अग्रवाल साहब की बेटी का भोसड़ा चोदा Hindi XXX Story : हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम बबलू है। में दिल्ली का रहने वाला हूँ और मेरी उम्र 36 साल है। में आज आप सभी लोगों को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। जिसमें मैंने अपने पड़ोस की एक लड़की को चोदा। वैसे मुझे बचपन से ही सेक्स करना बहुत पसंद था और अब पिछले कुछ सालों से गंदीकहानियाँ डॉट कॉम पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ने का बहुत शौक है। मैंने अब तक बहुत सारी कहानियाँ पढ़कर उनके मज़े लिए और इसलिए मेंने सोचा कि क्यों न जो घटना मेरे साथ हुई, उसको में आप लोगों को सुनाऊँ। मेरी यह कहानी आप सभी को जरुर अच्छी लगेगी और अब आपका ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए सीधे आज की कहानी पर आता हूँ।
दोस्तों उस समय मेरे पड़ोस में अग्रवाल साहब रहते थे और वो मेरे पापा के बहुत अच्छे दोस्त थे, इसलिए मेरा उनके घर पर आना जाना लगा रहता था। इसलिए वो लोग भी हमारे घर पर आते-जाते रहते थे, उनके पांच बच्चे थे। जिनमें तीन लड़कीयां और दो लड़के थे और उनके लड़के मेरी उम्र के ही थे, इसलिए हम लोग हमेशा साथ में खेला करते थे। दोस्तों अग्रवाल साहब की सबसे बड़ी लड़की का नाम अनु और वो मुझसे उम्र में करीब तीन साल छोटी थी, लेकिन थी बहुत सुंदर और उसका स्वभाव भी मेरे लिए बहुत अच्छा था और वो मुझसे बहुत ज्यादा हंसी मजाक किया करती थी। मैंने कई बार सही मौका देखकर उसके बूब्स, गांड को छुआ, लेकिन वो बस मुस्कुराकर रह जाती, लेकिन मुझे कुछ ना कहती।
अग्रवाल साहब की बेटी का भोसड़ा चोदा Hindi XXX Story
फिर धीरे-धीरे हम लोग जवान हो रहे थे। हम लोग उस समय हम चुप्म चुपाई का खेल खेला करते थे और एक दिन हम सभी लोग मिलकर खेल रहे थे। उस समय हम दोनों ऊपर वाले कमरे में जाकर छुप गये, तो मैंने देखा कि उस कमरे में बहुत ज्यादा अँधेरा था और अब वो ठीक मेरे आगे खड़ी थी। तभी कुछ देर बाद उसने अपने कूल्हों को पीछे की तरफ दबा दिया, जिसकी वजह से वो अंजाने में मुझसे एकदम चिपक गई थी। अब उसकी गांड की गरमी पाकर मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया, इसलिए मैंने उसको और भी आगे की तरफ धक्का दे दिया। मैंने ऐसा करीब चार पांच बार किया और फिर मैंने हिम्मत करके अपने दोनों हाथों को उसके आगे लाकर उसके बूब्स को पकड़ लिया, मेरे दोनों हाथ उसके छोटे आकार के, लेकिन एकदम गोल गरम बूब्स पर थे।
उसकी सांसे ज़ोर से चलने की वजह से मुझे उसकी छाती अंदर बाहर होती हुई महसूस हो रही थी, लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोली और मैंने उसकी तरफ से किसी भी तरह का विरोध ना देखकर तुरंत थोड़ी और हिम्मत करके उसके कपड़ो को झट से ऊपर उठाकर उसके बूब्स को नंगा कर दिया और अब में उसकी छाती को अपनी तरफ घुमाकर बूब्स को ब्रा को ऊपर करके बाहर निकालकर ज़ोर ज़ोर से चूसने दबाने लगा।
