच्छा पूरी कर दो मैंने भी अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया तो वह उत्तेजित हो गई। मैंने जैसे ही उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो वह मुझे कहने लगी अब मुझसे बिल्कुल भी नहीं रहा जा रहा तुम मुझे तेज से चोदना शुरू करो। मैंने जैसे ही उसे झटके दिए तो उसके मुंह से आह की आवाज निकल आई और वह अपने पैरों को चौड़ा करने लगी। वह कहने लगी तुम अपने लंड को मेरी योनि के अंदर तक डालते रहो, उसकी योनि बड़ी टाइट थी, मुझे उसे चोदने में बहुत आनंद आ रहा था मैंने कुछ समय बाद उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसकी चूत में अपने लंड से तेज प्रहार किए, उसकी चूतड़ों का रंग सफेद से लाल हो गया। वह पूरी गर्म हो चुकी थी, मैंने उसे अपने ऊपर बैठा दिया वह इतने जोश में थी कि अपनी बड़ी चूतडो को मेरे लंड पर ऊपर नीचे करने लगी। उसकी योनि जब मेरे लंड के ऊपर नीचे होती तो मैं बड़ा ही खुश हो रहा था और उसके चेहरे पर भी एक अलग ही प्रकार की चमक दिखाई दे रही थी। वह जिस प्रकार से अपनी चूतडो को ऊपर नीचे करती मैं भी ज्यादा समय तक उसके साथ संभोग नहीं कर पाया, मेरा वीर्य नकलने वाला था, मैंने उसे कहा आ जाओ मेरे वीर्य को अपने मुंह में ले लो। उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया, जब मेरे वीर्य की धार उसके मुंह के अंदर गिरी तो उसने वह पूरा चाट कर साफ कर दिया।


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