Hindi Sex Stories मम्मी की सहेली की रसभरी चूत

Hindi Sex Stories मम्मी की सहेली की रसभरी चूत

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Hindi Sex Stories मम्मी की सहेली की रसभरी चूत : हैल्लो दोस्तों, यह मेरी कामुकता डॉट कॉम पर दूसरी कहनी है और आप सभी लोगों की तरह में भी बहुत सेक्सी कहानियाँ antarvasna Kamukta hindi sex stories indian sex chudai Kahania पढ़ता हूँ और मुझे ऐसा करने में बहुत मज़ा आता है। में ऐसा पिछले कुछ सालों से करता आ रहा हूँ। दोस्तों मेरी हाईट 5 फिट 9 इंच है, मेरा रंग गोरा है और मेरा शरीर बहुत अच्छा है। में दोस्ताना किस्म का हंसी मजाक करने वाला लड़का हूँ, में हर किसी को अपनी बातों से बहुत खुश कर देता हूँ। अब में सीधे अपनी आज की सच्ची घटना पर आता हूँ और में उम्मीद करता हूँ कि यह भी आप लोगों के दिल को जरुर जीत लेगी और आप लोगों को बहुत अच्छी लगेगी। दोस्तों हमारी कॉलोनी में एक महिला थी, उनकी उम्र करीब 47 साल थी, वो दिखने में मस्त थी, वो बहुत गोरी भी थी और उनका वो गदराया हुआ बदन हमेशा मेरी जान लेता था, वो दिखने में बहुत ही ज़्यादा सेक्सी थी और वो हमेशा साड़ी पहनती थी और सच में बिल्कुल कहता हूँ। दोस्तों साड़ी में वो क्या मस्त दिखती थी। साड़ी में उनकी वो गोरी कमर और गहरी नाभि, ज़्यादातर दिख जाती थी और यह सब देखकर मेरी तो सांसे रुक सी जाती थी और में उन्हें देखने के बाद सच में पागल हो जाता था, वो दिखने में ज्यादा सुंदर नहीं थी, लेकिन उनका चेहरा एक सीधी-साधी ग्रहणी की तरह था और मुझे वो बहुत पसंद थी और में उनके सेक्सी हॉट जिस्म के बारे में तो में आप सभी को पहले ही बता चुका हूँ।

अब उस दिन हुआ यह कि क्योंकि हमारा घर आसपास ही था, इसलिए मेरी मम्मी के साथ उनकी अक्सर बातें हुआ करती थी और वो मेरी मम्मी के बहुत करीब थी, इसलिए मेरा भी उनसे हर कभी आमना सामना हो जाता था, वो हमेशा मुझे उनकी किसी ना किसी काम से बाज़ार भेजती और हर कभी घर का कुछ भी सामान लाने को मुझसे कहती थी और फिर में भी बहुत खुश होकर उनका सभी काम कर दिया करता था। दोस्तों मुझे उनकी मदद करने में कोई दिक्कत नहीं थी बल्कि में बहुत खुश था कि चलो में किसी की मदद तो कर पा रहा हूँ। दोस्तों में भले ही मन ही मन उनके साथ बिस्तर पर जाने के लिए तड़प रहा था, लेकिन में मन से उनकी बहुत इज्जत भी किया करता था, क्योंकि वो मेरी मम्मी की उम्र की थी और में सच में उनकी बहुत इज्जत करता था।

फिर एक दिन में बाजार से उनके बताए हुए सामान को लेकर उनके घर पर पहुँचा और फिर उन्हें वो सामान में उनके दरवाज़े के पास से ही देकर वापस जाने लगा, लेकिन तभी उन्होंने मुझे रोका और फिर मुझसे कहा कि क्या तुम अंदर नहीं आओगे? तो मैंने उनसे कहा कि नहीं आंटी कोई दिक्कत नहीं, में अब चलता हूँ और तभी आंटी ने ज़ोर डाला और वो मुझे अपने घर के अंदर ले आई। फिर आंटी ने मुझे सोफे पर बैठा दिया और मुझे पीने का पानी लाकर दे दिया, आंटी ने उस दिन हरे रंग की साड़ी पहनी हुई थी। फिर वो मुझसे कहने लगी कि ज़रा तुम क्या मेरा एक काम कर दोगे? मुझे अपनी रसोई घर में थोड़ा सा काम है, मुझे वहां से कुछ सामान को हटाना है और वहां पर जगह बनानी है। फिर मैंने तुरंत कहा कि मुझे कोई समस्या नहीं है आंटी, में आपका वो काम कर दूंगा, चलो आप मुझे बताओ।