फिर उसके मुहं से सस्स्स्स्स्स्स आईईईइ की आवाज़ निकल रही थी। फिर मैंने करीब पांच मिनट तक उसके बूब्स को बहुत मज़े लेकर चूसा और चूसने की वजह से उसको बहुत दर्द हुआ, इसलिए मैंने उसको छोड़ दिया और उसने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए। उसके बाद हम दोनों नीचे आ गये और वो मेरी तरफ मुस्कुराती हुई अपने घर पर चली गई और में उसके चले जाने के ठीक बाद बाथरूम में चला गया और अब मैंने उसके नाम की मुठ मारी और अपने खड़े लंड को बैठा दिया, लेकिन उसके बाद मेरी हिम्मत अब इतनी बढ़ चुकी थी कि जब भी मुझे मौका मिलता तो में उसको पकड़कर अपनी बाहों में दबोच लेता और उसके बूब्स को दबा देता था।
मैंने उसके साथ यह सब बहुत बार किया और उसने भी धीरे धीरे अब मेरा साथ देना शुरू कर दिया था, क्योंकि अब शायद उसको भी मेरे साथ मज़ा आने लगा था। फिर एक दिन हमारी अच्छी किस्मत से हम दोनों के घरवाले फिल्म देखने चले गये, लेकिन उनके घर से अन्नु और मेरे घर से में भी उनके साथ नहीं गया था, क्योंकि में उस समय अपने घर से बाहर था और मुझे घर पहुंचने में ज्यादा समय लगता, इसलिए मेरे घरवाले मुझसे फोन पर यह बात कहकर चले गए कि हम सभी लोग और अन्नु के घर वाले हम सभी फिल्म देखने जा रहे है।
फिर जब में अपने घर पर आया तो मैंने देखा कि अन्नु मेरे घर पर बैठी हुई थी। फिर मैंने उससे बिल्कुल अंजान बनकर पूछा कि घर के सभी लोग कहाँ है और वो मुझसे बोली कि वो सभी फिल्म देखने गये है। फिर मैंने उससे पूछा कि तुम भी उनके साथ क्यों नहीं गई? तो वो मुझसे हंसकर कहने लगी कि बस ऐसे ही मेरी इच्छा नहीं थी। तभी मैंने उसके बूब्स को पकड़ लिया और उसको कपड़ो के ऊपर से ही चूमने लगा और दबाने लगा, तो वो मुझसे बोली कि तुम ऊपर वाले कमरे में चलो, में पूरे घर को ताला लगाकर अभी ऊपर आती हूँ।
फिर मैंने उससे बोला कि में भी तुम्हारे साथ चलता हूँ और फिर मैंने एक चादर को उठा लिया, वो जल्दी- जल्दी से अपना काम खत्म करने लगी और फिर हम दोनों ऊपर वाले कमरे में आ गए। फिर मैंने उस चादर को ज़मीन पर बिछा दिया और लेट गया। फिर वो भी मेरे साथ लेट गयी। अब मैंने उसके गुलाबी होंठो को चूमना शुरू कर दिया और धीरे धीरे मैंने महसूस किया कि उसको भी अब बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी। फिर मैंने उसको कपड़े उतारने के लिए कहा, लेकिन वो मना करने लगी। फिर मैंने कहा कि तुम नंगी हो जाओ कुछ नहीं होगा, तुम मेरे होते हुए डरती क्यों हो? फिर वो मुझसे बोली कि ठीक है, में ऊपर वाले कपड़े खोल देती हूँ, लेकिन सलवार नहीं उतारूंगी।
फिर मैंने उससे कहा कि हाँ ठीक है और उसने जैसे ही ऊपर से अपने कपड़े उतारे। फिर मैंने देखा कि उसके छोटी छोटी बूब्स की वो निप्पल एकदम टाईट हो चुकी थी और उसको देखकर मेरा लंड पेंट फाड़ने को तैयार हो गया और जैसे ही में पेंट खोलने लगा तो उसने मुझसे साफ मना कर दिया और वो मुझसे बोली कि तुम पूरी पेंट नहीं बस चैन खोलकर उसको बाहर निकाल लो। अब मैंने उसके कहने पर अपनी पेंट की चैन को खोलकर अपने लंड को बाहर निकाल लिया और मेरा 6.5 इंच का लंड तनकर लोहे के सरीये की तरह खड़ा हो गया था। फिर मैंने उससे बोला कि तुम अब इसको पकड़ लो। फिर उसने तुरंत मेरे लंड को अपने मुलायम हाथों से पकड़ लिया।
