आदमी के लंड का आकार – लंड का मुक्त ज्ञानकोश
आदमी के लंड का आकार – लंड का मुक्त ज्ञानकोश
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आदमी के लंड का आकार – लंड का मुक्त ज्ञानकोश : एक प्रसिद्ध ब्रिटिश वैज्ञानिक रिचर्ड लिन ने मानव (पुरुष) के लंड (लिंग) or pennis के आकार पर एक शोधपत्र प्रकाशित किया। इस शोध में 113 देशों के पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज का विश्लेषण किया गया है। इस आधार पर देशों की एक लिस्ट भी बनाई गई है। इस लिस्ट में भारत 110वें स्थान पर है। लिस्ट में 7.1 इंच के औसत ‘साइज’ के साथ कांगो सबसे ऊपर है। कोरिया और कंबोडिया (3.9 इंच) सबसे नीचे हैं। भारत इन्हीं दो देशों से ऊपर है। भारतीय पुरुषों का ‘औसत साइज’ 4 इंच बताया गया है। लेकिन इस पर सवाल उठ रहे हैं।
साल 2006 में भारत में कंडोम का साइज तय करने के लिए किए गए ‘साइज सर्वे’ की रिपोर्ट आई थी। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा कराए गए सर्वे ‘स्डटी ऑन प्रापर लेंथ एंड ब्रेड्थ स्पेसिफिकेसंस फॉर कंडोम बेस्ड एंथ्रोपोमेट्रिक मेजरमेंट’ के बाद यह नतीजा निकला था कि भारतीय बाजार में मिलने वाले कंडोम पुरुषों के लंड (लिंग) or pennis के साइज के अनुपात में बड़े होते हैं। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ॰ शर्मा ने अपनी शोध रिपोर्ट साल 2006 में भारत सरकार को सौंप दी थी।
हालांकि इसके बाद कंडोम बनाने वालों के लिए कोई भी दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए थे। ड्रग्स एंड कास्मेटिक एक्ट 1940 के अनुच्छेद ‘आर’ के मुताबिक भारत में कंडोम का साइज कम से कम 6.7 इंच रखना अनिवार्य है। बहरहाल, सर्वे में 1400 पुरुषों का डाटा लिया गया था जिसमें 18-50 आयुवर्ग के पुरुष शामिल थे। इससे पहले साल 2001 तक मुंबई में इकट्ठा किए गए (200 लोगों के) डाटा के मुताबिक 60 प्रतिशत भारतीय पुरुषों के प्राइवेट पार्ट की औसत लंबाई 4.4 से 4.9 इंच के बीच और 30 प्रतिशत की लंबाई 4 से 4.9 इंच बताई गई थी।
अनुक्रम
1 रिचर्ड के सर्वे पर सवाल
2 सर्वे और उसकी मुश्किलें
3 सर्वे में शामिल अहम देशों का औसत साइज
4 कोच्चि की अलग कहानी
रिचर्ड के सर्वे पर सवाल
डॉ॰ रिचर्ड द्वारा जारी डाटा के मुताबिक भारतीय पुरुषों के लंड (लिंग) or pennis की औसत लंबाई चार इंच है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट का आधार आईसीएमआर के सर्वे को बनाया है। इसलिए इस सर्वे को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। द ओपेन मैग्जीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक आईसीएमआर द्वारा कराए गए सर्वे के नतीजे ही विश्वसनीय नहीं थे। तो फिर इसे आधार बना कर किया गया कोई और सर्वे कैसे विश्वसनीय हो सकता है?
आईसीएमआर के सर्वे को बेहतर रेस्पांस नहीं मिल पाया था क्योंकि भारत में कोई भी पुरुष इस तरह के सर्वे के लिए तैयार हो जाये यह बात भी आसान नहीं है। आईसीएमआर के लिए सर्वे करने वाले डॉ॰ आर०एस० शर्मा के मुताबिक सर्वे के लिए आंकड़े इकट्ठा करने में उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। डॉ॰ शर्मा ने साल 2001 में आँकड़े इकट्ठा करना शुरू किया था। उन्हें इसमें पाँच साल लग गये थे। डॉ॰ शर्मा कहते हैं-“भारतीय पुरुषों के लंड (लिंग) or pennis का औसत साइज निकालना बाकी देशों से भिन्न है क्योंकि यहाँ अलग-अलग जाति और नस्लों के लोग रहते हैं।” डॉ॰ शर्मा की टीम ने सात सेंटरों- पटना, गुवाहाटी, कटक, चंडीगढ़, दिल्ली, मुंबई और हुबली में पुरुषों के प्राइवेट पार्ट के साइज के सैंपल इकट्ठे किये थे।
सर्वे और उसकी मुश्किलें
चंडीगढ़ में डॉ॰ एस के सिंह ने यह सर्वे किया था। डॉ॰ सिंह 220 पुरुषों का सैंपल लेने में कामयाब रहे थे। पुरुषों के लंड (लिंग) or pennis का साइज मापने के लिए एक किट बनाई गई थी जो लंड (लिंग) or pennis की मोटाई और लंबाई मापती थी। इसमें दो पेपर स्ट्रिप थी जिनसे माप लिया जाता था। एक पुरुष के कम से कम तीन माप लिए जाते थे और फिर औसत को अंतिम माप मान लिया जाता था।
पुरुषों के लंड (लिंग) or pennis का माप लेना भी एक बड़ी समस्या थी। पहले आईआईटी खड़गपुर के एक प्रोफेसर ने लंड (लिंग) or pennis का माप लेने के लिए एक डिजिटल कैमरा विकसित किया लेकिन महँगा होने के कारण इसे अपनाया नहीं गया था। कई व्यावहारिक दिक्कतें भी पेश आई थीं। पहले तो पुरुषों को सर्वे में शामिल होने के लिए तैयार करना ही मुश्किल था। अगर किसी तरह तैयार भी किया जाता था तो माप देते वक्त वे सहज नहीं हो पाते थे। उन्हें इसके लिए बोल्ड मैग्जीन आदि दिखा कर तैयार किया जाता था। शादीशुदा पुरुषों को अपनी पत्नी को साथ लाने की इजाजत दी गई थी। इसके बावजूद सही माप लेने में कई मुश्किलें आती थीं। चंडीगढ़ में सर्वे करने वाले डॉ॰ सिंह तो पुरुषों को सर्वे में शामिल होने के लिए देशहित तक का वास्ता देते थे।