फिर हम दोनों किचन में जाने लगे और तभी मेरी नज़र उनकी साड़ी में लिपटे उनके कूल्हों पर पड़ी, जिनको देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा और तब मैंने खुद को जैसे तैसे संभाला और में आंटी के पीछे पीछे किचन में चला गया। अब आंटी मुझसे कहने लगी कि उन प्लास्टिक के बड़े बड़े डब्बों को वहां से हटाना है। फिर मैंने कहा कि हाँ ज़रूर में सब हटा दूंगा और अब में किचन की पट्टी पर चढ़ गया। तभी आंटी मुझसे बोली कि अरे तू यह क्या कर रहा है? रुक में कुर्सी लेकर आती हूँ। फिर मैंने उनसे कहा कि कोई दिक्कत नहीं है आंटी, में कर लूंगा। तभी आंटी बोली कि कर लूंगा के बच्चे, अगर तू नीचे गिर गया और तुझे चोट लग गई तो गये काम से, चल अब उतर नीचे, लेकिन मैंने फिर भी ना सुनते हुए में उन प्लास्टिक के डब्बों को हटाता गया और मैंने 6 से 8 मिनट के अंदर ही अपना काम खत्म कर लिया था। फिर में नीचे उतरा और आंटी मुझसे बोली कि मानेगा नहीं ना? तू मेरे ना कहने के बावजूद भी नहीं रुका। फिर मैंने कहा कि आंटी अब आप जाने भी दीजिए ना और फिर आंटी मुस्कुराते हुए मुझसे बोली कि तू बहुत ज़िद्दी हो गया है। फिर में हंस पड़ा और आंटी भी हंस पड़ी और फिर आंटी मुझसे पूछने लगी कि क्या तू चाय पियेगा? मैंने कहा कि हाँ क्यों नहीं, अगर आप इतने प्यार से कहोगे तो में आपको मना कैसे कर सकता हूँ?

फिर आंटी चाय बनाने लगी और में उनके एकदम पास में था, लेकिन थोड़ा सा पीछे होकर खड़ा हुआ था, लेकिन वहां पर उस समय में अकेला नहीं खड़ा था। दोस्तों मेरा लंड भी मेरे साथ में खड़ा हुआ था। आंटी के इतने करीब और ऊपर से घर पर भी कोई नहीं था तो अब लंड को तो खड़ा होना ही था। फिर आंटी मुझसे हंस हंसकर बातें कर रही थी और मेरा पूरा ध्यान सिर्फ़ उनकी साड़ी में लिपटे उनके उस भरे हुए गरम जिस्म पर था। दोस्तों वो कहते है ना कि एक महिला अपने आप ही जान जाती है कि कौन उसे किस नजर से देख रहा है और कौन नहीं। फिर ऐसे में भी उनकी नजर से कैसे बच जाता, उन्होंने मुझे देखते हुए पकड़ तो लिया था, लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं बोली, में पूरी कोशिश कर रहा था कि उन्हें ना देखूं, लेकिन मेरा ध्यान बार बार उनके पल्लू में ढके पेट पर साड़ी से झांक रही गोरी कमर पर और उनके भरे हुए कूल्हों पर जा रहा था और में वो सब देखकर एकदम पागल हो रहा था। फिर जो कसर बाकी रह गई थी, आंटी ने वो भी पूरी कर दी और आंटी ने अचानक मुझसे पूछा कि में आज इस साड़ी में कैसी लग रही हूँ? और मेरी उसी वक़्त बेंड बज गई, मुझे उनका यह सवाल सुनकर पसीने छूटने लगे थे।