फिर जैसे ही उसके हाथों ने मेरे लंड को स्पर्श किया तो में पागल हो गया, जिसकी वजह से मेरे लंड ने अब हल्के हल्के झटके देना शुरू किया और अब मैंने अग्रवाल साहब की सुन्दर सेक्सी बेटी के बूब्स को चूसना शुरू कर दिया और में ज़ोर-ज़ोर से उसके बूब्स चूस रहा था और वो आआआऊ उफ्फ्फफ्फ्फ़ कर रही थी। अब वो बहुत जोश में आ गई थी और में अब उसकी गरम चूत को सलवार के ऊपर से ही मसलने, सहलाने लगा, जिसकी वजह से वो सिसकियाँ लेकर और भी ज्यादा गरम हो गई। फिर मैंने जल्दी से अपनी पेंट को उतार दिया और अब में पूरा नंगा हो गया था। फिर मैंने उसको भी नंगा होने के लिये कहा तो वो अब भी मना करने लगी। फिर मैंने उससे कहा कि तुम अपनी सलवार को थोड़ा सा नीचे ही कर लो, मुझे बस एक बार तुम्हारी चूत को देखना है, प्लीज तुम मुझे उसके दर्शन करवा दो और मेरे बहुत कहने पर वो अब मान गई और उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
दोस्तों मैंने जब उसकी चूत देखी तो में बिल्कुल बेकाबू पागल सा हो गया, क्योंकि उसकी चूत पर बहुत छोटे छोटे बाल थे और वो बिल्कुल मासूम कली की तरह दिख रही थी, इसलिए उसकी वो कुंवारी चूत मुझे बहुत जोश दिला रही थी, इसलिए अब में उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसको सहलाने लगा, जिसकी वजह से उसके मुहं से आह्ह्ह्हह्ह हूऊऊह्ह्ह्हह स्सीईईईइ तुम यह क्या कर रहे हो, प्लीज अब अपना हाथ हटाओ वहां से आह्ह्हह्ह यह सब गलत है। उसके मुहं से ऐसे शब्द निकल रहे थे। फिर मैंने उससे कहा कि हम दोनों बहुत गरम हो गए है, यह जोश हम दोनों में बराबर है, प्लीज मुझे एक बार प्यार करने दो और उसके बाद में अपनी जीभ से चूत को चाटने लग गया, जिससे वो मज़े से पागल हो गई और नीचे से अपने कूल्हों को उछालने लगी, जिससे में एकदम से रुक गया और अब मैंने उससे कहा कि तुम मेरे लंड को चूसो तो उसने मना कर दिया।
फिर उसकी तरफ से ना सुनकर मैंने भी तुरंत उसकी चूत को चाटने से मना कर देने के बाद वो मुझसे बोली कि प्लीज और ज़ोर से चूसो ना, मुझे तुम्हारे चूसने से बहुत अच्छा महसूस हो रहा है और बहुत मज़ा भी आ रहा है, प्लीज एक बार चूस लो। फिर मैंने अग्रवाल साहब की बेटी से कहा कि तुम भी मेरा लंड चूसो और में तुम्हारी चूत को चूसता हूँ और अब वो मान गई और कुछ देर मेरे लंड को चूसने के बाद अब हम दोनों sixty nine की पोजीशन में आ गए। उसके कुछ देर बाद हम दोनों बारी बारी से झड़ गये। मैंने उसकी चूत चाटी तो उसने मेरा लंड चूसकर और चाटकर साफ किया और फिर वो नीचे चलने की बात करने लगी।