फिर मैंने सोचा कि अब तो गये काम से, बुरे फंसे अब इस में इस समस्या से बाहर कैसे निकलूं? आंटी ने एक बार फिर से मुझसे पूछा कि क्यों तू किस सोच में डूब गया, तूने मेरी बात का जवाब नहीं दिया और तूने मुझे बताया नहीं कि में आज इस साड़ी में तुझे कैसी लग रही हूँ? फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके हिचकिचाते हुए सीधे सीधे उनको बोल दिया कि आंटी आप आज बहुत ही अच्छी लग रही हो। फिर आंटी ने कहा कि सिर्फ़ अच्छी क्यों तुम्हारी नजर में और कुछ नहीं, जो तुम मुझसे कहना चाहो? फिर मैंने बहुत घबराकर कहा कि जी क्या? में आपके कहने का मतलब कुछ समझा नहीं? दोस्तों अब जो और भी थोड़ी सी बहुत कसर बाकी रह गई थी, वो आंटी ने ही पूरी कर दी।

अब आंटी मुझसे कहने लगी कि बच्चू तू सब कुछ अच्छी तरह से समझ रहा है और में बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ कि तू मुझे पागल बना रहा है, तू इतनी देर से घूर घूरकर मुझे ही देख रहा था ना? तो मैंने कहा कि जी नहीं आंटी आपने थोड़ा गलत अंदाजा लगा लिया, ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा आपने सोचा और तभी आंटी मुझसे कहने लगी कि में बताती हूँ कि तू आज तक क्या करता आ रहा है? तू मुझे उस वक़्त से देखते आ रहा है, जब से में तेरी मम्मी की दोस्त बनी, मेरे बच्चे इस उम्र में यह सब होता है और में बहुत अच्छी तरह से समझती हूँ, लेकिन तू बिगड़ जाएगा, अगर तूने खुद को नहीं संभाला तो।

अब मैंने उनसे कहा कि आंटी में आपको कभी बुरी नज़र से नहीं देखता, बस में आपकी तरफ अपने आप खींचा चला आता हूँ, में सच में आपकी बहुत इज्जत करता हूँ। फिर आंटी बोली कि में जानती हूँ मेरे बच्चे, लेकिन अब तुझे खुद को संभालना होगा, जैसे में भी खुद को संभाल रही हूँ। तभी मैंने उनकी यह बात सुनकर एकदम से चौंककर पूछा कि क्या? आप खुद को संभाल रही है? तो आंटी बोली कि तुझे क्या लगता है सिर्फ़ तुम जवान लड़के लड़की को ही यह सब चीज़ें तड़पाती है, मेरी उम्र की औरतों को भी यह सब कमी लगती है और में भी कभी कभी तेरी तरफ आकर्षित होती हूँ, में भी तेरे साथ सेक्स करना चाहती हूँ, लेकिन तू सच में मेरी दोस्त का बेटा है तो में ऐसे कैसे कर लेती? और ऊपर से में भी तेरी माँ की उम्र की हूँ, इसलिए में आज तक चुप रही।