तब मैंने उससे बोला कि अभी तो हमने कुछ भी नहीं किया है और अभी तो हमें बहुत कुछ और भी करना है, लेकिन वो नहीं मानी और हम लोग नीचे आ गए और वो उसके बाद अपने घर पर चली गई। फिर में भी थोड़ी देर तक ऐसे ही इधर उधर घूमता रहा और इतने में हमारे घर वाले भी आ गये थे। फिर मेरी अग्रवाल साहब की बेटी को चोदने की ख्वाईश अधूरी रह गई। फिर में बस यही बात सोचता रहा कि अब में उसको कब चोदूँगा और बाद मे हमें कभी कोई अच्छा मौका ही नहीं मिलता था, इसलिए में कभी कभी उसको अकेले में पकड़ लेता था और उसके बूब्स को दबा देता और अपने लंड को उसके हाथ में दे देता, जिससे वह बहुत खुश होकर मेरे लंड को सहलाती और में उसके बूब्स के मज़े लेता। दोस्तों ये कहानी आप गंदीकहानियाँ डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
जब एक दिन में शाम को बाहर से करीब 7 बजे अपने घर पर आया। तभी मैंने उसकी खिड़की की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ इशारा कर रही थी। में उसका वो इशारा समझकर तुरंत चुपके से अपनी छत से कूदकर उसकी छत पर चला गया और उसको देखने लगा। फिर वो भी कुछ देर बाद मौका पाकर अपनी छत पर आ गयी और फिर वो मुझसे कहने लगी कि आज मेरे घर के सभी लोग मेरे मामा के यहाँ एक पूजा में जायेंगे और वो सभी कल तक आ जायेंगे, अभी घर पर में ही हूँ। मेरे पापा रात को करीब 9 बजे तक घर आयेंगे। मैंने जैसे ही उसकी यह बात सुनी तो मेरे दिमाग में उसे चोदने का ख्याल आया और मैंने समय न गँवाते हुये जल्दी से उसको नीचे उसके घर में ले गया और फिर मैंने दरवाजा बंद कर उससे कहा कि आज में तेरी चुदाई जरुर करूंगा, तू चाहे कितना भी मुझे मना कर ले, लेकिन तू आज मेरे लंड से चुदकर ही रहेगी, चाहे तू अपनी मर्जी से चुपचाप अपनी चुदाई करवा या फिर में तेरे साथ जबरदस्ती करूं, यह तेरी मर्जी। फिर वो मुझसे मना कर रही थी।
मैंने फिर भी उसको चूमना शुरू कर दिया, जिसकी वजह से वो धीरे धीरे गरम होने लगी और मैंने उससे कहा कि मुझे चुदाई करने दो, लेकिन वो अब भी मना करने लगी, तो में उससे बोला कि ठीक है में यहाँ से जा रहा हूँ। मेरे ऐसा कहने पर उसने मुझे पकड़कर ज़बरदस्ती बेड पर गिरा दिया और कहने लगी कि नाराज हो गये हो क्या? फिर वो मेरे कपड़े खोलने लगी और कुछ ही देर में उसने मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया और अब वो अपने कपड़े भी उतारने लगी और देखते ही देखते वो भी अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो गयी और वो मेरे ऊपर आकर मेरे खड़े लंड को चूसने लगी और उसने अपनी नंगी चूत को मेरे मुहं पर रखते हुए मुझसे कहने लगी कि तुम अब मेरी चूत को चूसो।
फिर मैंने उससे साफ मना कर दिया और में उससे बोला कि तुम मेरे चूसने की वजह से झड़ जाओगी और उसके बाद तुम मुझे तुम्हारी चूत का मज़ा नहीं लेने दोगी, तुम्हें तो वो मज़ा मिल जाएगा, लेकिन में फिर भी प्यासा रह जाऊंगा। तब उसने कसम खाई और वो मुझसे कहने लगी कि आज में तुम्हें तुम्हारी मर्जी से वो सब ज़रूर करने दूँगी, चाहे तुम मेरे साथ कुछ भी करो, कैसे भी करो, में तुम्हें मना नहीं करूंगी। दोस्तों उसकी पूरी बात सुनकर मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में मैंने महसूस किया कि उसका तो बहुत बुरा हाल हो गया, वो अपनी गांड को उछालने लगी और ओइईईईईईू ऊऊऊऊहाआआं उफ्फ्फ्फ़ करने लगी और थोड़ी देर बाद वो बिल्कुल शांत हो गई।
फिर मैंने उससे कहा कि अब में तुम्हारी चूत को चोदकर अपने लंड को जरुर शांत करूंगा, तो वो मुझसे मना करने लगी, लेकिन में फिर भी उसके बूब्स को दबाने लगा और उसके निप्पल को अपने मुहं में लेकर चूसने लगा। मेरे यह सब करने की वजह से वो करीब पांच मिनट में दोबारा से गरम हो गयी और इस बार मैंने सोचा कि यही मौका ठीक है, अब में इसको चोद देता हूँ, नहीं तो यह फिर से मना करने लग जाएगी। मैंने उसको सीधा लेटा दिया और में उसके ऊपर आ गया और लंड को उसकी मचलती हुई चूत के छेद पर लगा दिया और चूत के दाने को सहलाने लगा। अब वो मुझसे कहने लगी कि प्लीज थोड़ा धीरे धीरे करना, मेरी चूत में दर्द मत करना।
फिर मैंने उससे कहा कि ऐसा कुछ नहीं होता, बस हल्का सा दर्द होगा, लेकिन तुम बस उसको सह लेना, तुम अपनी तरफ से ज्यादा मत उछलना, तुम्हारे साथ वैसे भी में हूँ ना और फिर मैंने अपने लंड को एक जोरदार धक्का दे दिया, जिसकी वजह से मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया और वो दर्द से रोने लगी और वो आईईईईई प्लीज छोड़ दो मुझे उफ्फ्फफ्फ्फ़ मुझे बहुत दर्द हो रहा है, कसम से में सच कह रही हूँ, प्लीज अब तुम हटो मेरे ऊपर से आह्ह्हह्ह्ह्ह और वो मुझे धक्का देकर अपने ऊपर से हटाने लगी, लेकिन मैं उसको बहुत ज़ोर से पकड़ा हुआ था, इसलिए वो कुछ नहीं कर सकी। कुछ देर में ऐसे ही रहा और उसके बूब्स को लगातार चूसता रहा और कुछ देर बाद जब वो शांत हो गई तो मैंने सही मौका देखकर अपने लंड से उसकी चूत पर एक धक्का और लगा दिया, जिसकी वजह से मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी उस छोटी सी चूत को चीरता हुआ उसमें समा गया और में कुछ देर तक उसके ऊपर चुपचाप पड़ा रहा और उसके बूब्स को और चूत को सहलाता रहा।
फिर मैंने कुछ देर बाद अपनी तरफ से उसकी चूत में हल्के हल्के धक्के देने शुरू कर दिए, जिसकी वजह से उसको हल्का हल्का दर्द हो रहा था और इसके बाद भी मेंने ज़ोर ज़ोर से धक्के देना शुरु कर दिया और फिर मैंने ध्यान से देखा तो अब उसको भी मज़ा आना शुरू हो गया था, क्योंकि वो भी अब अपने चूतड़ को उछालने लगी और लंड के पूरा अंदर जाते ही उसको मज़ा आ रहा था और वो हल्की हल्की आवाज से सिसकियाँ ले रही थी। मैंने भी अब अपनी स्पीड को बड़ा दिया, जिसकी वजह से वो ना जाने क्या क्या बड़बड़ाने लगी, उसने अब मुझे गंदी गंदी गालियाँ देनी शुरू कर दी, बहनचोद मादरचोद कुत्ते हाँ और ज़ोर से धक्का दे, हाँ आज तू फाड़ दे मेरी इस चूत को, दे हाँ और ज़ोर से धक्का दे, तेरे लंड के साथ साथ आज तू मेरी चूत को भी शांत कर दे, वाह मज़ा आ गया और वो बहुत कुछ बोली, जिनको सुनकर में बड़ा हैरान था कि वो एक लड़की होकर मुझे इतनी गंदी गलियां बक रही है और अपनी चुदाई करने के लिए मुझसे कह रही है।