दोस्तों उनके मुहं से यह सब बातें सच्चाई सुनकर मुझे लगा कि में अब बेहोश हो जाउंगा। कुछ देर तक हम दोनों चुप रहे और फिर में आंटी के पास धीरे से चला गया और मैंने तुरंत उनके चेहरे को आपने हाथों में ले लिया और झुककर अपने होंठ आंटी के होंठो से मिला दिए। आंटी वैसे ही खड़ी रही और बिना मुझे रोके या पीछे धक्का दिए। फिर में उनके होंठो को चूमने लगा। मुझे इतना अच्छा लगा कि में आपको शब्दों में नहीं बता सकता और में आंटी के होंठो को प्यार से चूमता गया और आंटी भी अब अपना मुहं खोलकर अपनी जीभ को मेरे मुहं के अंदर डालने लगी। में अब आंटी को अब पूरे दिल और दिमाग़ से चूम रहा था। दोस्तों उनके होंठो का रस कमाल का था और आंटी भी मुझे ज़ोर से चूम रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे कौन किसके होंठो को ज़्यादा अच्छी तरह से चूम सकता है, हमारे बीच ऐसी शर्त लगी हो। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर आंटी के नरम, मीठे, गुलाबी, स्वादिष्ट होंठो को चखने के बाद में अब आंटी की आखों में देखने लगा। आंटी ने मुझसे सिर्फ़ एक बात कही कि आज मुझे तू जी भर के प्यार कर और फिर में आंटी को वापस चूमने लगा। मुझे उनके होंठो का वो स्वाद बिल्कुल पागल कर रहा था और में उनके होंठो को लगातार चूमे जा रहा था। फिर चूमते चूमते में उनकी साड़ी के पल्लू को नीचे सरकाने लगा था और अब मैंने उनके गले के इर्द गिर्द चूमना शुरू किया और चूमते चूमते में उनकी छाती से बूब्स तक पहुँच गया।

दोस्तों उनके बूब्स ना तो ज्यादा बड़े थे और ना ही छोटे, लेकिन वो जैसे भी थे बहुत अच्छे थे और उस ब्लाउज से उनके बूब्स जिस तरह उभरकर बाहर निकले हुए थे, उसे देखकर मेरा जी कर रहा था कि बस पूरी ज़िंदगी भर में इन गरमा गरम बूब्स को बस चूसता ही रहूं। फिर मैंने उनकी छाती पर अपना चेहरा मसल दिया और उनके बदन और छाती की खुशबू को सूंघने लगा। उन्होंने भी मेरे सर को अपनी छाती पर दबा रखा था। फिर में उठा और फिर से आंटी को किस करने लगा और उसके बाद में उनके गले और कंधे को चूमते चूमते में अब उनकी छाती पर आ गया और उनके ब्लाउज के ऊपर से ही उनके एक बूब्स को हल्के से अपने दातों से काट लिया, जिसकी वजह से वो चिल्ला उठी और उन्होंने मेरे सर को ज़ोर से अपनी छाती पर दबा दिया और फिर में ब्लाउज के ऊपर से ही बूब्स को थोड़ी देर तक चूसता रहा।

अब में सीधे खड़े होकर उनकी आखों में आखें डालकर उनके गरमा गरम बूब्स को सहलाने लगा था। मैंने देखा कि आंटी की आखें अब भारी हो रही थी और उनके होंठ ज़रा सा खुल गये थे। तभी में आंटी के ब्लाउज को खोलने लगा था और पूरे चार हुक खोलने के बाद आंटी के ब्लाउज को मैंने उतारा नहीं बल्कि वैसे ही छोड़ दिया। अब मैंने उनके ब्लाउज को उनके बूब्स से नीचे की तरफ सरकाया तो उन्होंने एक लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी और मैंने तुरंत अब उनके बूब्स को धर दबोचा और फिर ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को मसलने लगा था।

फिर मैंने महसूस किया कि वो उस समय हवस की आग में जल रही थी और लगातार धीरे धीरे से सिसकियाँ ले रही थी। मैंने अब उनकी ब्रा के हुक को भी खोल दिया और ब्रा को पूरा नीचे उतार दिया, उनके ब्लाउज को भी अब झट से उतारने के बाद मैंने आंटी के गरमा गरम बूब्स को अपने मुहं में ले लिया और में दिल खोलकर उनके बूब्स को चूसता और दबाता रहा, उनका स्वाद में कभी नहीं भूलूंगा और उनके दोनों बूब्स को जी भरकर प्यार करने के बाद में अब उनके पेट को चूमने लगा था और धीरे धीरे चूमते हुए में उनकी कमर तक पहुँच गया। तब मैंने महसूस किया कि उनका पेट बहुत मुलायम था।