अब में पूरे जोश में आकर लगातार ज़ोर से धक्के लगाता रहा, लेकिन कुछ देर धक्के लगाने के बाद वो झड़ गयी। फिर कुछ देर वो बिल्कुल निढाल होकर पड़ी रही और फिर वो कुछ देर बाद मुझसे कहने लगी कि अब बंद करो। फिर मैंने उससे कहा कि अभी में नहीं झड़ा और तुम्हें मेरे झड़ने तक रुकना होगा और फिर में ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर उसको चोदने लगा, जिसकी वजह से वो एक बार फिर से गरम हो गई और अब वो मेरा साथ देने लगी। फिर कुछ देर धक्के देने के बाद में भी उसकी चूत में झड़ गया और जैसे ही मैंने अपना लंड चूत से बाहर निकाला तो मैंने देखा कि उसकी चूत से थोड़ा खून और वीर्य बाहर निकल रहा था। यह देखकर मैंने उसको एकदम से उठाकर बैठा दिया और उससे कहा कि तुम जल्दी से जाकर बाथरूम कर लो, नहीं तो कुछ कबाड़ा ना हो जाए और वो जल्दी से उठकर बाथरूम में चली गई और में अपने कपड़े पहनकर सीधा अपने घर आ गया।
फिर कुछ दिनों के बाद मेरे पापा की और अग्रवाल साहब की किसी बात को लेकर अनबन हो गई और हमारा एक दूसरे के घर पर आना जाना बंद हो गया, दो साल तक हम दोनों भी एक दूसरे से नहीं बोले। फिर मेरी सगाई हो गई और जिस दिन मेरी सगाई थी और उसके अगले दिन अनु ने मुझे फोन करके छत पर मिलने आने के लिए कहा और में उससे मिलने हमारी छत पर चला गया, जहाँ वो मुझसे मिलने के लिये इन्तजार कर रही थी। मेरी सगाई होने की बात को लेकर बहुत दुखी थी और वो अब ज़ोर ज़ोर से रोने लगी, लेकिन मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं था, इसलिए मुझे सगाई करनी पड़ी।
कुछ देर में छत पर उसको समझाता मनाता रहा। उसके बाद में वापस आ गया और उसके कुछ दिनों बाद ही मेरी शादी हो गयी और मेरी शादी के दो साल के बाद उसकी भी शादी हो गई और वो अपने ससुराल चली गई। फिर मुझे पता चला कि उसका पति दिल्ली में कहीं काम करता था और उसके कुछ दिनों बाद अग्रवाल साहब हमारे पास वाले घर को छोड़कर किसी दूसरे घर में रहने चले गए और में अपने शादीशुदा जीवन में व्यस्त हो गया, लेकिन इस दौरान मैंने बहुत सारी कुंवारी और शादीशुदा औरतों को अपनी बातों में फंसाकर उनकी चुदाई की और उनके साथ सेक्स के बहुत सारे मज़े लूटे।
फिर एक बार में अपनी बहन के घर पर दिल्ली गया हुआ था। तब मेरी बहन ने मुझसे कहा कि दो दिन पहले अनु मेरे पास आई थी और वो मेरे साथ कुछ घंटे बातें करके अपने घर पर चली गई। फिर मैंने तुरंत अपनी बहन से पूछ लिया कि वो कहाँ रहती है, उसका मकान कहाँ पर है? तो मेरी बहन ने मुझे उसके घर का अधूरा पता दे दिया, क्योंकि उसको भी पूरा पता मालूम नहीं था, लेकिन अपनी बहन से अनु का फोन नंबर पूछने की मेरी बिल्कुल भी हिम्मत नहीं हुई और अब में अपनी बहन की फोन डायरी उठा लाया, जिसमें बहुत सारे फोन नंबर लिखे हुए थे और अब में नंबर देखने लगा और बहुत देर तक ढूंढने के बाद मुझे उसमें से उसका फोन नंबर मिल गया। फिर मैंने उसका नंबर अपने मोबाइल में लिख लिया और में अपने घर पर वापस आ गया।
फिर उसके कुछ दिनों तक में लगातार बस यही बात सोचता रहा कि क्या में उसको फोन करूं या ना करूं और एक दिन मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके उसको फोन लगा दिया और उसने मुझसे बहुत देर तक बातें की। तभी मुझे उससे पता चला कि उसके पापा अब इस दुनिया में नहीं है, उनकी कुछ साल पहले दिल का दौरा पड़ने से म्रत्यु हो चुकी है। उससे इस बात को सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ और वो भी मुझसे बातें करते समय थोड़ा सा उदास हो गई, लेकिन फिर मैंने उससे हंसी मजाक शुरू कर दिया, जिसकी वजह से उसका थोड़ा सा मूड अच्छा हो गया और उसके बाद मैंने बात खत्म करके फोन बंद कर दिया।
दोस्तों सच पूछो तो में मन ही मन उससे इतने दिनों के बाद बात करके और उसकी आवाज सुनकर बहुत खुश था। फिर अगले दिन मैंने उसको दोबारा उसके नंबर पर फोन लगाया, लेकिन उसने मुझसे कुछ ठीक तरह से बात नहीं की तो मैंने भी उससे ज्यादा बात नहीं की थी। फिर करीब 15 दिन बाद उसका फोन मेरे मोबाईल पर आया। उसके बाद हम दोनों अब हर रोज एक दूसरे को फोन करने लगे। फिर कुछ दिनों बाद वो मुझे दिल्ली आकर मिलने को कहने लगी और में उससे मिलने की बात को बहुत दिनों तक सोचता रहा और एक दिन में दिल्ली चला गया।
अग्रवाल साहब की बेटी ने मेरा अपने घर पर बहुत अच्छी तरह से खुश होकर स्वागत किया, में उसको देखकर बहुत चकित हुआ, क्योंकि वो तो अब पहले से भी ज्यादा सुंदर लगने लगी थी और उसके बूब्स, गांड का आकार पहले से बहुत उभर चुका था। फिर में वहां पर बस दो घंटे रहा और हमने खुलकर कब बात की, जब में वापस घर आने को हुआ तो उससे पहले तक में बस उसको घूर घूरकर देखता ही रहा और वैसे मेरी इस हरकत का उसको भी अंदाजा था कि मेरी नजर उसके बदन को खा जाएगी। फिर मैंने उसको गले लगने को बोला, तो वो बोली नहीं। फिर मैंने पूछा कि क्यों क्या हुआ तो वो मुझसे बोली कि में तुम्हारी दीवानी हो जाऊँगी। फिर मैंने उसको इस बात के लिए ज्यादा दबाव नहीं दिया और फिर में वापस अपने घर पर आ गया और उसके बाद से हमारे फोन का सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। फिर 15 दिन बाद में दोबारा उसके घर पर चला गया और उस दिन मैंने चाय पीने के बाद उसको अपनी बाहों में ले लिया और फिर उसको चूमना शुरु कर दिया।
फिर मैंने उसको चूमते- चूमते उसको बेड पर गिरा दिया और उसकी साड़ी को ऊपर कर दिया। फिर मेंने अपनी पेंट की चैन को खोल दिया और अपना तना हुआ लंड उसकी चूत में डाल दिया और फिर मैंने उसको धक्के देना चालू कर दिया और करीब पांच मिनट में हम दोनों झड़ गये। उसके बाद भी मैंने उसको चूमना चालू रखा, जिसकी वजह से मेरा लंड एक बार फिर से तनकर खड़ा हो गया और मैंने उससे पूछा कि कंडोम है क्या? तो वो बोली कि हाँ तो मैंने उससे कहा कि जल्दी से ले आओ, वो उठकर कंडोम लेने दूसरे कमरे में गयी। तब तक मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, जैसे ही वो कंडोम लेकर आई तो मैंने उसको भी पकड़कर पूरा नंगा कर दिया और अग्रवाल साहब की बेटी के बूब्स को चूसने दबाने लगा। कुछ देर बाद मैंने उससे कहा कि अब तुम मेरा लंड चूसो तो उसने साफ मना कर दिया।