दोस्तों में पेट को चूमता और बीच बीच में अपनी जीभ से चखता भी था। फिर उनकी नाभि के आस पास दो तीन बार चूमने के बाद मैंने उनकी नाभि में अपनी जीभ को डाल दिया। तभी वो अचानक से चिल्ला उठी और फिर से मेरे सर को पकड़कर दबाने लगी। वो अब मेरे बालों को भी सहला रही थी और में आंटी की गहरी नाभि को मज़े से चाट रहा था। फिर मैंने आंटी की साड़ी के ऊपर से ही उनकी चूत पर अपना चेहरा मसल दिया, सच में आंटी बहुत मज़े ले रही थी और तरह तरह की आवाज़ें भी निकाल रही थी।

मैंने उनकी चूत को साड़ी के ऊपर से की सूंघने की कोशिश की और एक सुगंध जो कि पसीने और जिस्म की खुशबू जैसी हो, मेरी नाक में जा रही थी, लेकिन दोस्तों वो महक एक हवस की आग में तड़प रही और एक गरम औरत की थी, जिसको सूंघकर में अब बिल्कुल पागल हो रहा था। फिर कुछ देर सूंघने के बाद में खड़ा हुआ और आंटी को एक बार चूमने के बाद उनको तुरंत अपनी गोद में उठाकर बेडरूम ले गया और वहां पर पहुंचकर आंटी को मैंने बिस्तर के सामने खड़ा कर दिया। मैंने एक बार उनकी आखों में देखा और फिर में अपने घुटनों पर बैठ गया और मैंने उनकी साड़ी को धीरे धीरे से उठाया और उनकी पेंटी को उंगलियों से पकड़कर धीरे से नीचे सरकाकर पूरा नीचे की तरफ उतार दिया।

अब आंटी ने अपना एक पैर अपनी पेंटी से बाहर निकाल लिया और फिर दूसरे पैर को भी पेंटी से बाहर किया। में उनकी पेंटी को हाथ में लेकर उठकर खड़ा हुआ और आंटी की आखों में देखते हुए ही में अब उनकी पेंटी को सूंघने लगा और फिर पेंटी को बिस्तर पर दूर फेंक दिया। अब आंटी तुरंत मेरे पास आकर मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और किस करते करते में आंटी को बिस्तर पर ले गया। आंटी और में दोनों ही मेरी टी-शर्ट और शॉर्ट्स को हड़बड़ी से उतारने लगे।

फिर में आंटी के नीचे आ गया और में उनकी साड़ी को ऊपर सरकाने लगा। मैंने उनकी साड़ी को कमर तक उठा दिया और बिना वक़्त खराब किए में आंटी की चूत को दिल खोलकर चूसने लगा। पहले मैंने एक से दो बार चूत को नीचे से ऊपर तक चाटा और फिर धीरे से में अपनी स्पीड को बढ़ाता गया। फिर मैंने चखकर महसूस किया कि उनकी चूत का स्वाद बहुत ही अच्छा और मस्की था और उनके जिस्म के पसीने का स्वाद भी उनकी चूत के स्वाद के साथ मिलकर आ रहा था। फिर में उनकी चूत को बहुत अच्छी तरह से चूसता गया और आंटी अपनी कमर को पागलों की तरह ऊपर नीचे करके हिला रही थी। फिर मैंने तुरंत उनके बूब्स को पकड़ लिया और धीरे धीरे से दबाने लगा था और अब में उनकी चूत को लगातार ज़ोर से चूस भी रहा था।

अब मेरे कुछ देर चूसने, चाटने के बाद आंटी ने मेरे सर को बहुत ज़ोर से अपनी चूत पर दबाया और वो अचानक से झड़ गई और अब उनकी चूत का रस मेरे पूरे चेहरे पर था, में जितना हो सके उसे पी गया और बाकी मुझे मजबूरन मुहं से बाहर निकालना पड़ा, क्योंकि उनकी चूत से बहुत ज़्यादा रस बाहर निकल रहा था। फिर मुझसे और रहा नहीं गया और में आंटी के पैरों के बीच में गया और मैंने अपना लंड हाथ में ले लिया। अब में उसे आंटी की चूत के दाने पर रगड़ने लगा था।

फिर आंटी मुझसे कहने लगी कि प्लीज अब तो डाल दो इसे अंदर और रहा नहीं जा रहा, इसलिए मैंने जोश में आकर एक ही जोरदार झटके में उनकी चूत के अंदर अपना पूरा का पूरा लंड डाल दिया, क्योंकि अब हालात बहुत ही गरमा गये थे, इसलिए हम दोनों बिल्कुल पागल हो चुके थे और इसलिए में तुरंत ही आंटी को ज़ोर ज़ोर से लगातार धक्के देकर चोदने लगा। में आंटी की तरफ झुका और ज़ोर से चोदते चोदते ही में आंटी के होंठो को चूमने लगा और हम दोनों हवस के इस एहसास में पूरी तरह से डूब चुके थे।

में आंटी को बिल्कुल पागलों की तरह चोद रहा था और वो भी अपनी कमर को हिला हिलाकर मेरा पूरा साथ दे रही थी। दोस्तों वो एहसास बहुत ही कमाल का था, जो किसी भी शब्दों में बताया ही नहीं जा सकता। फिर में कुछ देर के धक्कों के बाद अब झड़ने वाला था और मैंने आंटी को यह बताया और उनसे पूछा कि में अपना वीर्य कहाँ निकालूं? तो वो मुझसे तुरंत बोली कि तुम मेरे अंदर ही अपना गरम गरम लावा निकाल दो। फिर उनके मुहं से यह बात सुनकर मैंने अब उन्हें और भी ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया और फिर आंटी ने मुझसे कहा कि वो भी अब झड़ने वाली है। फिर मैंने आंटी के बूब्स को चूसना शुरू किया और फिर में उनके निप्पल को हल्के से काटने लगा तो आंटी झड़ने लगी और वो बिल्कुल पागलों की तरह छटपटाने लगी। उसके बाद में और रोक नहीं पाया और में भी अब झड़ गया और दोस्तों में बहुत ज़ोर से झड़ा था और मुझे हल्का सा बेहोश होने जैसा लग रहा था।

तभी अचानक से आंटी इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि मुझे लगा कि पड़ोसी सुन लेंगे, क्या पता बाहर मेरी मम्मी भी सुन लेगी। फिर हम दोनों हांफते हुए एक दूसरे को देखने लगे और हमारे होंठ एक बार फिर से एक दूसरे से टकराए। अब हम दोनों एक दूसरे के होंठो को चख रहे थे। फिर वो मुझसे बोली कि तुम्हारे अंकल ने मुझे कभी भी ऐसा महसूस नहीं करवाया, उन्होंने कभी भी मुझे ऐसा मज़ा नहीं दिया और यह मेरी ज़िंदगी का सबसे अच्छा सेक्स अनुभव है, तुम्हारे साथ मुझे सेक्स करने में बहुत मज़ा आया और तुम्हें चुदाई करने का बहुत अच्छा अनुभव है और फिर हम दोनों वैसे ही थोड़ी देर सो गये।

फिर आंटी ने मुझे नींद से उठाया और बाथरूम में ले गई। फिर दोनों मिलकर नहाए और फिर हम अपने कपड़े पहनने लगे। आंटी की साड़ी पसीने और चूत के रस से पूरी भीग चुकी थी। आंटी ने दूसरी साड़ी पहनी और मैंने अपनी टी-शर्ट और शॉर्ट्स। फिर एक लंबे किस के बाद में अपने घर पर चला आया। दोस्तों फिर क्या था? बस मुझे अब मौका मिलने की देर होती थी और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में। आंटी को मैंने इतनी ज़्यादा बार चोदा कि में गिनती ही भूल गया। सच में दोस्तों आंटी के साथ रहना मुझे बहुत अच्छा लगा। दोस्तों में अब उम्मीद करता हूँ कि आप सभी को मेरी कहानी जरुर पसंद आई होगी ।।

धन्यवाद …