फिर मैंने अपनी तरफ से उस बात पर बहुत ज़ोर दिया और फिर वो मान गई, लेकिन पहले उसने मुझसे मेरे लंड को धोने के लिए कहा और मैंने उठकर बाथरूम में जाकर अपने लंड को धो लिया और उससे बोला कि वो भी अपनी चूत को धो ले। मैंने अपने हाथों से उसकी चूत को पानी लगाकर धो दिया और उसके बाद में उसको अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले आया। अब वो मेरा लंड अपने एक हाथ से पकड़कर बहुत धीरे धीरे अंदर बाहर करके लोलीपोप की तरह चूस रही थी और में उसकी चूत को चाट चूस रहा था और मेरे दोनों हाथ उसके बूब्स पर थे। फिर में लगातार बूब्स को भी निचोड़ रहा था, जिसकी वजह से वो जोश में आ रही थी।
फिर कुछ देर बाद मैंने अग्रवाल साहब की बेटी को मेरे लंड पर कंडोम को चड़ाने के लिए कहा। तभी उसने जल्दी से मेरे लंड पर कंडोम चड़ा दिया और वो मुझसे बोली कि आज में तुझे चोदूंगी और अब वो मेरे ऊपर आ गई और मेरी सवारी करने लगी और करीब पांच मिनट के बाद वो झड़ गई। उसके बाद मैंने उसको अपने नीचे ले लिया और लंड को चूत में डालकर ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा और वो भी पूरे जोश में आकर मेरा साथ दे रही थी और अपने चूतड़ को धीरे धीरे उठा रही थी। दोस्तों जब तक में झड़ा वो तीन बार झड़ चुकी थी। उसके बाद में अपनी चुदाई खत्म करके वापस आ गया और वो मेरी चुदाई से बहुत खुश व पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी, क्योंकि उसके पति ने अब तक उसको वैसा सुख और चुदाई का मज़ा नहीं दिया, जो मैंने उसको दिया था।
फिर उसके बाद में अब जब भी दिल्ली जाता तो अग्रवाल साहब की बेटी को पहले से फोन करके उसके साथ चुदाई का प्रोग्राम बना लेता और उसको बहुत जमकर चोदा करता और हर बार में उसके पास कुछ घंटे बिताया करता, लेकिन अब करीब 6 महीने से वो मुझसे बात नहीं कर रही है और मुझे पता नहीं वो मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही है। फिर मैंने उसको अपनी तरफ से बहुत बार फोन किया, लेकिन वो हमेशा मुझसे कहती है कि यह गलत नंबर है और वो इतना कहकर मेरी पूरी बात सुने बिना ही फोन कट कर देती है, मुझे पता नहीं उसके साथ ऐसी क्या समस्या हो सकती है, हो सकता है कि उसकी कोई मजबूरी होगी, इसलिए वो मेरे साथ ऐसा व्यहवार कर रही है, लेकिन में उसको आज भी बहुत मन से चाहता हूँ और उसको अपना बहुत सारा प्यार दोबारा देना चाहता हूँ । दोस्तों उम्मदी करता हूँ की आप को मेरी हिंदी सेक्स कहानी ” अग्रवाल साहब की बेटी का भोसड़ा चोदा Hindi XXX Story ” बहुत पसंद आई होगी इस इंडियन देसी हिंदी स्टोरी को अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करना.